हाई जंप को सबसे सरल नियम वाला, सबसे रोमांचक खेल कहा जा सकता है। हाई जंप (ऊंची कूद) एक ट्रैक एंड फील्ड इवेंट का खेल है जिसमें एथलीट को बिना किसी सहायता के एक निश्चित ऊंचाई की बाधा को कूद कर पार करना होता है।
इस दौरान इस खेल में भाग लेने वाले प्रत्येक एथलीट को मौक़ा दिया जाता है। जो एथलीट पहली ऊंचाई को सफलता के साथ पार कर लेते हैं, उनके लिए अगली बार ऊंचाई की सीमा बढ़ा दी जाती है। इसी तरह असफल होने वाले एथलीट पहली वाली बाधा को पार करने की कोशिश करते हैं।
ऊंची कूद में प्रत्येक एथलीट को तीन मौक़े मिलते हैं।
हाई जंप के नियम
किसी भी प्रतियोगिता से पहले मुख्य जज क्रॉस बार की ऊंचाई की घोषणा कर देते हैं। उसी हिसाब से एथलीट निर्धारित ऊंचाई से अपनी शुरुआत कर सकता है, चाहें वह पास कर उसे ऊंचे बार के साथ शुरुआत कर सकता है। एथलीट मुख्य जज द्वारा निर्धारित किसी भी ऊंचाई से शुरुआत कर सकता है
विश्व एथलेटिक्स द्वारा ऊंची कूद के निर्धारित नियम कहते हैं कि कूदने वाले एथलीट को एक पैर के सहारे जंप को शुरु करना होता है। अगर एथलीट ऊंचाई को निर्धारित करने वाली बार को गिरा देता है, तो उस जंप को असफल माना जाता है। अगर क्रॉसबार को एथलीट छू लेता है लेकिन उससे बार गिरता नहीं है, तो वह सफल जंप मानी जाएगी। एक राउंड में क्रॉसबार को 2 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं बढ़ाया जा सकता है।
किसी भी टूर्नामेंट में लगातार तीन असफल कोशिश आपको प्रतियोगिता से बाहर कर देती है। जबकि फाइनल में सबसे अधिक ऊंचाई की जंप लगाने वाला एथलीट विजेता होता है।
अगर दो एथलीट के बीच टाई हो जाता है, तो उस उंचाई पर सबसे कम असफल प्रयास करने वाले एथलीट को विजेता घोषित किया जाएगा, जबकि अगर दोनों का प्रयास एक समान रहा हो, तो पूरी प्रतियोगिता में सबसे कम असफल प्रयास करने वाले एथलीट को विजेता घोषित किया जाएगा।
अगर पहले स्थान के लिए दो एथलीट के बीच टाई होता है, तो जंप ऑफ से फैसला तय किया जाता है, जहां दोनों एथलीट को किसी एक निर्धारित ऊंचाई पर जंप करना होता है। जो सफल होता है, उसे विजेता करार दिया जाता है।
इस खेल को मुख्य जज की देख-रेख में खेला जाता है, जिसके पास सफेद और लाल रंग के दो झंडे होते हैं। सफेद झंडा सफल जंप को दर्शाता है, तो लाल झंडा असफल जंप या फाउल जंप की घोषणा करता है।
हाई जंप कितने प्रकार के होते हैं
हाई जंप को समय के हिसाब से बदलता हुआ देखा गया है। इसे कई तरीके से किया जाता है। हालांकि, सबसे प्रचलित और लोकप्रिय स्टाइल फॉस्बरी फ्लॉप है। इसके अलावा सिजर्स फॉर्म को भी ऊंची कूद के शुरुआती दौर में एथलीटों के द्वारा प्रयोग किया जाता है। इसमें एथलीट जंप करते समय अपने पैरों को कैंची की तरह फैलाता है, इसलिए इसे सीजर्स फॉर्म कहा जाता है। स्टैडर रोल, इस्टर्न रोल और वेस्टर्न रोल ऊंची कूद के अन्य प्रकार हैं।
हाई जंप मैदान की माप
हाई जंप में सबसे महत्वपूर्ण होती है लैंडिग मैट, जिसपर एथलीट जंप को पूरा करने के बाद लैंड करते हैं। उस मैट की लंबाई 5 मीटर और चौड़ाई 3 मीटर होती है। मैट के दोनों तरफ दो पोल लगे होते हैं, जिसपर बार को रखा जाता है। जो एक-दूसरे से 4 से 4.04 मीटर की दूरी पर स्थित होते हैं। क्रॉस बार की लंबाई 4 से 4.02 मीटर की होती है और इसका भार 2 किलोग्राम होता है। जबकी रनवे एरिया 15 मीटर का होता है।
हाई जंप का इतिहास
