पैरालंपिक पदक विजेता निषाद कुमार: अब एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप होगा अगला लक्ष्य

टोक्यो पैरालंपिक में हाई जंप में सिल्वर मेडल जीतने वाले निषाद कुमार ने जीवन में भले ही काफी देर से खेल में अपने कदम रखे लेकिन उन्होंने सफलता जल्दी ही हासिल कर ली।

6 मिनटद्वारा लक्ष्य शर्मा
Nishad Kumar
(Paralympic Committee of India)

पिछले महीने टोक्यो 2020 पैरालंपिक में सिल्वर मेडल जीतने वाले निषाद कुमार (Nishad Kumar) की पहली प्रतिक्रिया अपने पदक जीतने पर विश्वास नहीं करने पाने पर रही।

निषाद ने हंसते हुए कहा, "मैंने तकनीकी अधिकारी से चार बार पूछा कि क्या मैंने वास्तव में इसे जीत लिया और फिर मुझे अंत में एहसास हुआ कि मैंने अपने पहले पैरालंपिक में रजत पदक जीत लिया है।"

निषाद कुमार ने टी -47 मेंस हाई जंप में 2.09 मीटर का निशान पार करने की कोशिश की लेकिन वह और असफल रहे। T47 कोहनी के नीचे या कलाई के विच्छेदन या इम्पेयरमेंट वाले प्रतियोगियों के लिए एक श्रेणी है।

हालाँकि, निषाद ने 2.06 मीटर के बार सेट को पार करते हुए अपने वर्ग में एशियन रिकॉर्ड की बराबरी की थी। इसी के साथ उन्होंने संयुक्त राज्य अमेरिका के डलास वाइज (Dallas Wise) के साथ सिल्वर मेडल साझा किया क्योंकि दोनों ही खिलाड़ियों के समान अंक थे।

निषाद के लिए पिछला कुछ समय काफी कठिन रहा था। इस दौरान वह दो बार कोरोना पॉजिटिव हुए, वहीं उन्हें एक साल तक अपने घर से दूर भी रहना पड़ा।

निषाद ने कहा, "टोक्यो में उतरते ही मैं आत्मविश्वास महसूस कर रहा था। मैं, मेरे कोच और भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) सभी ने इस पदक के लिए बहुत मेहनत की, मुझे बहुत खुशी हो रही है कि मैं इसे जीतने में सफल हो पाया।”

(Getty Images)

देर से रखे पैरा-स्पोर्ट्स में अपने कदम

जब वे सात साल के थे, तब निषाद कुमार का एक बुरा एक्सीडेंट हो गया था। उस दौरान उनका दाहिना हाथ पता नहीं कैसे घर में चारा काटने वाली मशीन में फंस गया था।

जिसके बाद उन्हें नजदीकी अस्पताल ले जाया गया और अंत में उन्हें अपना एक हाथ गंवाना पड़ा।

इतनी कम उम्र में एक भीषण दुर्घटना किसी को भी अंदर से हिला सकती थी लेकिन सौभाग्य से निषाद कुमार को खेल और एथलेटिक्स ने उन्हें इससे बचा लिया।

निषाद कुमार ने कहा कि "अक्सर कहा जाता है कि हरियाणा के लोगों की रगों में खेल होता है। जब मेरी मां छोटी थी तब वह एक खिलाड़ी थीं और मैं नौ साल का था तो उन्होंने मुझे इसे आगे बढ़ाने के लिए प्रेरित किया।”

युवा निषाद को जल्दी ही इसका फायदा भी मिला और उन्होंने जल्द ही राष्ट्रीय स्कूल खेलों में हाई जंप में सिल्वर मेडल अपने नाम किया।

हालाँकि, साल 2017 में स्मार्टफोन पर हाथ आने और यूट्यूब वीडियो देखने के बाद उन्होंने पैरा-एथलेटिक्स में हाथ आजमाया।

निषाद कुमार ने खुलासा किया कि “मुझे पैरा-स्पोर्ट्स के बारे में पता नहीं था क्योंकि इसके बारे में ज्यादा खबरें नहीं थीं, और गांवों में तो वैसे ही ज्यादा पता नहीं चलता था। साल 2017 में, अंडर -19 नेशनल से पहले, मैंने स्टेट इवेंट में भाग लिया और 3,500 रुपये (लगभग USD46) ईनाम के रूप में जीते। ”

इसके अलावा उन्होंने कहा कि “इसलिए मेरे परिवार ने मुझे उस पैसे से एक स्मार्टफोन दिलाया क्योंकि मैं देशवासियों के लिए घर से दूर जा रहा था। तभी मैंने यूट्यूब पर कुछ वीडियो देखे और कुछ लोगों ने मुझसे कहा कि मैं पैरा-स्पोर्ट्स में भाग ले सकता हूं।”

स्मार्टफोन के हाथ में आते ही निषाद कुमार को टोक्यो 2020 मेंस हाई जंप चैंपियन कतर के मुताज़ एसा बर्शिम (Mutaz Essa Barshim) के रूप में एक नई प्रेरणा मिली।

