अपने शानदार फुटबॉल करियर में कई पुरस्कार और ख़िताब जीत चुके एफसी बार्सिलोना और अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम के स्टार फुटबॉलर लियोनेल मेसी का मानना है कि उनके लिए 2008 बीजिंग ओलंपिक खेलों का गोल्ड मेडल सबसे ख़ास है।
अर्जेंटीना के स्टार खिलाड़ी मेस्सी UEFA चैंपियंस लीग विजेता, 10 बार के लालीगा चैंपियन, छह बार के बैलोन डी'ओर हासिल करने वाले और साथ ही फीफा यू-20 विश्व कप विजेता हैं।
लियोनेल मेस्सी ने 2017 में स्पेनिश एस्क्वायर को दिए एक इंटरव्यू के दौरान कहा था, “2008 में ओलंपिक गोल्ड मेरे लिए वह जीत है जिसे मैं सबसे अधिक महत्व देता हूं। क्योंकि यह वह टूर्नामेंट है जो आप अपने जीवन में केवल एक बार खेल सकते हैं और इसमें विभिन्न खेलों के कई एथलीट शामिल होते हैं।”
यहां हम लियोनेल मेसी के ओलंपिक गोल्ड जीतने के रोमांचक सफर के हर एक पहलू से आपको रूबरू कराएंगे जो कि बहुत दिलचस्प है।
मेसी का बीजिंग ओलंपिक सफर
कोपा अमेरिका 2007 में ब्राज़ील से दिल टूटने वाली मिली हार के बाद, ला लिगा 2007-08 का खिताब रियल मैड्रिड ने जीत लिया और उसी साल की शुरुआत में चैंपियंस लीग का ताज उसकी चिर प्रतिद्वंद्वी मैनचेस्टर यूनाइटेड ने क्रिस्टियानो रोनाल्डो की अगुवाई में जीत लिया था। यह सब देखकर मेसी सोच में पड़ गए थे।
तब 21 वर्षीय ने बीजिंग ओलंपिक को वापसी करने के एक सही मंच के तौर पर देखा। हालांकि, इसमें कई बाधाएं आईं।
ओलपिक खेलों के नज़दीक आने के साथ ही इसमें उनके भागीदारी करने की अनिश्चितताएं काफी बढ़ गईं थीं। अर्जेंटीना फुटबॉल एसोसिएशन (AFA) और बार्सिलोना के बीच अंदर ही अंदर इस युवा खिलाड़ी की भागीदारी को लेकर खींचतान चल रही थी। जिसने मेसी और उनके सभी प्रशंसकों की सासों को रोक दिया था।
बार्सेलोना के चैंपियंस लीग क्वालिफायर्स के साथ ओलंपिक खेलों का शेड्यूल टकरा रहा था। महज़ एक महीने का समय बचे होने की वजह से कैटलन दिग्गज अपने स्टार खिलाड़ियों को रोककर रखने की कोशिश कर रहा था। ऐसे में लियोनेल मेसी के बीजिंग ओलंपिक में हिस्सा लेने की संभावनाएं काफी कम लग रही थीं।
पेप गार्डियोला ने मदद को बढ़ाए हाथ
हालांकि, बार्सिलोना के नए मैनेजर के तौर पर पेप गार्डियोला की नियुक्ति ने चीजों को बदल दिया।
एक इंटरव्यू के दौरान लियोनेल मेसी ने याद करते हुए कहा, “पेप ने मेरा बहुत साथ दिया, क्योंकि कोई भी मुझे नेशनल टीम के साथ ओलंपिक में नहीं ले जाना चाहता था, लेकिन मैं जाना चाहता था। वही थे, जिन्होंने मुझे अनुमति दी थी।”
उन्होंने आगे कहा, “मुझे याद है कि हम प्री-सीज़न के लिए इटली में थे और फियोरेंटीना के खिलाफ एक दोस्ताना मैच के बाद उन्होंने मुझे पकड़ लिया और कहा, 'तुम जाना चाहते हो, हां या नहीं?' मैंने कहा हां मैं जाना चाहता हूं।”
1992 के ओलंपिक खेलों में स्पेन के साथ ओलंपिक स्वर्ण पदक जीत चुके पेप गार्डियोला ने इस बड़े मंच पर लियोनेल मेसी के खेलने की इच्छा को समझा।
