भारतीय फुटबॉल की अगली पीढ़ी: युवा खिलाड़ियों पर डालें एक नज़र

प्रतिभाशाली युवाओं की बदौलत भारतीय फुटबॉल का भविष्य उज्जवल हाथों में दिखाई दे रहा है।

7 मिनटद्वारा जतिन ऋषि राज
Indian players from the 2017 FIFA U-17 World Cup are coming to the fore in the senior levels.

सीनियर फीफा विश्व कप के लिए क्वालीफाई करना, ओलंपिक में वापस आना, एशिया की शीर्ष 10 टीमों में शामिल होना भारतीय फुटबॉल ने भविष्य के लिए कुछ बड़े लक्ष्य निर्धारित किए हैं।

हाल ही की भारतीय फुटबॉल टीम सुनील छेत्री, संदेश झिंगन और गुरप्रीत सिंह संधु जैसे काबिल खिलाड़ी हैं और इन्होंने पिछले कई वर्षों से अपने खेल के ज़रिए लोगों का दिल तो जीता है और साथ ही इस खेल को भारत में भी ऊंचा दर्जा भी दिलाया है।

आज नहीं तो कल, भारतीय युवा कंधों पर इस टीम को आगे ले जाने की ज़िम्मेदारी होगी और उन्हें ही भारतीय फुटबॉल में वह सब करना होगा जिसकी नींव पिछले बहुत सालों से रखी जा चुकी है।

आइए देखते हैं कि अंडर 21 से कौन से ऐसे भारतीय फुटबॉलर हैं जो आगे चल कर इस खेल को भारतीय ज़मीन पर और ज़्यादा रोशन कर सकते हैं।मे

अमरजीत सिंह कियाम

(AIFF)

भारत की 2017 फीफा अंडर-17 विश्व कप टीम के कप्तान, मणिपुर के अमरजीत सिंह कियाम, अपनी पीढ़ी के सर्वश्रेष्ठ भारतीय फुटबॉल खिलाड़ियों में से एक हैं।

आई-लीग में एआईएफएफ के विकासात्मक भारतीय पक्ष के लिए खुद को साबित करने के बाद, अमरजीत ने 2019-20 के अभियान में जमशेदपुर एफसी के लिए शानदार प्रदर्शन करते हुए इंडियन सुपर लीग (ISL) में जगह बनाई।

फिट होने पर अमरजीत जून 2019 में थाईलैंड में ऐतिहासिक किंग्स कप में भारत की शुरुआत करने के बाद से इगोर स्टिमैक की सीनियर राष्ट्रीय टीम में पसंदीदा खिलाड़ी हैं। फील्ड पर मानों इस युवा का जोश देखते ही बन रहा था और डिफेंसिव मिड-फील्डर से वह जल्द ही बॉक्स-टू-बॉक्स खिलाड़ी बन गए।

इस शानदार खिलाड़ी की ख़ासियत ही अपने प्रतिद्वंदी को चकमा दे कर उसके खेमे में घुसकर गोल करने की है। माना जाता है कि उनका यह तरीका इटली के वर्ल्ड कप विजेता डेनियल डी रॉस से मेल खाता है।

अमरजीत को जो चीज़ अलग बनाती है वह किसी भी खेमे की कप्तानी करना है, फिर चाहे वह सीनियर टीम हो या जूनियर टीम, यह खिलाड़ी कभी भी किसी भी टीम को लीड कर सकता है।

भारतीय फुटबॉल के कप्तान सुनील छेत्री ने बातचीत के दौरान कहा “अमरजीत की उर्जा हम सभी तक पहुँचती है। वह एक ऐसे खिलाड़ी हैं जो सभी के लिए एक उदाहरण हैं।”

“अगर आप उन्हें एक दीवार से तीन घंटे की लड़ाई करने के लिए कहते हैं तो वह उस दीवार से तीन घंटे तक लड़ते रहेंगे।”

अमरजीत सिंह को भारतीय फुटबॉल के एक उभरते हुए चेहरे के रूप और एक कप्तान की नज़र से देखा जाता है।