19वीं शताब्दी की शुरुआत में स्कॉटलैंड में ऊंची कूद की प्रतियोगिताओं को काफ़ी पसंद किया जाता था और इस इवेंट को पुरुषों के लिए 1896 के पहले आधुनिक ओलंपिक खेल में शामिल किया गया था। महिलाओं ने साल 1928 में आयोजित ओलंपिक खेल में पहली बार हाई जंप प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था।
ऊंची कूद शायद उन खेलों में से एक है जो तकनीक के लिहाज से सबसे ज्यादा परिवर्तन के दौर से गुजरी है। ईस्टर्न कट-ऑफ, वेस्टर्न रोल और स्ट्रैडल ऐसे तरीके हैं जिनका इस्तेमाल पहले दुनिया के एलीट वर्ग द्वारा किया जाता रहा है। हालांकि, बाद में फॉस्बरी फ्लॉप जैसी तकनीक का इस्तेमाल ज्यादा होने लगा। साल 1968 के ओलंपिक चैंपियन डिक फॉस्बरी ने इस लोकप्रिय तकनीक का ईजाद किया था। जिसकी वजह से इसका नाम फॉस्बरी फ्लॉप पड़ गया। इसमें एथलीट पीठ के सहारे बार को पार करता है।
जेवियर सोतोमयोर ने 1992 बार्सिलोना ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीता था। क्यूबा के इस दिग्गज ने साल 1993 में 2.45 मीटर का तत्कालीन हाई जंप कूद विश्व रिकॉर्ड बनाया और वह इतिहास में 8 फीट से अधिक की छलांग लगाने वाले पहले व्यक्ति हैं। इतिहास में महिलाओं के हाई जंप में सबसे ऊंची कूद लगाने वाली एथलीट इओलांडा बालास हैं। रोमानिया की इस एथलीट ने साल 1960 और साल 1964 में लगातार दो ओलंपिक खिताब जीते और अपने इस इवेंट में उन्हें 11 साल तक कोई नहीं हरा सका।
हाई जंप का ओलंपिक रिकॉर्ड
ओलंपिक रिकॉर्ड अमेरिका के चार्ल्स ऑस्टिन के नाम है, जिन्होंने 1996 ओलंपिक खेल में 2.39 मीटर की जंप लगाकर ओलंपिक रिकॉर्ड अपने नाम किया था। महिला वर्ग में ओलंपिक रिकॉर्ड रुस की येलेना स्लेसारेनको के नाम है, जिन्होंने 2004 ओलंपिक खेल में 2.06 मीटर की जंप लगाकर इतिहास के पन्नों में अपना नाम दर्ज कराया था।
हाई जंप का वर्ल्ड रिकॉर्ड
क्यूबा के जेवियर सोतोमयोर ने साल 1993 में 2.45 मीटर की जंप लगाकर लंबी कूद का विश्व रिकॉर्ड अपने नाम करते हुए इतिहास रचा था। आपको बता दें यह आज भी सर्वश्रेष्ठ जंप है। वहीं, विश्व चैंपियनशिप में यूक्रेन के बोहडन बोंडारेनको के नाम 2.41 मीटर की ऊंचाई तक कूदने का रिकॉर्ड है। महिला वर्ग में बुल्गारिया की स्टेफ्का कोस्टाडिनोवा ने 1987 में 2.09 मीटर की ऊंचाई का जंप लगाकर विश्व रिकॉर्ड अपने नाम किया था। विश्व चैंपियनशिप में भी स्टेफ्का कोस्टाडिनोवा ने अपना परचम लहराया है और यहां भी वह 2.09 मीटर की जंप के साथ लंबी कूद की सर्वश्रेष्ठ एथलीट बनी हुई हैं।
हाई जंप से जुड़े रोचक तथ्य
जर्मनी की यूलरिक मेफर्थ संभवत: सबसे कम और सबसे ज्यादा उम्र की खिलाड़ी हैं जिन्होंने ऊंची कूद में नया कीर्तिमान बनाया है। उन्होंने साल 1972 में 1.92 मीटर की ऊंची कूद लगाकर विश्व रिकॉर्ड बनाया था। इसके बाद साल 1984 में उन्होंने लॉस एंजिल्स में एक बार फिर स्वर्ण पदक पर अपना कब्जा जमाया।
रे एवरी एक ऐसे जंपर थे, जिनके बारे में कहा जाता है कि वो 'ह्यूमन फ्रॉग' थे जो नौ फीट तक कूद जाते थे।
पुरुषों की ऊंची कूद स्पर्धा साल 1896 से ही ओलंपिक खेलों का हिस्सा रही है जबकि महिलाओं की स्पर्धा को साल 1928 से शामिल किया गया है।
इस खेल में एथलीटों को बाधा से दूरी का ख्याल रखना होता है क्योंकि कम या ज्यादा दूरी से जंप करने पर वो बाधा से टकरा सकते हैं या अपने जंप में असफल हो सकते है।
बता दें कि साल 1912 तक एथलीटों को दौड़कर जंप करने की अनुमति नहीं होती थी और उन्हें लगभग खड़े-खड़े ही कूदना पड़ता था।