निषाद ने कहा “जब मैंने उनके प्रदर्शन के वीडियो देखे तो मैं तुरंत मुताज़ से प्रेरित हो गया। मुझे लगा कि मेरी ऊंचाई समान भी उतनी ही थी इसलिए इसने मुझे विश्वास दिलाया कि मैं भी ऐसा कर सकता हूं। वह तीन बार के ओलंपिक पदक विजेता हैं और निश्चित रूप से मेरी खेल प्रेरणा हैं।”

साई में ट्रेनिंग

निषाद कुमार 2017 में प्रशिक्षण के लिए हरियाणा के पंचकुला में शिफ्ट हो गए और अगले साल उन्होंने राष्ट्रीय पैरा एथलेटिक्स चैंपियनशिप में हाई जंप में सिल्वर मेडल जीता।

इसके बाद उन्होंने जल्द ही बेंगलुरु में स्थित SAI परिसर में प्रशिक्षण शुरू किया और वहां मिली सुविधाओं से वह शुरुआत में काफी चौंक गए थे। हालांकि, निषाद कुमार को जल्द ही इसकी आदत हो गई

भारतीय एथलीट ने बताया कि “साई के पास एक अच्छा जिम था और उन्होंने मुझे सख्त डाइट का पालन करवाया। मेरे पास पहले कभी कोई फिजियो नहीं था लेकिन वहां इसकी कमी भी नहीं थी, इसने मुझे ठीक होने में बहुत मदद की।”

निषाद ने हंसते हुए कहा कि “मेरे पास प्रशिक्षण के लिए एक निर्धारित टाइम टेबल था। सुबह कुछ घंटे और फिर दोपहर में। वास्तव में, मैंने कई बार बहुत अधिक प्रशिक्षण लिया और कोच अक्सर मुझे ऐसा करने के लिए मना करते थे।"

सख्त शेड्यूल के कारण वह घर भी नहीं जा पाते थे हालांकि इस दौरान उन्हें साई से काफी सपोर्ट मिला। खासकर साल 2020 अक्टूबर में जब निषाद पहली बार कोरोना से संक्रमित हुए तो उन्हें साई से काफी सपोर्ट मिला। 

निषाद ने उस पल को याद करते हुए बताया कि “यह एक बहुत ही गंभीर मामला था, मेरा प्रशिक्षण पूरी तरह से बंद हो गया था और मेरे कोच चिंतित थे। लेकिन मैंने अपने आप को कूल रखा। मुझे पता था कि ये समय भी निकल जाएगा। साई में स्थित सभी लोगों ने मेरी बहुत मदद की, वे मुझे प्रेरित करते रहे और मुझसे कहा कि मैं जल्द ही एक्शन में आ जाऊंगा।”

वह पैरालंपिक से कुछ महीने पहले मार्च 2021 में फिर से कोरोना पॉजिटिव हो गए, हालांकि इस दौरान उनमें ज्यादा लक्षण नहीं थे और जल्दी ही उन्होंने ट्रेनिंग भी शुरू कर दी।

निषाद कुमार के शांत और एकत्रित व्यक्तित्व ने उन्हें पैरालंपिक रजत पदक दिलाने में काफी मदद की। हालाँकि, निषाद यहीं नहीं रुकने वाले हैं।

एशियन गेम्स और वर्ल्ड चैंपियनशिप अगला लक्ष्य

अपने अगले लक्ष्य के बारे में बात करते हुए निषाद ने कहा कि “अगले साल के लिए मेरा लक्ष्य पैरा एशियाई खेल और विश्व चैंपियनशिप होगा। मैंने 2019 में विश्व में कांस्य पदक जीता था और उम्मीद है कि मैं इस बार बेहतर कर सकता हूं।"

"मुझे लगता है कि टोक्यो पैरालंपिक ने भी हमारी प्रोफाइल को ऊंचा किया है और देश में अधिक जागरूकता पैदा की है। मीडिया कवरेज ने और लोगों का ध्यान आकर्षित किया है, अब भारत के हर हिस्से में हर बच्चा हमारे बारे में जानता है।”

अधिक सपोर्ट हासिल कर जागरूकता बढ़ाना भी निषाद कुमार के भविष्य का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।

निषाद का प्रबंधन करने वाली एजेंसी आईओएस स्पोर्ट्स के राहुल त्रेहन ने कहा कि“निषाद के लिए हमारा मुख्य उद्देश्य अब अपनी डिजिटल उपस्थिति बढ़ाना और उन्हेंन कुछ स्पॉन्सरशिप डील दिलाना है।, एक स्पोर्ट्स परिधान या फुटवियर ब्रांड प्राथमिकता है, क्योंकि यह शायद एक एथलीट के लिए सबसे महत्वपूर्ण चीज है।”

त्रेहान ने बताया कि “अब पैरालिंपियन के आसपास एक चर्चा है। हम चाहते हैं कि उन्हें उतनी ही पहचान मिले, जितनी सक्षम एथलीटों को मिलती है और टोक्यो जैसे प्रदर्शन के बाज पैरा-एथलीटों की मांग बढ़ेगी।”

2022 के लिए नए सिरे से ऊर्जा के साथ वापसी करने के लिए निषाद कुमार बाकी के सीजन में आराम करने का फैसला किया है। अब वह साल 2022 में वापसी करेंगे और यह साल उनके लिए सबसे महत्वपूर्ण साल साबित हो सकता है।