हैट्रिक हीरो बिद्यासागर सिंह मणिपुर को पहला आई-लीग ख़िताब दिलाने के लिए बेक़रार

इस सीज़न 11 गोल के साथ TRAU FC के स्ट्राइकर बिद्यासागर सिंह आई-लीग के इस सीज़न में सबसे लाजवाब हैं।

3 मिनटद्वारा सैयद हुसैन
Bidyasagar Singh. Photo: I-League Media

इंडियन सुपर लीग (Indian Super League) के बीच धुंधली पड़ी आई-लीग (I-League) की चमक एक बार फिर झलक रही है, इसकी वजह है कुछ अद्भुत खिलाड़ी और उनके प्रदर्शन।

उभरते हुए भारतीय फ़ुटबॉल खिलाड़ियों के लिए आई-लीग की क्या अहमियत है, ये अगर किसी से जानना है तो फिर TRAU FC के स्ट्राइकर बिद्यासागर सिंह (Bidyashagar Singh) के दिल से जानिए।

बुधवार को बिद्यासागर ने एक ऐसी उपलब्धि हासिल की जो आज तक आई-लीग के इतिहास में किसी ने न सुना था और देखा था। बिद्यासागर लगातार दो आई-लीग के मैचों में हैट्रिक लगाने वाले पहले खिलाड़ी बन गए।

5 मार्च को इस 23 वर्षीय फ़ुटबॉलर ने मोहमेडन स्पोर्टिंग (Mohammedan Sporting) के ख़िलाफ़ हैट्रिक लगाई थी और पांच दिन बाद इस मणिपुरी स्टार ने रियल कश्मीर एफ़सी (Real Kashmir FC) के ख़िलाफ़ दोबारा हैट्रिक लगाते हुए अपनी टीम TRAU FC को 3-1 से जीत दिलाई।

इस प्रतियोगिता में अब तक इस खिलाड़ी ने 11 गोल दागे हैं और उनके इस प्रदर्शन ने उन्हें गोल्डेन बूट की दौड़ में सबसे आगे खड़ा कर दिया है।

बिद्यासागर ने इस उपबलब्धि पर हर उस शख़्स को याद किया जिसने उन्हें यहां तक पहुंचाने में योगदान दिया है। इस फ़ेहरिस्त में पूर्व भारतीय महिला फ़ुटबॉलर का नाम भी शामिल है, जी हां एक महिला। आई-लीग के साथ बातचीत में उन्होंने इसके लिए प्रमेशवोरी देवी (Prameshwori Devi) का भी धन्यवाद दिया।

“मैं इस उपलब्धि को अपने परिवार को समर्पित करना चाहूंगा और साथ ही साथ मेरी पहली कोच प्रमेशवोरी देवी को। उन दिनों में वह ख़ुद भारतीय महिला फ़ुटबॉल टीम का हिस्सा थीं, और वह मेरे लिए प्रेरणास्रोत हैं।“

बिद्यासागर के पिता का था बड़ा योगदान

मणिपुर के छोटे से गांव समारम मेयाई लिकाई में एक किसान परिवार में जन्म लेने वाले बिद्यासागर के लिए फ़ुटबॉलर बनना किसी सपने की तरह था।

लेकिन उनके पिता जो ख़ुद कभी फ़ुटबॉल खेलना चाहते थे, उन्होंने अपने पुत्र का हर क़दम पर साथ दिया।

ऑल इंडिया फ़ुटबॉल फ़ेडरेशन की वेबसाइट को दिए गए एक इंटरव्यू में बिद्यासागर ने उन दिनों को याद किया।

“शुरुअत में मेरे लिए फ़ुटबॉल के जूतों के लिए भी पैसा नहीं होता था, कई बार मैं अपने परिवार का हाथ बंटाने खेत भी जोतने जाता था। मेरे पिता एक फ़ुटबॉलर बनना चाहते थे लेकिन तब मेरे दादा जी इसके ख़िलाफ़ थे। जब मेरे पिता को ये पता चला कि मैं भी फ़ुटबॉल में करियर बनाना चाहता हूं तो उन्होंने मेरा समर्थन किया।“

कोलकाता के साथ बिद्यासागर

बिद्यासागर ने चार साल ईस्ट बंगाल (East Bengal) के साथ समय बिताया है, वह मानते हैं कि ये ऐसा समय था जिसने उन्हें बहुत कुछ सिखाया।

“मैंने ईस्ट बंगाल के साथ रहते हुए बहुत कुछ सीखा, देश के सबसे बड़े क्लब में से एक है ईस्ट बंगाल। और मैं शिलॉन्ग लाजोंग के ख़िलाफ़ लगाए गए गोल को कभी नहीं भूल सकता, आई-लीग में मेरा वह पहला गोल था और हमेशा वह मेरे दिल के सबसे क़रीब रहेगा।“

2020-21 के इस सीज़न में बिद्यासागर का ख़्वाब है कि वह मणिपुर की इस टीम को आई-लीग का ख़िताब दिलाएं।

“इस साल आई-लीग अगर जीत गए तो फिर इससे ज़्यादा शानदार और कुछ नहीं। मणिपुर के फ़ैन्स और लोग बेहद ख़ुश होंगे क्योंकि आज तक मणिपुर के किसी भी क्लब ने आई-लीग नहीं जीता है।“