कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत का प्रदर्शन: जानिए कैसा रहा है अब तक का सफर
1934 में पहली बार राष्ट्रमंडल खेलों में भाग लेने के बाद से भारत ने अब तक कुल 564 पदक जीते हैं। 15 पदक जीतकर जसपाल राणा राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे सफल भारतीय एथलीट हैं।
भारत राष्ट्रमंडल खेलों में लगातार अच्छा प्रदर्शन करता रहा है। चार साल में एक बार आयोजित होने वाले इस इवेंट में भारत चार संस्करण (1930, 1950, 1962 और 1986) को छोड़कर सभी में शामिल रहा है।
भारतीय एथलीटों ने 1934 में कॉमनवेल्थ गेम्स में डेब्यू किया, तब इसे ब्रिटिश एम्पायर गेम्स कहा जाता था।
लंदन 1934 CWG में भारतीय दल में छह एथलीट शामिल थे, जिन्होंने 10 ट्रैक एंड फील्ड इवेंट्स और एक कुश्ती स्पर्धा में भाग लिया। भारत ने अपने पहले राष्ट्रमंडल खेलों में एक पदक जीता था।
CWG 1934 में पुरुषों की 74 किग्रा फ्रीस्टाइल कुश्ती इवेंट में कांस्य पदक जीतने के बाद पहलवान राशिद अनवर राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।
1934 में अपनी शुरुआत के बाद से, भारत ने राष्ट्रमंडल खेलों में 564 पदक जीते हैं। इसमें 203 स्वर्ण पदक, 189 रजत पदक और 172 कांस्य पदक शामिल हैं।
हालांकि, पहले कुछ संस्करण भारत के लिए बेहद चुनौतीपूर्ण रहे थे।
स्वतंत्रता के बाद, भारत ने मुख्य रूप से एथलेटिक्स में भाग लिया, लेकिन 1958 में स्थिति बेहतर होने तक पदक मुश्किल से ही भारत की झोली में आए।
महान धावक मिल्खा सिंह राष्ट्रमंडल खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने। उन्होंने कार्डिफ 1958 में पुरुषों की 440 यार्ड इवेंट में पहला स्थान हासिल किया।
भारत ने उसी संस्करण में एक और स्वर्ण जीता जब हेवीवेट पहलवान लीला राम ने पुरुषों की 100 किग्रा फ्रीस्टाइल श्रेणी में जीत हासिल की।
कार्डिफ 1958 महिलाओं की भागीदारी के लिए भी एक ऐतिहासिक साल रहा था, जहां ट्रैक एंड फील्ड एथलीट स्टेफ़नी डिसूजा और एलिजाबेथ डेवनपोर्ट राष्ट्रमंडल खेलों में प्रतिस्पर्धा करने वाली पहली भारतीय महिला एथलीट बनीं।
इस बीच 70 और 80 के दशक में भारतीय कुश्ती में उभरते हुए पहलवानों ने राष्ट्रमंडल खेलों में देश की किस्मत सुधारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
पहलवानों के बाद भारतीय भारोत्तोलकों ने उसे और गति दी और देश के लिए कई ऐतिहासिक प्रदर्शन किए, वहीं राघवन चंद्रशेखरन ने कई स्वर्ण पदक जीते।
दो बार के ओलंपियन भारोत्तोलक राघवन चंद्रशेखरन ने कॉमनवेल्थ गेम्स 1990 में फ्लाईवेट डिवीजन में स्नैच, क्लीन एंड जर्क और ओवरऑल सहित तीन स्वर्ण पदक जीते और इसके बाद कनाडा के विक्टोरिया में 1994 के संस्करण में बैंटमवेट में तीन रजत पदक जीते।
हालांकि, निशानेबाजों ने राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के लिए 135 बार पोडियम पर फिनिश करते हुए सबसे अधिक पदक जीते हैं।
पिस्टल शूटर जसपाल राणा राष्ट्रमंडल खेलों में सबसे सफल भारतीय एथलीट हैं, जिन्होंने 15 पदक जीते हैं, जिसमें नौ स्वर्ण, चार रजत और दो कांस्य पदक शामिल हैं। उन्होंने 1990 और 2000 के दशक की शुरुआत में शूटिंग रेंज पर अपना दबदबा बनाए रखा।
2010 के राष्ट्रमंडल खेलों में भारत के सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन के दौरान भारतीय निशानेबाजों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
नई दिल्ली 2010 में भारत ने 101 पदक जीते और 39 स्वर्ण पदक, 26 रजत और 36 कांस्य पदक के साथ लीडरबोर्ड पर दूसरे स्थान पर रहा। नई दिल्ली 2010 अब तक भारत का सबसे सफल राष्ट्रमंडल खेल बना हुआ है।
भारतीय महिला एथलीट भी बढ़ीं आगे
जहां एक ओर शुरुआती वर्षों में विजेताओं की सूची में पुरुषों का दबदबा देखने को मिला, तो वहीं भारतीय महिलाओं ने भी पिछले कुछ संस्करणों में अपने प्रदर्शन में सुधार किया है।
भारतीय बैडमिंटन खिलाड़ी अमी घिया और कंवल सिंह राष्ट्रमंडल खेलों में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला थीं, जिन्होंने एडमोंटन 1978 के दौरान महिला युगल में कांस्य पदक जीता था।
1978 के बाद से भारतीय महिलाओं ने एक लंबा सफर तय किया है।
ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में आयोजित कॉमनवेल्थ गेम्स 2018 में टेबल टेनिस स्टार मनिका बत्रा चार पदक जीतकर सबसे सफल भारतीय बनी। भारत इस संस्करण में 66 पदक के साथ तीसरे स्थान पर रहा।
2000 के दशक के बाद से, भारत लगातार पदक तालिका में शीर्ष पांच देशों में शामिल रहा है और अब राष्ट्रमंडल खेलों में वह एक ताकत बनकर उभरा है।