यह कहना गलत नही होगा कि सानिया मिर्ज़ा भारत की पहली भारतीय महिला टेनिस सुपरस्टार हैं। लिएंडर पेस द्वारा जीते गए 1996 अटलांटा गेम्स में ब्रॉन्ज़ मेडल ने भारत में इस खेल के स्वरूप को बदल दिया। पेस के ऐसा कीर्तिमान हासिल करने के बाद भारत को महिला वर्ग में भी एक स्टार खिलाड़ी की जरूरत हुई।
इसके बाद हैदराबाद की एक युवा लड़की ने भारत की इस खोज को खत्म किया और देखते ही देखते वह टेनिस की दुनिया से कभी न ओझल होने वाला सितारा बन गईं।
देखा जाए तो लोगों को भी इस बात में काफी दिलचस्पी है कि सानिया मिर्ज़ा कौन सा खेल खेलती हैं या सानिया मिर्ज़ा किस खेल से संबंधित हैं।
सानिया मिर्ज़ा की उपलब्धियों और पुरस्कारों की एक लंबी फ़ेहरिस्त है, जिन्होंने न सिर्फ खुद को भारत की सबसे बड़ी महिला टेनिस स्टार , बल्कि राष्ट्रीय खेल आइकन के रूप में भी स्थापित किया।
आइए सानिया मिर्ज़ा की उपलब्धियों, उनके करियर और सफलताओं पर एक नज़र डालते हैं।
सानिया मिर्ज़ा का ग्रैंड स्लैम ख़िताब
खेल में खिलाड़ी की मेहनत और संकल्प को मापा जाता है और इसी वजह से एक खिलाड़ी सफल होता है। 6 बार की ग्रैंड स्लैम विजेता कही जाने वाली मिर्ज़ा ने भी अपने करियर में बहुत सा नाम और शोहरत हासिल की।
ऑस्ट्रेलियन ओपन 2009 मिक्स्ड डबल्स
ऑस्ट्रेलियन ओपन 2009 के मिक्स्ड डबल्स में मिर्ज़ा को पहली बड़ी सफलता हासिल हुई, जहां वह भारतीय दिग्गज महेश भूपति के साथ जोड़ी बनाकर कोर्ट पर उतरीं। इस जोड़ी ने उम्दा प्रदर्शन दिखाते हुए ऑस्ट्रेलियन ओपन मिक्स्ड डबल्स अपने नाम किया।
इससे एक साल पहले भी इसी जोड़ी ने मेलबर्न पार्क में उम्दा प्रदर्शन दिखाया था और क्वार्टर-फाइनल में हारने से पहले कोई भी सेट नहीं हारा था। इन्हें पहला सेट हराने वाली एलेक्ज़ैंड्रा वोज़्नियाक और डैनियल नेस्टो की थी।
इंडो/कनाडा के इस मुकाबले में मिर्ज़ा/भूपति ने पहला सेट 3-6 से गंवा दिया था लेकिन उनके हौसले टस से मस नहीं हुए, जिसके बाद उन्होंने सेमीफाइनल में कदम रखा।
फिर उसके बाद इस जोड़ी ने पीछे मुड़कर नहीं देखा और चेक गणराज्य की इव्हेता बेनेसोवा और लुकास ड्लाउची को 6-4, 6-1 से मात देते हुए अपने कारवां को आगे बढ़ाया। इसके बाद फाइनल में मिर्ज़ा/भूपति ने एंडी रैम और नताली डैची को पस्त करते हुए खिताब अपने नाम कर लिया। भारतीय टेनिस दिग्गज सानिया मिर्ज़ा के लिए ऑस्ट्रेलियन ओपन का यह खिताब हमेशा ख़ास रहेगा।
अपना पहला टाइटल जीतने के बाद सानिया ने कहा, “ग्रैंड स्लैम जीतना हमेशा से मेरा सपना था। हम सब इसी के लिए खेलते हैं। यह बहुत अच्छा है। यह बहुत खास इसलिए भी था क्योंकि यह जीत उनके साथ आई थी, जिन्हें मैं बहुत अच्छे से और बहुत समय से जानती हूं।''
फ़्रेंच ओपन 2012 मिक्स्ड डब्ल्स
यह जोड़ी तीन साल बाद एक बार फिर से रोलैंड गैरोस के कोर्ट पर भारत को गौरवान्वित करने के लिए उतरेगी।