जीकसन सिंह

अमरजीत के ही परिवार से ताल्लुक रखने वाले जीकसन सिंह ने 2017 FIFA U-17 वर्ल्ड कप के दौरान सुर्खियां बटोरीं थी। भारतीय टीम ने पूरे संस्करण में एक ही गोल दागा था और वह जीकसन सिंह के बूट से कोलंबिया एक खिलाफ आया था। आज भी 2017 FIFA U-17 World Cup इकलौते भारतीय फुटबॉलर हैं जिन्होंने FIFA में गोल मारा है।

6’1 जैसे लंबे कद काठी के FIFA चंडीगढ़ फुटबॉल अकादमी से निकले हैं। हालांकि इंडियन एरोज़ में इस खिलाड़ी का किरदार छोटा ही रहा था।

सेंट्रल मिडफील्डर ने ISL में भी अपने कदम रख लिए हैं और अब वह कोच एल्को शाटोरी की टीम केरला ब्लास्टर्स का अहम हिस्सा हैं।

आईएसएल 2021-22 में, केरला ब्लास्टर्स को फाइनल में पहुंचाने में जैकसन सिंह की अहम भूमिका थी।

इतना ही नहीं बल्कि नाइजीरिया के वर्ल्ड कप विजेता और पेरिस सेंट-जर्मैन के स्टार खिलाड़ी बर्थोलोमेव ओगबेक भी जीकसन से काफी प्रभावित हुए। ग़ौरतलब है कि बर्थोलोमेव ओगबेचे केरला ब्लास्टर्स के कप्तान भी हैं।

अब भारतीय फुटबॉल राष्ट्रीय टीम के दरवाज़े पर खड़े इस युवा खिलाड़ी के पास हर वह खूबी है, जिससे वह इस टीम का दरवाज़ा जल्द ही खोल दें।

धीरज सिंह मोइरंगथम

मणिपुर से एक और युवा खिलाड़ी हैं जिनके कंधे भारतीय फुटबॉल का गर्व उठाने के लिए तैयार हो रहा है। धीरज सिंह मोइरंग 2017 FIFA U-17 वर्ल्ड कप का एक अहम हिस्सा थे और आगे चल कर वह भारतीय फुटबॉल के बेहतरीन गोलकीपरों की फ़ेहरिस्त में जुड़ सकते हैं।

यूथ वर्ल्ड कप में शानदार प्रदर्शन दिखाने के बाद के कदम स्कॉटिश प्रीमियर-शिप मदरवेल एफसी की ओर बढ़ भी बढ़े थे। हालांकि वर्क पर्मिट की वजह से यह तीन साल का करार पूरा न हो सके।

हालांकि, धीरज ने आईएसएल की टीम केरला ब्लास्टर्स, एटीके (अब एटीके मोहन बागान) और एफसी गोवा के लिए खेलते हुए खुद को आगे बढ़ाना जारी रखा है।

एएफसी चैंपियंस लीग (ACL) 2021-22 में एफसी गोवा के लिए खेलते हुए मणिपुरी गोलकीपर ने खासतौर से प्रभावशाली प्रदर्शन किया।

एसीएल में पहली बार भारतीय टीम ‘द गौर्स’, ग्रुप स्टेज से आगे नहीं बढ़ सकी। लेकिन युवा खिलाड़ी धीरज फिर भी चर्चा का केंद्र रहे। जिसने उन्हें एएफसी चैंपियंस लीग 2021-22 सीज़न की टीम में जगह दिलाई। वह हमेशा के लिए यह सम्मान हासिल करने वाले पहले भारतीय बने रहेंगे।

भारत के पहली पसंद गोलकीपर गुरप्रीत सिंह संधू के साथ अभी भी 30 साल से कम उम्र के बैकअप कस्टोडियन अमरिंदर सिंह के साथ, धीरज को सीनियर भारतीय टीम में जगह बनाने में अभी भी कुछ समय लग सकता है। लेकिन धीरज अभी उम्र में काफी कम हैं और निश्चित रूप से यह उनके पक्ष में है।

मोहम्मद नवाज़

जहां U-17 विश्व कप ने धीरज के करियर को प्रोत्साहन दिया वहीं मोहम्मद नवाज़ को खेलने का मौका ही नहीं मिला। हालांकि असल खिलाड़ी वही है जो अपने खल से हर चीज़ को अपने पक्ष में डाल ले।

