लॉस एंजिल्स 2028 ओलंपिक में इस खेल के शामिल होने के साथ क्रिकेट का मुकाम नई ऊंचाइयों पर पहुंचने के लिए तैयार है।
हालांकि, यह पहली बार नहीं होगा कि क्रिकेट ओलंपिक गेम्स का हिस्सा होगा। यह खेल 1900 पेरिस ओलंपिक में भी खेला गया था, जिसमें केवल दो टीमें - एक फ्रांस से और दूसरी इंग्लैंड से, दो दिवसीय टेस्ट मैच में आमने-सामने थीं। इन दोनों टीमों में 12-12 खिलाड़ी शामिल थे।
इसमें कोई दो राय नहीं कि तब से लेकर अब तक क्रिकेट ने एक बहुत लंबा सफर तय किया है। खेल के नए दौर में, क्रिकेट में प्रत्येक शीर्ष-स्तरीय प्रतियोगिता, फिर चाहे वह अंतरराष्ट्रीय हो या क्लब-स्तरीय, इलेवन-ए-साइड (एक टीम में 11 खिलाड़ियों के फॉर्मेट) को फॉलो करती है। सिक्स-ए-साइड और फाइव-ए-साइड क्रिकेट जैसे कट-डाउन संस्करण भी होते हैं, लेकिन शीर्ष टीमों से जुड़ी मुख्य प्रतियोगिताओं में इन्हें शामिल नहीं किया जाता है।
एक क्रिकेट टीम में कितने खिलाड़ी होते हैं?
प्रत्येक टीम एक क्रिकेट मैच के लिए अधिकतम 11 खिलाड़ियों को शामिल कर सकती है, चाहे वह किसी भी क्रिकेट फॉर्मेट में हो - टेस्ट, 50 ओवर का वनडे या 20 ओवर का T20 क्रिकेट।
क्रिकेट मैच के दौरान किसी भी समय, मैदान पर आमतौर पर 13 खिलाड़ी होते हैं - 11 गेंदबाजी पक्ष से और दो बल्लेबाजी पक्ष से।
क्रिकेट टीम में खिलाड़ियों की भूमिकाएं
एक क्रिकेट टीम में 11 खिलाड़ियों को उनकी भूमिकाओं के आधार पर मोटे तौर पर चार श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है - विकेटकीपर, बल्लेबाज, गेंदबाज और ऑलराउंडर।
जब एक टीम फील्डिंग कर रही होती है, तो एक विकेटकीपर वह खिलाड़ी होता है जो दस्ताने और पैड पहने होता है और स्टंप के पीछे खड़ा होता है। विपक्षी टीम का एक बल्लेबाज उसी के विकेट के आगे बल्लेबाजी कर रहा होता है। हालांकि क्रिकेट में ऐसा कोई नियम नहीं है कि किसी टीम को मैच में एक विकेटकीपर को मैदान में उतारना अनिवार्य होता है, लेकिन ऐसा बहुत कम देखने को मिलता है कि टीमें विकेटकीपर के बिना खेल रही हों। क्योंकि एक कीपर तेजी से कैच पकड़ सकता है और स्टंपिंग कर सकता है और गेंदबाज को निर्देशित कर सकता है कि किस लेंथ पर गेंदबाजी करनी है और यहां तक कि फील्ड प्लेसमेंट की सलाह भी दे सकता है।
अन्य भूमिकाएं काफी हद तक अपने नाम के जैसे ही स्पष्ट हैं।
गेंदबाज क्रिकेट टीम के वे खिलाड़ी होते हैं जो गेंदबाजी में माहिर होते हैं।
गेंदबाजों की कई कैटेगरी हो सकती हैं लेकिन उन्हें मोटे तौर पर तेज गेंदबाजों और स्पिन गेंदबाजों में विभाजित किया जा सकता है।
पेसर वे गेंदबाज होते हैं जिनका लक्ष्य आमतौर पर अपनी गति और गेंद की गति से बल्लेबाजों को हैरान करना होता है। बल्लेबाज को आउट करने के लिए गेंदबाज गेंद को बाहर या अंदर की ओर स्विंग करा सकते हैं या पुरानी गेंद के साथ रिवर्स स्विंग भी करा सकते हैं।
तेज़ गेंदबाज आमतौर पर भरपूर चमक वाली नई गेंदों से गेंदबाजी करते हैं, लेकिन कुछ गेंदबाज जो रिवर्स स्विंग में एक्सपर्ट होते हैं, वे पुरानी क्रिकेट गेंदों से भी बल्लेबाज के लिए घातक साबित हो सकते हैं। जो गेंदबाज क्रिकेट गेंद की चमक और सीम पोजीशन का उपयोग कर सकते हैं वे बहुत प्रभावी होते हैं।
स्पिनर गेंदबाज आमतौर पर धीमी गेंदें फेंकते हैं और पिच से टर्न लेने के लिए अपनी उंगलियों और कलाइयों का इस्तेमाल करते हैं। स्पिनर गेंद को कम या ज़्यादा 'फ्लाइट' कराकर डिलीवरी की लेंथ में तब्दीली कर सकते हैं।
यह गेंदबाजी एक ऐसी कला है जिसमें गेंदबाज विभिन्न कोणों और गति से गेंद को फेंक सकते हैं। स्पिनर नई गेंद का उपयोग कर सकते हैं, लेकिन वे आमतौर पर एक पारी में कुछ ओवरों के बाद अपनी भूमिका निभाते हैं, जब एक घिसी हुई पिच पर स्पिन करने के लिए पुरानी गेंद अधिक पकड़ में आने लगती है।
गेंद को घुमाने की दिशा के आधार पर स्पिनरों को भी मोटे तौर पर ऑफ-स्पिनर और लेग-स्पिनर में विभाजित किया जा सकता है।
