तेजस्विन शंकर का जन्म दिल्ली में हुआ, जहां से विराट कोहली, वीरेंद्र सहवाग, गौतम गंभीर और आशीष नेहरा जैसे दिग्गज क्रिकेटरों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। तेजस्विन शंकर जब छोटे थे तो वह तेज गेंदबाज बनना चाहते थे।
गेंदबाज बनने के लिए के लंबे रनअप की जरूरत होती जो उनके पास पहले से थी। जिसका उन्हें हाई जंपर बनने में काफी फायदा हुआ। और आज के समय में वह भारत के सबसे प्रतिष्ठित हाई जंपर हैं।
कुछ साल पहले Olympics.com से बातचीत के दौरान तेजस्विन ने कहा, जब में बड़ा हो रहा था, मेरे आस-पास क्रिकेट ही ज्यादा खेला जाता था। मेरे पिताजी बीसीसीआई (बोर्ड ऑफ कंट्रोल फॉर क्रिकेट इन इंडिया) के वकील थे, इसलिए मैं छोटी उम्र से ही खेल की ओर ज्यादा आकर्षित था।
तेजस्विन शंकर का जन्म 12 दिसंबर 1998 को एक तमिल परिवार में हुआ। उन्होंने अपने पिताजी हरिशंकर को बहुत कम उम्र में ही बल्ड कैंसर के कारण खो दिया।
अपनी शानदार गति और लंबा कद होने के कारण 7वीं कक्षा तक उन्होंने अपने क्रिकेटर बनने के सपने पर ध्यान दिया। हालांकि, इस युवा खिलाड़ी की लंबी कद-काठी जल्द ही दोधारी तलवार साबित हुई, क्योंकि इसने उनकी एथलेटिक क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव डालना शुरू कर दिया।
शंकर ने कहा, "मैं आउटफील्ड में बहुत धीमा और काफी कमजोर था। जब मैंने अंडर-14 से अंडर-16 स्तर पर कदम रखा तो मैं राज्य की टीम में जगह बनाने से चूक गया।"
उन्होंने आगे कहा, "मेरे नए स्कूल के कोच ने मुझे सुझाव दिया कि मैं अपनी दौड़ने की क्षमता और चपलता को बेहतर बनाने के लिए एथलेटिक्स में भाग लूं, उन्होंने मुझसे कहा कि तुम तभी गेंद को फील्ड कर पाओगे जब तुम गेंद तक पहुंच पाओगे।”
तेजस्विन शंकर और ऊंची कूद: इसकी शुरुआत कैसे हुई
शंकर ने जल्द ही ट्रैक और फील्ड इवेंट में प्रशिक्षण लेना शुरू कर दिया।
“मैंने हाई-जंप खिलाड़ी के रूप में शुरुआत नहीं की थी। मैंने 400 मीटर से शुरुआत की और फिर ट्रिपल जंप में भी हाथ आजमाया। लेकिन हाई-जंप ही वह खेल था जिसमें मुझे कुछ सफलता मिलनी शुरू हुई। मैंने 2013 में दिल्ली राज्य एथलेटिक्स चैंपियनशिप में भाग लिया और कांस्य पदक जीता।”
उन्होंने आगे कहा, “एक बार जब मैंने जीतना और सुधार करना शुरू कर दिया, तो मैं हाई जंप में अपना लक्ष्य जारी रखना चाहता था। धीरे-धीरे, मैं क्रिकेट से दूर होने लगा और एथलेटिक्स को अधिक गंभीरता से लेने लगा।”
तेजस्विन शंकर का मानना है कि हाई जंप उनके करियर में एक ‘खुशहाली लाने वाला मोड़’ था, क्योंकि इस बदलाव ने उन्हें खेल के लिए अपनी छिपी प्रतिभा को खोजने में मदद की। बहुत जल्द ही वह इस डिसिप्लिन में भारत के शानदार एथलीट बन गए।
कॉमनवेल्थ गेम्स डेब्यू पर किया धमाकेदार प्रदर्शन
तेजस्विन शंकर ने 2015 में अपिया में हुए कॉमनवेल्थ यूथ गेम्स में स्वर्ण पदक जीता था और इसके बाद उन्होंने 2016 में गुवाहाटी में हुए साउथ एशियन गेम्स में रजत पदक जीता था।