प्री-सीज़न के अगले चरण के लिए जब बार्सिलोना टीम ने यूनाइटेड स्टेट्स की यात्रा की तो वहीं से लियोनेल मेसी ने अर्जेंटीना के कोच सर्जियो बतिस्ता के साथ ओलंपिक खेलों की तैयारी के लिए अपनी टीम के साथियों के साथ बीजिंग के लिए उड़ान भरी।
बार्सिलोना मैनेजमेंट उस वक़्त भी इस मुद्दे पर अपना विरोध कर रहा था, लेकिन न्यूयॉर्क में पेप गार्डियोला ने लियोनेल मेसी को टीम में बने रहने देने के लिए तत्कालीन क्लब प्रेसिडेंट जोआन लापोर्टा को मना लिया।
बीजिंग ओलंपिक फुटबॉल गोल्ड मेडल
अपनी राह को साफ करने के साथ लियोनेल मेसी 7 अगस्त, 2008 को पहली बार ओलंपिक मैदान में उतरे। डोनिग नंबर 15 के साथ यह जादूगर खेल के सबसे बड़े मंच पर अपना जलवा बिखेरने के लिए उतरा।
ग्रुप स्टेज
खचाखच दर्शकों से भरे शंघाई स्टेडियम में लियोनेल मेसी ने ग्रुप-ए में आइवरी कोस्ट के खिलाफ ओलंपिक खेलों में अपनी टीम के लिए गोल करते हुए शानदार शुरुआत की।
हाफ-टाइम की सीटी बजने से एक मिनट पहले उन्होंने जुआन रोमन रिकेल्मे से मिले एक लॉन्ग पास गेंद के ज़रिए अपने मार्कर को पीछे छोड़ते हुए वह आइवरी कोस्ट के गोलकीपर विंसेंट एंगबन को चकमा देकर अर्जेंटीना को बढ़त दिलाने के लिए तेजी से आगे बढ़े।
53वें मिनट में सेको सिस्से ने स्कोर बराबर कर दिया, लेकिन समय ख़त्म होने में 5 मिनट बाकी होने के साथ ही मेसी ने फिर कमाल कर दिया और सब्स्टीट्यूट के तौर पर आए लुतारो अकोस्टा को असिस्ट करते हुए उन्होंने टीम को 3 अंकों की लीड हासिल करने में मदद की।
ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ अर्जेंटीना के दूसरे मैच में लियोनेल मेसी ने एज़ेकिएल लवेज़ी के लिए 76वें मिनट में विजेता बनने की ओर रुख करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। जिसने अंततः ऑस्ट्रेलियाई गोलकीपर एडम फेडेरिसी के नेतृत्व में सोकेरो के मज़बूत डिफेंस को तोड़ने में सफलता हासिल की।
नॉक-आउट चरणों में क्वालिफिकेशन के बारे में पता चलने के साथ ही लियोनेल मेसी को सर्बिया के खिलाफ अंतिम ग्रुप स्टेज मुक़ाबले में आराम दिया गया था।
क्वार्टर-फाइनल
क्वार्टर फाइनल में मेसी का मुक़ाबला रॉय मकाए के नेतृत्व वाली डच टीम के खिलाफ था।
लियोनेल मेसी ने 14वें मिनट में टूर्नामेंट के सबसे बेहतरीन गोल में से एक को अंजाम दिया। क्योंकि उन्होंने डच डिफेंडरों के जोड़े को पीछे छोड़ते हुए विरोधी खेमे में एक शानदार तिरछा गोल दागकर सभी को हैरान कर दिया था।
ओटमैन बाक्कल की 36वें मिनट में की गई एक स्ट्राइक ने मुक़ाबले को अतिरिक्त समय की ओर ढ़केल दिया, लेकिन लियोनेल मेसी इस अंतर को फिर से बढ़ाने के लिए पूरी तरह से तैयार थे।
पंद्रह मिनट के अतिरिक्त समय में बार्सिलोना की टीम से एंजेल डि मारिया के एक लम्बे पास के ज़रिए विंगर ने जीत वाला गोल दागकर मुक़ाबले को अपने नाम कर लिया।
ब्राजील के खिलाफ फुटबॉल सेमीफाइनल
सेमीफाइनल में अर्जेंटीना का सामना उनकी कट्टर प्रतिद्वंद्वी ब्राज़ील के खिलाफ होना था, जिसमें मार्सेलो, अलेक्जेंडर पैटो, थियागो सिल्वा, राफिन्हा और सबसे महत्वपूर्ण खिलाड़ी रोनाल्डिन्हो शामिल थे – ये लियोनेल मेसी के मार्गदर्शक और एफसी बार्सिलोना के पूर्व खिलाड़ी की पहली पसंद थे।