2012 फ्रेंच ओपन में 7वीं वरीयता प्राप्त इस जोड़ी ने शानदार प्रदर्शन दिखाते हुए खिताब अपने नाम किया। मिर्ज़ा/भूपति ने क्लाउडिया जैंस इग्नासिक और सैंटियागो गोंजालेज की जोड़ी को 7-6, 6-1 से मात देते हुए यूएस ओपन 2014 मिक्स्ड डबल्स में अपना दूसरा ग्रैंड स्लैम हासिल किया।
यूएस ओपन 2014 मिक्स्ड डबल्स
इसके बाद दो साल बीत गए और मिर्ज़ा को अपने तीसरे टाइटल का इंतजार था। 2014 यूएस ओपन मिक्स्ड डबल्स में मिर्ज़ा ने ब्राज़ील के ब्रूनो सोरेस के साथ जोड़ी बनाई और एक बार फिर मैदान फतह करने के लिए निकल गईं।
इस खिताब को जीतने के लिए मिर्ज़ा/सोरेस ने कड़ी मशक्कत की और फाइनल मुकाबले को टाई ब्रेकर में ले जाते हुए जीता। मिर्ज़ा और उनके जोड़ीदार ने अबीगैल स्पीयर्स और सैंटियागो गोंजालेज को मात देते हुए अव्वल नंबर पर अपने नाम की मुहर हमेशा-हमेशा के लिए लगा दी।
मार्टिना हिंगिस के साथ डबल्स का तीसरा ख़िताब
2015 में भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा ने स्विस लीजेंड मार्टिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनाई और इतिहास रच दिया। इस जोड़ी ने लगातार 3 खिताब हासिल किए, जो अपने आप में बहुत बड़ी बात है।
‘सेंटीना’ नाम से मशहूर इस जोड़ी ने विंबलडन 2015 जीत कर अपने पहले खिताब पर कब्ज़ा जमाया। फाइनल मुकाबले में मिर्ज़ा/हिंगिस की जोड़ी ने एकटरीना और इलिना वेस्नीना की जोड़ी को हराया।
हालांकि, फ़ाइनल एक करीबी मुक़ाबला था, जिसमें सानिया मिर्ज़ा और मार्टिना हिंगिस ने तीन सेटों से जीत दर्ज की।
इस जोड़ी ने अगले कुछ समय तक मानो कोर्ट को फतह करने की ठान ली।
मिर्ज़ा/हिंगिस ने अपने कौशल की परिभाषा पेश करते हुए यूएस ओपन 2015 तो जीता ही और इसके बाद 2016 ऑस्ट्रेलियन ओपन में भी अपने नाम की छाप छोड़ दी। इस तरह से इस जोड़ी ने खिताब जीतने की हैट्रिक लगा दी और टेनिस की दुनिया को हिलाकर रख दिया।
मार्टिना हिंगिस ने अपने सैंटिना दिनों के दौरान एक इंटरव्यू में कहा था, "शुरुआत से हमने इस पर अपनी पकड़ बनाए रखी हमारा खेल एक दूसरे का पूरक हैं।"
सानिया मिर्ज़ा की एकल और युगल वर्ग की सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग
अपने करियर की शुरुआत में सानिया मिर्ज़ा को एक अच्छा एकल खिलाड़ी माना जाता था लेकिन कलाई में चोट लगने के कारण उन्हें सिर्फ युगल वर्ग में ही फोकस करना पड़ा।
हालांकि शुरुआती दौर में मिर्ज़ा ने हैदराबाद ओपन 2005 जीता और इसी के साथ WTA सिंगल्स टाइटल जीतने वाली पहली भारतीय टेनिस खिलाड़ी बन गईं। इसके बाद मिर्ज़ा ने रफ़्तार पकड़ी और भारत के बाहर भी अपना नाम ऊंचा किया।
2007 में मिर्ज़ा WTA सिंगल्स रैंकिंग में 27वें स्थान पर आ गईं, जो अभी तक किसी भी भारतीय टेनिस खिलाड़ी के लिए सर्वश्रेष्ठ टेनिस रैंकिंग है।
2015 में युगल वर्ग में सानिया मिर्ज़ा ने WTA डबल्स रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया। इस कीर्तिमान को हासिल करने वाली मिर्ज़ा अभी तक इकलौती भारतीय टेनिस खिलाड़ी हैं। ATP की बात की जाए तो महेश भूपति और लिएंडर पेस ने आज तक डबल्स रैंकिंग में पहला स्थान हासिल किया है।