उसी वर्ष, 6 फुट 4 इंच लंबे तेजस्विन शंकर ने इतिहास रच दिया, जब उन्होंने कोयंबटूर में जूनियर नेशनल चैंपियनशिप में 2.18 मीटर की छलांग लगाकर हरि शंकर रॉय के 12 साल पुराने राष्ट्रीय हाई जंप रिकॉर्ड को तोड़ दिया।
तेजस्विन शंकर ने वैश्विक मंच पर भी शानदार प्रदर्शन किया और गोल्ड कोस्ट में हुए 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स में वह छठे स्थान पर रहे।
तेजस्विन शंकर का अमेरिकी सपना
तेजस्विन शंकर का इरादा अपने गृहनगर दिल्ली में एक विश्वविद्यालय में दाखिला लेने और अपने एथलेटिक के सपनों को पूरा करने का था।
हालांकि, बेंगलुरु में भारत के उस समय के भाला फेंक कोच गैरी कैल्वर्ट से एक मुलाकात ने उनके एथलेटिक्स करियर को बढ़ावा दिया। ऑस्ट्रेलियाई कोच ने युवा हाई जंपर को अमेरिकन कॉलेज गेम्स और नेशनल कॉलेजिएट एथलेटिक एसोसिएशन (NCAA) के बारे में बताया।
शंकर ने कहा, "मेरी पूरी शिक्षा का खर्च उठाया जाएगा और कॉलेजिएट प्रणाली में प्रतिस्पर्धा इतनी उच्च गुणवत्ता वाली है कि 2024 ओलंपिक में कम से कम कुछ फाइनलिस्ट ऐसे होंगे जो NCAA प्रणाली में रहे हैं। इसलिए इसने वास्तव में मेरा ध्यान खींचा।"
NCAA एक नॉन-प्रॉफिट संगठन है जो स्टार अमेरिकी एथलीटों की अगली पीढ़ी की मदद और खोज के लिए कई छात्र एथलेटिक कार्यक्रम आयोजित करता है।
यह सुनिश्चित करने के लिए कि उनके एथलीटों के लिए प्रतिस्पर्धा का उच्च स्तर हो, संयुक्त राज्य अमेरिका में कॉलेज और विश्वविद्यालय अक्सर कुछ बेहतरीन युवा, विदेशी एथलीटों की भर्ती के लिए स्कॉलरशिप देते हैं। इस कार्यक्रम के माध्यम से ही शंकर को कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी में प्रवेश मिला।
“कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी में हाई जंप के लिए एक बहुत ही प्रतिष्ठित कोच है। इस यूनिवर्सिटी के कुछ पूर्व छात्रों में मैट हेमिंग्वे शामिल हैं, जिन्होंने एथेंस 2004 ओलंपिक में रजत पदक जीता था, और एरिक किनार्ड, जिन्होंने लंदन 2012 में जीता था।
उन्होंने बताया, “कैनसस एकमात्र ऐसा कॉलेज था, जहां मैं जाना चाहता था, लेकिन जब मैंने कॉलेजों को ईमेल करना शुरू किया, तो मुझे कैनसस को छोड़कर सभी जगहों से सकारात्मक जवाब मिले। मैं किसी दूसरे कॉलेज के साथ अनुबंध करने के बहुत करीब था, इससे ठीक पहले कैनसस ने मुझे प्रस्ताव दिया, और मैंने उस अवसर को तुरंत स्वीकार कर लिया।”
यह कदम शंकर और कैनसस स्टेट यूनिवर्सिटी दोनों के लिए शानदार रहा, क्योंकि उस समय 19 वर्षीय शंकर ने 2018 में NCAA में अपने पहले सीजन में स्वर्ण पदक जीता था।
पहले से ही राष्ट्रीय रिकॉर्ड धारक, तेजस्विन शंकर ने अप्रैल 2018 में NCAA के टेक्सास टेक कॉर्की/क्रोफुट शूटआउट में 2.29 मीटर की छलांग लगाकर अपना व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन बेहतर किया। भारत में हाई जंप का उनका राष्ट्रीय रिकॉर्ड अभी भी कायम है।