हालांकि, इस मुक़ाबले का बेसब्री से इंतज़ार कर रहे लोगों को थोड़ी निराशा हाथ लगी, क्योंकि यह मैच एकतरफा हो गया। अर्जेंटीना ने सर्जियो अगुएरो ब्रेस और जुआन रिकेल्म की पेनाल्टी की वजह से उसे 3-0 से बूरी तरह हरा दिया।
इस मैच के बाद लियोनेल मेसी की छवि में बड़ा बदलाव देखने को मिला। अपने आदर्श के खिलाफ़ किए गए इस शानदार प्रदर्शन की वजह से उन्हें काफी सराहा गया। विशेष तौर पर सोशल मीडिया पर फुटबॉल प्रशंसकों के बीच वह एक शक्तिशाली और जबरदस्त फुटबॉलर बनकर उभरे।
यह विश्व फुटबॉल में एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मशाल सौंपने के प्रतीक जैसा था। एक महान खिलाड़ी अपने सामने दूसरे महान खिलाड़ी को उभरता हुआ देख रहा था।
नाइजीरिया के खिलाफ फुटबॉल फाइनल
गोल्ड मेडल राउंड में मेसी और उनकी टीम का सामना नाइजीरिया से था। दोनों टीमें एक-दूसरे को काफी बेहतर ढ़ंग से जानती थीं। अधिकांश खिलाड़ी 2005 के U-20 विश्व कप फाइनल में पहले एक-दूसरे का सामना कर चुके थे।
डिएगो माराडोना की एल्बिकेलस्टे के लिए 2-0 की भविष्यवाणी के बावजूद यह मैच आसान नहीं था।
बीजिंग के नेशनल स्टेडियम में भयंकर गर्मी के बीच बर्ड्स नेस्ट के नाम से लोकप्रिय सुपर ईगल्स को हराना एक कठिन काम साबित हो रहा था, लेकिन मेसी का जादू चलने के बाद सबकुछ आसान हो गया।
एक घंटे से ठीक थोड़ा पहले लियोनेल मेसी ने अपने हाफ में गेंद को हासिल किया और किसी हेयर-पिन की तरह एक शानदार पास किया और एंजेल डि मारिया ने उसका पूरा फायदा उठाया।
लैंकी विंगर ने गेंद लपकते हुए नाइजीरियाई कीपर अम्ब्रूस वेंजेकिन के ऊपर से गेंद को निकालते हुए एक शानदार गोल दागा।
इस मुक़ाबले के दौरान दोनों ही गोल और उसमें की जाने वाली सहायता गोल्ड मेडल के योग्य थे और अर्जेंटीना ने मुक़ाबला जीतकर कमाल कर दिया।
अर्जेंटीना और लियोनेल मेसी को आखिरकार कुछ बड़ा करके दिखाना ही था!
मेसी ने 2016 में ईएसपीएन से बात करते हुए कहा था, “विश्व कप बहुत अच्छा है, लेकिन ओलंपिक कुछ ख़ास हैं।"
ओलंपिक में दोबारा नहीं खेल सके
खेलों के प्रति अपने प्यार के बावजूद, 2008 में उनकी उपस्थिति, आज तक, लियोनेल मेसी की ओलंपिक में एकमात्र उपस्थिति है।
लंदन 2012 के संस्करण के लिए अर्जेंटीना क्वालीफाई नहीं कर सका था। जिससे मेसी को स्वर्ण पदक डिफेंड करने का अवसर नहीं मिला।
रियो 2016 में, लियोनेल मेसी खेलने के लिए उत्सुक थे, लेकिन अर्जेंटीना की राष्ट्रीय टीम के तत्कालीन कोच गेरार्डो मार्टिनो ने 2018 विश्व कप क्वालीफायर को ध्यान में रखते हुए उन्हें आराम देने का विकल्प चुना।
लियोनेल मेसी को टोक्यो 2020 के लिए नहीं चुना गया, जो एक सफल कोपा अमेरिका अभियान के ठीक दो सप्ताह बाद आयोजित किया गया था, जिसमें अर्जेंटीना ने आयु-सीमा प्रतिबंधों से परे केवल एक खिलाड़ी भेजा था। वह पेरिस 2024 में भी शामिल नहीं हुए।