भारतीय महिला टेनिस स्टार ने अपनी टॉप रैंकिंग को 21 महीनों तक संभाल कर रखा और 2017 में इसमें गिरावट देखी गई। यह कहना गलत नहीं होगा कि सिर्फ भारत ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में सानिया मिर्ज़ा का नाम शान से लिया जाता है।
मिर्ज़ा ने आज तक 44 WTA युगल खिताब जीते हैं।
4 बार की ओलंपियन सानिया मिर्ज़ा
ओलंपिक में मेडल जीतना हर एथलीट का सपना होता है और भारतीय टेनिस दिग्गज ने भी हमेशा इसका सपना देखा।
इस दिग्गज ने एक बार बातचीत के दौरान कहा था, “ओलंपिक पोडियम पर खड़े होकर अपने देश के झंडे को लहराते हुए देखना किसी भी एथलीट के लिए सबसे गर्व की बात होती है और यह अनुभव मैं खुद भी करना चाहूंगी।”
भारतीय टेनिस स्टार सानिया मिर्ज़ा ने ओलंपिक गेम्स में पहली बार 2008 में हिस्सा लिया था। 2008 बीजिंग ओलंपिक गेम्स में इव्हेता बेनेसोवा के खिलाफ खेलते हुए चोट लगने के कारण इस खिलाड़ी को बाहर होना पड़ा। तब से लेकर अब तक मिर्ज़ा चार बार ओलंपिक खेल में हिस्सा ले चुकी हैं।
2012 लंदन गेम्स भी इस खिलाड़ी के लिए सफल नहीं हो पाया और सानिया मिर्ज़ा/रुश्मी चक्रवर्ती की जोड़ी को पहले ही राउंड में चीनी ताइपे चिआ जुंग चुआंग और सीह सू वेई ने मात दे दी। यही वजह रही कि मिर्ज़ा का सफर डबल्स वर्ग में बहुत ही जल्द खत्म हो गया।
इसके बाद मिक्स्ड डबल्स में मिर्ज़ा/पेस की जोड़ी ने क्वार्टर-फाइनल तक का सफ़र तय किया और उन्हें उस संस्करण में गोल्ड मेडल जीतने वाले विक्टोरिया अज़ारेन्का और मैक्स मिर्नयी के हाथों शिकस्त झेलते हुए अपना कारवां रोकना पड़ा।
रियो 2016 यानी अपने तीसरे ओलंपिक संस्करण में भाग ले रही मिर्ज़ा के सपनो ने एक बार फिर उड़ान भरी। मिक्स्ड डबल्स में इस बार मिर्ज़ा ने रोहन बोपन्ना के साथ जोड़ी बनाई और इस बार पिछली बार के मुकाबले मिर्ज़ा का सफ़र बेहतर रहा। मिर्ज़ा/बोपन्ना की जोड़ी मेडल तो नहीं जीत सकी लेकिन सेमीफाइनल तक पहुंच कर उन्होंने लाखों दिलों को जीत लिया। इस जोड़ी को ब्रॉन्ज़ मेडल मैच में लुसी ह्रादेका और रादेक स्तेपानेक से हार का सामना करना पड़ा और यह जोड़ी पोडियम से चूक गई।
वुमेंस डबल्स में मिर्ज़ा ने प्रार्थना थोंबारे के साथ अच्छा खेल दिखाया लेकिन चीनी जोड़ी झांग शुआई और पेंग शुआई के खिलाफ जीत हासिल करने में असमर्थ रहीं।
टोक्यो ओलंपिक में सानिया मिर्जा और उनकी युगल जोड़ीदार अंकिता रैना पहले दौर से ही आगे नहीं बढ़ पाईं।
सानिया मिर्ज़ा के एशियन गेम्स और कॉमनवेल्थ गेम्स में जीते गए मेडल
एशियन गेम्स में मानो मिर्ज़ा ने अपने नाम का डंका बजाया हुआ है। कुल मिलाकर इस भारतीय खिलाड़ी ने 8 एशियन गेम्स मेडल जीते हैं और लगभग जिस भी संस्करण में उन्होंने हिस्सा लिया है, उसमें एक मेडल अपने नाम किया है।
भारत के लिए खेलते हुए मिर्ज़ा की पहली बड़ी सफलता 2002 एशियन गेम्स में आई थी। लिएंडर पेस के साथ जोड़ी बनाकर खेल रही मिर्ज़ा के हाथ ब्रॉन्ज़ मेडल आया था।
