भारतीय महिला पिस्टल निशानेबाज मनु भाकर (Manu Bhaker) का मानना है कि टोक्यो 2020 में भाग लेना उनके लिए एक मौके की तरह है, जिसकी मदद से वह अपने प्रशंसकों की उम्मीद को सही साबित कर सकेंगी।
19 वर्षीय इस भारतीय निशानेबाज पर टोक्यो खेलों में भारत के लिए शीर्ष पदक दिलाने की उम्मीद काफी ज्यादा है, हालांकि ओलंपिक के आने से वह इस दबाव को महसूस कर रही है और फिलहाल मनु भाकर की कोशिश अपना लक्ष्य हासिल करने पर है।
Olympics.com से बात करते हुए मनु भाकर बताती हैं कि ‘’ओलंपिक ही सबकुछ है और मेरे लिए सब यहीं खत्म होता है, हां खेल में हिस्सा लेने से दबाव जरूर है लेकिन मुझे उस वक्त ज्यादा अच्छा लगता है जब लोगों का विश्वास मुझपर होता है यह मुझे मजबूत बनाता है। मै वास्तव में ऐसा करना चाहती हूं जिससे की लोग मुझ पर गर्व करें।’’
जी जान से : India’s Olympic Hope ग्रीष्मकालीन खेलों पर बने इस सीरीज में मनु भाकर ने अपने करियर के अब तक सफर के बारे में बताया, जिसमें अर्जेंटीना के ब्यूनस आयर्स 2018 में आयोजित युवा खेलों में स्वर्ण पदक जीतना शामिल है।
मनु भाकर बताती है कि "युवा ओलंपिक मेरे लिए बहुत मायने रखता है। यह मेरे लिए अब तक की सर्वश्रेष्ठ प्रतियोगिताओं में से एक थी। उस इवेंट की वजह से मुझे 'ओलंपियन' का टैग मिला। इससे मुझे खुशी मिलती है।’’
आगे बात करते हुए भारतीय पिस्टल शूटर बताती है कि ‘’विदेशी जमीन पर पदक से ज्यादा मेरे लिए मेरा राष्ट्रगान मायने रखता है, जिसे तब बजाया जाता है जब हमने कुछ पाया होता है और लोग इसके सम्मान में खड़े होते है यह वो क्षण होता है जो मेरे लिए सबसे खास होता है।’’
बता दें कि मनु भाकर हरियाणा के झज्जर में पली बढ़ी है, जो की कई चैंपियन एथलीट्स को पैदा करने के लिए जाना जाता है, इस वजह से इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं थी कि मनु भाकर को भी कम उम्र में ही खेलों में शामिल कर लिया गया था।
लेकिन शुरूआती दौर में यह युवा खिलाड़ी किसी तरह के अभ्यास से जुड़ी नहीं रही। उन्होने मुक्केबाजी, टेनिस, स्केटिंग यहां तक की थांग टा - मार्शल आर्ट में भी अपना हाथ आजमाया और विभिन्न स्तरों पर उनमें उत्कृष्ट प्रदर्शन किया।
19 वर्षीय खिलाड़ी बताती है कि ‘’वास्तव में मैने ये कभी नहीं सोचा था कि इतने सारे अलग अलग खेलों को अपनाने के बाद बिना किसी दूसरी सोच के साथ छोड़ देने पर मां और पिताजी क्या कहेंगे। मेरे लिए बस यही था कि जो मुझे पसंद है मै उसी के लिए आगे जाउंगी।’’
हंसते हुए मनु भाकर यह भी बताती हैं कि "स्कूल के समय मै अपनी क्लास में अक्सर देर से जाया करती थी और इसलिए टीचर मुझे बाहर खड़े होने के लिए कह देते थे, जिस वजह से मुझे खेलने के लिए और अधिक समय मिल जाया करता था, यह ( खेल) मुझे अपनी क्लास को छोड़ने का बहाना दे देते थे जो की मेरे लिए नया शौक बन गया था।"
लेकिन, 2016 में 14 साल की उम्र में पिस्तौल उठा लेने के बाद, मनु ने पीछे मुड़कर नहीं देखा।
विभिन्न स्तरों पर जीत हासिल करने के बाद मनु भाकर टोक्यो 2020 में एक और लक्ष्य को हासिल करने के लिए काफी उत्साहित हैं।