2017 अंडर-17 वर्ल्ड कप में एक बड़े मौके से चूकने के बाद दृढ़ संकल्प युवा गोलकीपर ने तेजी से प्रगति की है। उन्होंने खुद को एफसी गोवा और मुंबई सिटी एफसी जैसी कई आईएसएल टीमों के लिए पहली पसंद के गोलकीपर के रूप में स्थापित किया है।

अपने छोटे फ्रेम के बावजूद, नवाज के पास असाधारण तरीके से गोलकीपिंग करने की क्षमता है, जो उन्हें एक अविश्वसनीय शॉट-स्टॉपर बनाती है। नवाज़ अपने पैरों के साथ भी अच्छे प्रदर्शन करते हैं, जो उन्हें फुटबॉल का एक बेहतर खिलाड़ी बनाती है। इसीलिए वह भारतीय पक्ष के बीच तेजी से लोकप्रिय हो रहे हैं।

अभी नवाज बेहद कम उम्र के हैं, इसलिए उनके आगे का भविष्य उज्ज्वल नज़र आता है।

सुमित राठी

सुमित राठी का हट्टी और जुझारू जज़्बा उन्हें बहुत हद तक जेमी वार्डिस्के की तरहपहचान दिलाता है।

2019 की शुरुआत में बहुत कम भारतीय फुटबॉल प्रशंसक इस सेंट्रल डिफेंडर का नाम जानते थे लेकिन साल बीतने के बाद और 2020 शुरू होने के बाद सुमित राठी का नाम हर प्रशंसक की ज़ुबान पर था। ATK मोहन बागान की ओर से खेलते हुए सुमित राठी ने कम समय में बहुत नाम बना लिया है।

पिछले साल ATK मोहन बागान बी टीम का हिस्सा रहे राठी को कोच एंटोनियो लोपेज हाबास ने ISL डेब्यू ओड़िसा एफसी के खिलाफ कराया। उस मुकाबले में सुमित राठी ने दूसरे भाग में दिग्गज अनस एडाथोडीका की जगह ली थी और तब से लेकर आज तक इस खिलाड़ी ने पलट कर नहीं देखा।

भारतीय नेशनल टीम के खिलाड़ी अनस को काफी समय तक क्लब से बाहर रखने के बाद सुमित राठी ने ATK की खिताबी जीत में अहम भूमिका निभाई।

इसके बाद राठी को ISL एमर्जिंग प्लेयर ऑफ़ द ईयर का खिताब भी मिला जो कि किसी भी युवा खिलाड़ी को प्रेरणा देने के लिए काफी है। अपनी उम्र के हिसाब से राठी के खेलने का अंदाज़ परिपक्व है और यही कारण उन्हें बाकी खिलाड़ियों से बेहतर बनाता है। 2019-20 सेमी-फाइनल के दौरान बैंगलूरू एफसी के खिलाफ राठी द्वारा कुछ ग़लतियां ज़रूर हुईं थी जिस वजह से आशिक ने मुकाबले के पहला गोल जड़ा था।

करो या मरो की स्थिति में ऐसी त्रुटियां किसी भी खिलाड़ी को बिखेरने के लिए काफी हैं लेकिन मुकाबले के अंत तक राठी मानों एक अलग ही खिलाड़ी के रूप में उभरे। उनके इसी अंदाज़ ने उनकी टीम ATK को फाइनल तक पहुंचाने में मदद की।

भारतीय युवा फुटबॉल खिलाड़ी: जिन पर सबकी नज़रें

इन पांचों के अलावा, बेंगलुरु एफसी के नौरेम रोशन सिंह (2021-22 में आईएसएल इमर्जिंग प्लेयर के विजेता), सुरेश सिंह वांगजाम, केरल में जन्मे स्ट्राइकर राहुल केपी, नरेंद्र गहलोत, कोमल थाटल, मनवीर सिंह, शुभम सारंगी, रोहित दानू विक्रम प्रताप सिंह अन्य युवा भारतीय फुटबॉल खिलाड़ी हैं, जिनपर सबकी नजरे होंगी।