दूसरी ओर, बल्लेबाज एक टीम के ऐसे खिलाड़ी होते हैं जो बल्लेबाजी करने और रन बनाने में माहिर होते हैं। किसी टीम के लिए पहले बल्लेबाजी करने आने वाले दो बल्लेबाजों को टीम का ओपनर (सलामी बल्लेबाज) कहा जाता है।
जिन खिलाड़ियों को गेंदबाजी और बल्लेबाजी दोनों करने में महारत हासिल होती है उन्हें ऑलराउंडर (हरफनमैला) कहा जाता है। यदि कोई खिलाड़ी बल्लेबाजी में अधिक कुशल है लेकिन गेंदबाज के रूप में भी प्रभावी हो सकता है, तो वह बैटिंग ऑलराउंडर होता है। वहीं, एक खिलाड़ी जो गेंदबाजी में माहिर है लेकिन रन भी बना सकता है, उसे बॉलिंग ऑलराउंडर कहा जाता है।
एक टीम एक मैच के लिए कितने बल्लेबाजों, गेंदबाजों या ऑलराउंडरों को चुन सकती है, इसके बारे में कोई विशेष नियम नहीं हैं। टीम की रणनीति, मैदान की पिच और खिलाड़ियों की उपलब्धता के अनुसार टीम के प्लेइंग इलेवन की संरचना अलग-अलग हो सकती है।
जब एक टीम गेंदबाजी कर रही होती है, तो एक गेंदबाज को छोड़कर पिच पर सभी 10 खिलाड़ी फील्डिंग कर रहे होते हैं।
क्रिकेट में सब्स्टीट्यूशन
फुटबॉल के विपरीत, जहां सब्स्टीट्यूशन का खेल में बहुत बड़ा महत्व है, यह सब्स्टीट्यूशन अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में उतना महत्व नहीं रखता है।
टीमों में खिलाड़ियों के चोटिल होने की स्थिति में फील्डर्स को सब्स्टीट्यूशन करने की अनुमति है लेकिन सब्स्टीट्यूट हुए खिलाड़ी को उस मैच में सिर्फ फील्डिंग करने की अनुमति होती है, वह गेंदबाजी या बल्लेबाजी नहीं कर सकता है। हालांकि, सब्स्टीट्यूट हुए फील्डर्स के द्वारा किए गए कैच और आउट को गिना जाता है।
इसके अलावा यदि कोई गेंदबाज चोट या बीमारी के कारण मैदान छोड़ देता है और फिर इलाज के बाद वापस लौटता है, तो उसे फिर से गेंदबाजी करने से पहले उतने ही समय के लिए मैदान पर रहना होगा जितने समय के लिए वह बाहर था।
इसी तरह, एक खिलाड़ी, जो पारी बदलने से पहले मैदान से बाहर था। वह तुरंत बल्लेबाजी के लिए मैदान पर नहीं आ सकता है। अपनी टीम की बल्लेबाजी शुरू होने के बाद, उसे बल्लेबाजी के लिए मान्य होने से पहले ठीक उतने ही समय तक इंतजार करना होगा, जितने समय के लिए वह पहली पारी में मैदान से बाहर था।
हालांकि, 2019 के बाद से, क्रिकेट के विश्व शासी निकाय, अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद (ICC) ने सभी अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट मैचों में कन्कशन रिप्लेसमेंट के उपयोग की अनुमति दे दी है।
यह नियम तब लागू होता है जब किसी खिलाड़ी को खेल के दौरान चोट लग जाती है (आमतौर पर क्रिकेट गेंद से लगनी वाली चोट), लेकिन टीमें इन मामलों में केवल एक समान सब्स्टीट्यूशन ही मैदान पर ला सकती हैं।
उदाहरण के लिए, यदि किसी बल्लेबाज को चोट लगने के कारण मैदान से बाहर जाना पड़ता है, तो टीम उसकी जगह किसी अन्य बल्लेबाज को ही ला सकती है। इसके लिए मैच रेफरी द्वारा कन्कशन रिप्लेसमेंट की मंज़ूरी दी जानी ज़रूरी है।
आईपीएल में इम्पैक्ट प्लेयर का नियम
आईसीसी ने अतीत में अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन के कॉन्सेप्ट का प्रयोग किया है, लेकिन यह कभी भी नियम के तौर पर नहीं लागू हुआ।
हालांकि, टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन को बिग बैश लीग (बीबीएल) और इंडियन प्रीमियर लीग (आईपीएल) जैसी फ्रेंचाइजी-क्रिकेट लीग में जगह मिल गई है।
इम्पैक्ट प्लेयर नियम, जिसे 2023 सीज़न से आईपीएल में लागू किया गया था, इसमें टीमों को एक मैच में अपने प्लेइंग इलेवन में एक टैक्टिकल सब्स्टीट्यूशन की अनुमति होती है। टॉस से पहले टीम को प्लेइंग-इलेवन खिलाड़ियों के अलावा चार विकल्प खिलाड़ियों की सूची बनानी होती है। टीम कुछ शर्तों का पालन करते हुए मैच के दौरान अपने इम्पैक्ट प्लेयर के रूप में चार सब्स्टीट्यूट खिलाड़ियों में से किसी एक का उपयोग कर सकती है।