तेजस्विन शंकर मानते हैं कि NCAA में शामिल होने से वे एक बेहतर एथलीट बन गए हैं।
“भारत में, जब मैंने हाई-जंप शुरू की, तो मेरे कोच और मैं एक-दूसरे से सीख रहे थे और हमें इस बात पर बहुत शोध करना पड़ा कि कैसे आगे बढ़ना है। लेकिन यहां अमेरिका में, कार्यक्रम आजमाया हुआ और परखा हुआ है, और सफलता का एक स्पष्ट मार्ग है।”
शंकर ने आगे बताया, “हमें अपने प्रशिक्षण वर्कआउट पहले से ही मिल जाते हैं और हमें एक महीने पहले ही पता चल जाता है कि हमें कैसे प्रशिक्षण लेना है और हमें किन कार्यक्रमों में भाग लेना है।”
नियोजित प्रशिक्षण व्यवस्था ने शंकर के लिए परिणाम देना जारी रखा है, क्योंकि उन्होंने अपने दूसरे NCAA सत्र में रजत पदक जीता।
एक और कारण जिसने तेजस्विन शंकर की मदद की है, वह है प्रशिक्षण रूटीन में बदलाव।
“हाई जंप एकतरफा खेल है जिसमें आप अपने दाहिने पैर से ज्यादा बार कूदते हैं, और इसमें बहुत सारे असंतुलन पैदा हो सकते हैं। इसलिए, मुझे अपने शरीर को प्रशिक्षित करने और संतुलित करने के लिए हर्डल रेस और लॉन्ग-जंप का अभ्यास करने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है। इसके अलावा एक जैसी चीजों को लगातार करने से भी मदद मिलती है।”
कॉमनवेल्थ गेम्स में तेजस्विन शंकर का यादगार पल
तेजस्विन शंकर साल 2021 में टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए। लेकिन अगले साल उन्होंने अपनी छाप छोड़ी।
तेजस्विन शंकर ने अमेरिका में एक मीट में हाई जंप क्वालिफिकेशन मानक हासिल करके कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 के लिए क्वालीफाई किया। हालांकि, एथलेटिक्स फेडरेशन ऑफ इंडिया (AFI) ने उन्हें बर्मिंघम के लिए भारतीय एथलेटिक्स टीम में शामिल नहीं किया। AFI ने अनिवार्य किया था कि केवल भारत में अंतर-राज्यीय मीट में प्रतिस्पर्धा करने वाले एथलीट ही कट बनाने के पात्र होंगे।
मामला अदालत में गया और शंकर के पक्ष में फैसला सुनाया गया। भारतीय हाई जंपर को तब एक और बाधा का सामना करना पड़ा, जब कॉमनवेल्थ गेम्स के आयोजक उन्हें प्रवेश सूची में शामिल नहीं कर सके क्योंकि समय सीमा बीत चुकी थी। हालांकि, बर्मिंघम 2022 शुरू होने से पांच दिन पहले उन्हें आखिरकार हिस्सा लेने की मंजूरी मिल गई।
CWG 2022 में, तेजस्विन शंकर ने सारे ड्रामे को पीछे छोड़ दिया। उन्हें इसका फायदा हुआ। 2.22 मीटर की छलांग के साथ, तेजस्विन शंकर ने कांस्य पदक जीता।
बहामास के पूर्व विश्व और राष्ट्रमंडल खेलों के चैंपियन डोनाल्ड थॉमस 2.22 मीटर पर तेजस्विन शंकर के साथ बराबरी पर थे, लेकिन भारतीय एथलीट ने कांस्य पदक जीता क्योंकि उन्होंने अपनी सभी जंप - 2.10 मीटर, 2.15 मीटर, 2.19 मीटर और 2.22 मीटर - पहले प्रयास में ही पार कर ली।
इस बीच, डोनाल्ड थॉमस ने अपने दूसरे प्रयास में 2.15 मीटर और 2.22 मीटर की जंप पार की।
शंकर ने कहा, "मेरा [अमेरिका] कॉलेजिएट सत्र लंबा था और मैंने जनवरी में जंपिंग शुरू की थी, लेकिन यहां कांस्य पदक जीतना एक सपने के सच होने जैसा है और मैं अपने साथ कुछ लेकर वापस घर जाने के लिए खुश हूं।"
