टेनिस , अक्सर इसे तीव्र और ऊर्जा का खेल कहा गया है। टेनिस कोर्ट भले ही बाकी खेलों के ग्राउंड से छोटा है लेकिन एक टेनिस खिलाड़ी बिना बेहतरीन फिटनेस के उस पर लगातार टिक नहीं सकता।
टेनिस का एक 3 सेट का मुकाबला औसतन 90 मिनट का होता है और यही एक वजह है कि टेनिस खिलाड़ी विश्व में सबसे ज़्यादा फिट एथलीटों में से एक होते हैं। 2010 विंबलडन में अमरीकी खिलाड़ी जॉन इस्नर और फ्रांस के निकोलस माहुत ने ऐसा खेल दिखाया जो फिटनेस, धैर्य और सहनशीलता का प्रतीक बना।
जॉन इस्नर बनाम निकोलस माहुत, 2010 विंबलडन
विंबलडन 2010 जॉन इस्नर बनाम निकोलस माहुत का मुक़ाबला टेनिस के इतिहास का सबसे लंबा मुकाबला बना।
इस मुकाबले को जॉन इस्नर ने 6-4, 3-6, 6-7, 7-6, 70-68 से अपने नाम किया और यह जीत 11 घंटे, 35 मिनट बाद नसीब हुई। टेनिस ने इससे पहले ऐसा मुकाबला कभी नहीं देखा था और इसका गवाह बना लंदन का ऑल इंग्लैंड ओपन कार्ड। यह प्रतिस्पर्धा कुल 3 दिन तक चली।
18 जून, 2010 इस्नर और माहुत ने पहले दिन 4 सेट खेले और ख़राब रोशनी की वजह से उन्हें खेल जल्दी रोकना पड़ा।
खिलाड़ियों ने अगले दिन कोर्ट पर वापसी की और पांचवें सेट की शुरुआत की और लगातार अपनी सर्विस को बरकरार रखते हुए देर रात तक खेले, प्राकृतिक रोशनी न होने की वजह से मैच को फिर से रोकने से पहले खिलाड़ियों को कई बार अपनी सर्व को रोकना पड़ा, जिसकी वजह से मैच को तीसरे दिन तक खींचा गया।
इसके बाद स्कोर बोर्ड पर स्कोर 47-47 था और यहां पर उस मशीन में खराबी दिखाई दी और स्कोर आगे नहीं बढ़ रहा था।
इस्नर और माहुत का टेनिस मुकाबला 24 जून तक पहुंच गया था, लगभग दोनों ओर से 100-100 सर्व लग चुकी थी। इस मुकाबले में कुल 168 सर्व को खिलाड़ियों द्वारा बचाया गया था।
अमरीकी खिलाड़ी ने माहुत की सर्व को 137वें गेम में तोड़ा और इसके बाद 138वें में यही कारनामा दोहराया और मुकाबला जीत कर दूसरे राउंड में प्रवेश किया। 5वां सेट पूरे 8 घंटे 11 मिनट चला।
दूसरे राउंड में जॉन इस्नर को डच खिलाड़ी थीमो डे बकर ने सीधे सेटों से मात दी। यह नसीब की बात थी कि जॉन इस्नर और निकोलस माहुत का मुकाबला 2010 विंबलडन में हुआ और इस बार अमरीकी खिलाड़ी ने सीधे सेटों से जीत को अपने खेमे में रखा।
जॉन इस्नर बनाम निकोलस माहुत मुकाबला एक रिकॉर्ड है और अब इस रिकॉर्ड को तोड़ना लगभग नामुमकिन है क्योंकि टेनिस के खेल में अब टाई-ब्रेकर का नियम आ गया है।
इस नियम से पहले ग्रैंड स्लैम इवेंट को जीतने के लिए एक खिलाड़ी को कम से कम प्रतिद्वंदी से दो गेम ज़्यादा मुकाबले जीतने होते थे (जिनमें कम से कम कुल 6 मुकाबले जीतने होते थे)।
हालांकि अब अलग-अलग ग्रैंड स्लैम में अलग नियम निर्धारित किए जाते हैं। ऑस्ट्रेलियन ओपन में अगर फाइनल सेट 6-6 से बराबर हो गया तो टाई-ब्रेकर को खेल में लाया जाता है और इसमें जिस खिलाड़ी ने पहले 10 अंक हासिल कर लिए उसे विजयी घोषित किया जाता है।
विंबलडन में अगर फाइनल सेट 12-12 से बराबर हो गया तो टाई-ब्रेकर के नियम को लागू किया जाता है और वहीं फ्रेंच ओपन अभी भी पुराने कायदे के अनुसार ही खेला जाता है।
सबसे लंबा टेनिस मैच
जॉन इस्नर बनाम निकोलस माहुत टेनिस इतिहास का सबसे लंबा टेनिस मैच रहा है और साथ ही मेंस सिंगल्स में भी सबसे लंबा मैच रहा है।
इतना ही नहीं बल्कि जॉन इस्नर टेनिस के टॉप 10 लंबे मुकाबलों में दो बार अपना नाम शुमार कर चुके हैं। जॉन इस्नर का मुकाबला केविन एंडरसन से हुआ था जिसे इस अमेरिकी खिलाड़ी ने 6-7, 7-6, 7-6. 4-6, 24-26 से अपने नाम कर इतिहास में अपना नाम भी दर्ज कर लिया। इस मैच को 6 घंटे ओत 36 तक खेला गया था।
यह मुकाबला इतिहास का चौथा सबसे लंबा मुकाबला और ग्रैंड स्लैम का दूसरा सबसे लंबा मुकाबला रहा ।
वूमेंस सिंगल्स में सबसे ज़्यादा देर तक चलने वाली प्रतिस्पर्धा 6 घंटे 31 मिनट तक चली थी और इसे खेलने वाली अमरीका की विकी नेल्सन और जीन हेपनर थीं। 1984 सेन्ट्रल फिडेलिटी बैंक इंटरनेशनल टूर्नामेंट के इस मुकाबले को विकी नेल्सन ने 6-4, 7-6 से अपने नाम किया था।
वहीं डबल्स प्रतिस्पर्धा में 2013 डेविस कप के दौरान सबसे बड़ा घमासान और लंबा मुकाबला आया। इसमें चेक रिपब्लिक के थॉमस बर्डिच और लुकास रोसोल ने स्विट्ज़रलैंड के स्टेनिस्लास वावरिंका और मार्को च्यूदिनेली को 6-4, 5-7, 6-4, 6-7, 24-22 से मात दी थी। यह मैच भी 7 घंटे और 2 मिनट तक चला था। यह टेनिस इतिहास का दूसरे नंबर का सबसे लंबा मुकाबला रहा है।