संतोष ट्रॉफ़ी, विजेताओं की पूरी सूची: बरसों से क़ायम है पश्चिम बंगाल की बादशाहत, मौजूदा चैंपियन है कर्नाटक

पश्चिम बंगाल 32 ख़िताब के साथ संतोष ट्रॉफ़ी की सबसे सफल टीम है। कर्नाटक की टीम प्रतियोगिता की मौजूदा चैंपियन है। जानें सभी विजेताओं के नाम।

3 मिनटद्वारा रौशन कुमार
Santosh Trophy 2022-23 winners
(All India Football Federation (AIFF))

साल 1941 में शुरू हुई संतोष ट्रॉफ़ी भारतीय फ़ुटबॉल की विरासत का अभिन्न अंग है। ये प्रतियोगिता पुरुषों की राष्ट्रीय फ़ुटबॉल चैंपियनशिप भी है।

उस समय, डूरंड कप, रोवर्स कप और IFA शील्ड जैसे टूर्नामेंट भारतीय फ़ुटबॉल में मौजूद थे, लेकिन ये सभी टूर्नामेंट क्लबों के लिए थे।

देश में राज्य स्तरीय राष्ट्रीय फु़टबॉल चैंपियनशिप की आवश्यकता को पूरा करने के लिए बंगाल राज्य में खेल के लिए भारतीय फ़ुटबॉल संघ (IFA) द्वारा संतोष ट्रॉफ़ी को औपचारिक रूप दिया गया था। अखिल भारतीय फ़ुटबॉल महासंघ (AIFF) ने बाद में टूर्नामेंट को चलाने की ज़िम्मेदारी ली।

संतोष ट्रॉफ़ी का नाम संतोष के पूर्व महाराजा (अब बांग्लादेश में), सर मन्मथ नाथ रॉय चौधरी के नाम पर रखा गया है, जो भारतीय फ़ुटबॉल की एक महान हस्ती हैं।

महाराजा रॉय चौधरी प्रतिष्ठित ईस्ट बंगाल फ़ुटबॉल क्लब के संस्थापक सदस्यों में से एक थे, उन्होंने कई वर्षों तक IFA के अध्यक्ष के रूप में कार्य किया और अपने कार्यकाल के शुरुआती वर्षों के दौरान भारतीय फ़ुटबॉल के सबसे बड़े संरक्षकों में से एक थे।

दिलचस्प बात यह है कि संतोष ट्रॉफ़ी में उप-विजेता और तीसरे स्थान पर रहने वाली टीमों को भी नामांकित ट्रॉफ़ी मिलती है। उप-विजेता ट्रॉफ़ी को कमला गुप्ता ट्रॉफ़ी कहा जाता है और इसे एक अन्य पूर्व IFA अध्यक्ष डॉ. एसके गुप्ता की पत्नी के नाम पर रखा गया है।

तीसरे स्थान पर आने वाली टीम को संपांगी कप से सम्मानित किया जाता है। बता दें कि मैसूर (अब कर्नाटक) के एक प्रसिद्ध फ़ुटबॉलर संपांगी की याद में इस ट्रॉफ़ी का नाम रखा गया था।

संतोष ट्रॉफ़ी में भारत के राज्य और केंद्र शासित प्रदेश समेत कुछ सरकारी संस्थानों जैसे सेवा और रेलवे के बीच प्रतिस्पर्धा होती है।

पश्चिम बंगाल (तब बंगाल) ने फ़ाइनल में दिल्ली को 5-1 से हराकर साल 1941-42 में संतोष ट्रॉफ़ी का पहला ख़िताब जीता था। संतोष ट्रॉफ़ी के इतिहास में पश्चिम बंगाल सबसे सफल टीम है जिसने 32 बार ये ख़िताब अपने नाम किया है। इसके अलावा बंगाल की टीम 14 बार टूर्नामेंट की उप-विजेता भी रही है।

साल 1993 और 1999 के बीच लगातार 6 संस्करण में जीत हासिल करने के बाद पश्चिम बंगाल के नाम लगातार सबसे अधिक संतोष ट्रॉफ़ी ख़िताब जीतने का रिकॉर्ड भी है।

पंजाब 8 ख़िताब के साथ दूसरी सबसे सफल टीम है। केरल 7 संतोष ट्रॉफ़ी ख़िताब के साथ तीसरे स्थान पर है।

साल 1960-61 में सर्विसेज़ (सेना, नौसेना और वायु सेना के खिलाड़ियों की सम्मिलित टीम) की टीम संतोष ट्रॉफ़ी जीतने वाली पहली संस्थागत टीम बनी। प्रतियोगिता में वह 6 ख़िताबों के साथ सबसे सफल संस्थागत टीम भी हैं। इसके बाद रेलवे का नंबर आता है जिन्होंने 3 ख़िताब जीते हैं।

साल 1982-83 के सत्र में बंगाल और गोवा ने फ़ाइनल में 0-0 से ड्रॉ खेला था जिसके बाद दोनों टीमों ने ख़िताब साझा किया था। यह संतोष ट्रॉफ़ी का आज तक का पहला और एकमात्र संंस्करण था जिसमें दो टीमों ने ख़िताब साझा किया था।

संतोष ट्रॉफ़ी 2022-23 का फ़ाइनल सऊदी अरब के रियाद में खेला गया था और यह इस प्रतियोगिता के इतिहास में पहला मौक़ा था जब घरेलू चैंपियनशिप का फ़ैसला विदेशी जमीन पर किया गया। कर्नाटक ने 54 साल के लंबे इंतजार के बाद यह ख़िताब फ़ाइनल मैच में मेघालय को हराकर अपने नाम किया।

संतोष ट्रॉफ़ी विजेता

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