अगले संस्करण यानी दोहा में हुए 2006 एशियन गेम्स में मिर्ज़ा ने मिक्स्ड डबल्स गोल्ड मेडल हासिल किया। वुमेंस डबल्स में सिल्वर पर कब्ज़ा जमाया। उस दौरान सानिया मिर्ज़ा ने अपने उज्जवल भविष्य का प्रमाण पेश कर दिया था और दुनिया को बता दिया था कि भारतीय महिला टेनिस में जो अधूरापन था वह अब दूर होने जा रहा है।
ग्वांगझोउ में भी मिर्ज़ा ने अपनी लय को बरकरार रखा और वुमेंस सिंगल्स में ब्रॉन्ज़ मेडल अपनी झोली में डाल दिया।
इंचियोन एशियाई खेल 2014 में मिक्स्ड डबल्स में कोर्ट पर उतरी मिर्ज़ा के हाथ गोल्ड मेडल आया लेकिन इसके बाद भी उनकी भूख शांत नहीं हुई। इसी संस्करण में वुमेंस डबल्स में खेलती हुई मिर्ज़ा ने सिल्वर मेडल भी हासिल कर लिया और अपने फैंस की लिस्ट और कई गुना बढ़ा दिया।
प्रेग्नेंट होने की वजह से मिर्ज़ा को 2018 के संस्करण में रेस्ट लेना पड़ा और कुछ समय के लिए खेल से दूर होना पड़ा।
वहीं कॉमनवेल्थ गेम्स की बात करें तो मिर्ज़ा ने 2010 कॉमनवेल्थ गेम्स में भाग लिया था। दूसरे सीड की खिलाड़ी के तौर पर हिस्सा ले रही मिर्ज़ा वुमेंस सिंगल्स में सिल्वर मेडल जीता और रुश्मी चक्रवर्ती के साथ जोड़ी बनाकर वुमेंस डबल्स में ब्रॉन्ज़ मेडल पर हक जमाया।
इतना ही नहीं इस दिग्गज के पास एफ्रो एशियन गेम्स में भी कई मेडल हैं।
सानिया मिर्ज़ा का भारत के लिए फेड कप रिकॉर्ड
सानिया मिर्ज़ा साल 2003 से 11 संस्करणों में भारतीय फेड कप टीम (अब बिली जीन किंग कप कहा जाता है) का हिस्सा रही हैं और इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट में 27 जीत और 10 हार का प्रभावशाली रिकॉर्ड उनके नाम है।
2020 फेड कप में भी इस दिग्गज ने अहम भूमिका निभायी और अपने आखिरी तीन मुकाबलों को जीत कर अपने खेमे को जीवित रखा हुआ है। इतना ही नहीं भारतीय टीम पहली बार फेड कप के प्ले ऑफ तक का सफ़र तय करने में भी सफल हुई है।
यह दौर इसलिए भी ख़ास था क्योंकि मिर्ज़ा ने मां बनने के बाद कोर्ट पर कदम रखे थे। यह तो वाकई में तारीफ़ के काबिल है कि इस खिलाड़ी ने डिलीवरी के बाद न सिर्फ खेल में हिस्सा लिया है बल्कि उम्दा प्रदर्शन कर अपने नाम के आगे चार चांद लगा दिए हैं। गौरतलब है कि सानिया मिर्ज़ा और उनके पति शोइब मलिक (पूर्व पाकिस्तानी क्रिकेटर) के घर पुत्र ने जन्म लिया है और उन्होंने उसका नाम इज़हान रखा है।
सानिया मिर्ज़ा को मिले अर्जुन पुरस्कार, पद्म श्री और अन्य राष्ट्रीय पुरस्कार
टेनिस में अपने बड़े और बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान की बदौलत सानिया मिर्ज़ा को 2004 में अर्जुन अवॉर्ड, 2006 में पद्म श्री अवॉर्ड, 2015 में राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड (जिसे अब मेजर ध्यानचंद खेल रत्न पुरस्कार कहा जाता है) और 2016 में पद्म भूषण अवॉर्ड से नवाज़ा गया।
न तो मिर्ज़ा रुकीं न तो उन्हें मिलने वाले सम्मान। 2015 में सानिया मिर्ज़ा को बीबीसी ने दुनिया की टॉप 100 इंस्पाइरिंग वूमेंस की लिस्ट में जोड़ दिया, जो उनके साथ-साथ भारत के लिए भी बहुत बड़ी उपलब्धि है, जिसपर सभी को गर्व है।