आपको बता दें, यह राष्ट्रमंडल खेलों में ऊंची कूद में भारत का पहला पदक था।
तेजस्विन शंकर ने पदक जीतने के बाद Olympics.com से कहा, "मुझे बहुत अच्छा लग रहा है। यहां [बर्मिंघम] आने के लिए मुझे लंबी यात्रा करनी पड़ी। पांच दिन पहले तक मुझे नहीं पता था कि मैं यहां पहुंच भी पाऊंगा। मुझे इस अवसर का पूरा लाभ उठाने की खुशी है और मैं इसे संभव बनाने वाले सभी लोगों का आभारी हूं।"
तेजस्विन शंकर का डेकाथलॉन को अपनाना
बर्मिंघम कॉमनवेल्थ गेम्स में हाई जंप में अपने करियर के सर्वोच्च स्तर पर पहुंचने के बावजूद, तेजस्विन शंकर ने कई लोगों को आश्चर्यचकित करते हुए धीरे-धीरे अपना ध्यान डेकाथलॉन की ओर मोड़ना शुरू कर दिया और उनकी क्षमता ने सुनिश्चित किया कि वे मल्टी-स्पोर्ट मीट में तुरंत सफल हो गए।
तेजस्विन शंकर ने पहली बार मई 2022 में यूएसए के टेक्सास में आयोजित बिग 12 कॉन्फ्रेंस चैंपियनशिप में डेकाथलॉन मीट में भाग लिया। भारतीय एथलीट ने 7,592 के प्रभावशाली स्कोर के साथ मीट में तीसरा स्थान हासिल किया।
2023 में, डेकाथलॉन इवेंट्स में तेजस्विन की भागीदारी और बढ़ गई। उन्होंने अप्रैल में एरिजोना में जिम क्लिक शूटआउट और मल्टीस 2023 एथलेटिक्स मीट में डेकाथलॉन प्रतियोगिता में दूसरा स्थान हासिल करने के लिए 7,648 अंकों का नया व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ स्कोर हासिल किया। हालांकि, यह अंक भारतिंदर सिंह द्वारा 2011 से बनाए गए भारतीय डेकाथलॉन राष्ट्रीय रिकॉर्ड से सिर्फ 10 अंक कम था, लेकिन इसने उन्हें हांगझोऊ में होने वाले 2023 एशियाई खेलों में क्वालीफाई करने में मदद की।
इसके तुरंत बाद तेजस्विन शंकर ने बैंकॉक में 2023 एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीतकर एक प्रमुख अंतरराष्ट्रीय डेकाथलॉन पदक जीता। हांगझोऊ 2023 एशियाई खेलों में, तेजस्विन शंकर ने आखिरकार 7,666 अंकों के साथ डेकाथलॉन राष्ट्रीय रिकॉर्ड को तोड़ दिया और महाद्वीपीय मीट में रजत पदक जीता।
पेरिस 2024 ओलंपिक से पहले शंकर ने अपना ध्यान वापस ऊंची कूद पर केंद्रित किया, लेकिन ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए वह जगह बनाने में असफल रहे।
तेजस्विन शंकर की उपलब्धियां और पदक
- पुरुषों के हाई जंप में राष्ट्रीय रिकॉर्ड - 2.29 मीटर
- अपिया में 2015 के राष्ट्रमंडल युवा खेलों में पुरुषों के हाई जंप में स्वर्ण पदक
- गुवाहाटी/शिलांग में 2016 के दक्षिण एशियाई खेलों में पुरुषों के हाई जंप में रजत पदक
- बर्मिंघम में 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों में पुरुषों के हाईजंप में कांस्य पदक
- बैंकॉक में 2023 के एशियाई एथलेटिक्स चैंपियनशिप में डेकाथलॉन में कांस्य पदक
- हांगझोऊ में 2023 के एशियाई खेलों में डेकाथलॉन में रजत पदक
- पुरुषों की डेकाथलॉन में राष्ट्रीय रिकॉर्ड - 7,666 अंक