कॉमनवेल्थ गेम्स: स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला शूटर रूपा उन्नीकृष्णन

राइफल शूटर रूपा उन्नीकृष्णन ने कॉमनवेल्थ गेम्स में रजत और कांस्य पदक भी जीते हैं।

3 मिनटद्वारा शिखा राजपूत
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भारतीय शूटर रूपा उन्नीकृष्णन भारत की सबसे चर्चित खेल सितारों में से एक भले ही न रही हों, लेकिन शूटिंग रेंज में हासिल की गईं उनकी उपलब्धियां भारत की महिला एथलीटों के लिए बहुत ही खास थीं।

कॉमनवेल्थ गेम्स में रूपा उन्नीकृष्णन स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, जिन्होंने कुआलालंपुर में CWG 1998 में 50 मीटर राइफल प्रोन खिताब जीता।

वैसे तो भारत 1934 से कॉमनवेल्थ गेम्स में हिस्सा ले रहा था, लेकिन कोई भी भारतीय महिला 11 मैचों में पोडियम पर शीर्ष स्थान पर नहीं पहुंची थी।

हालांकि, मिल्खा सिंह 1958 में कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बन चुके थे। वहीं एक भारतीय महिला को इस इवेंट में स्वर्ण पदक जीतने में 40 साल और लग गए।

रूपा उन्नीकृष्णन कौन थीं?

चेन्नई में जन्मी रूपा उन्नीकृष्णन ने 12 साल की उम्र में शूटिंग शुरू कर दी थी। उनके पिता उन्हें पुलिस शूटिंग रेंज में ले जाया करते थे। वह एक पूर्व पुलिस अधिकारी थे।

रूपा को वहीं पर पूर्व राइफल शूटर एजे जलालुद्दीन ने प्रशिक्षित किया। इसके बाद उन्होंने जूनियर स्तर पर पदक जीतना शुरू किया।

जब वह 20 साल की थीं, तभी रूपा उन्नीकृष्णन ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना दबदबा कायम कर लिया। इसके साथ ही कॉमनवेल्थ गेम्स में अपना पहला पदक भी जीता।

कनाडा के एडमोंटन में 1994 के कॉमनवेल्थ गेम्स में रूपा उन्नीकृष्णन वूमेंस 50 मीटर स्मॉल बोर राइफल थ्री पोजीशन इवेंट में स्वर्ण से चूक गईं और उन्हें दूसरे स्थान से संतोष करना पड़ा। उन्होंने कुहेली गांगुली के साथ टीम इवेंट में कांस्य पदक भी जीता।

चेन्नई की इस शूटर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 1998 में अगले संस्करण में एक बेहतर प्रदर्शन किया और इतिहास रच दिया।

कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला

CWG 1998 में 50 मीटर राइफल प्रोन में प्रतिस्पर्धा कर रहीं रूपा उन्नीकृष्णन ने कुआलालंपुर में शानदार शुरुआत की। साथ ही फाइनल राउंड के लिए क्वालीफाई करने वाले आठ शूटर में शामिल रहीं।

चार साल पुरानी राइफल से लैस रूपा उन्नीकृष्णन ने 590 अंकों के साथ एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया। इसके साथ ही वह कॉमनवेल्थ गेम्स में स्वर्ण पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला बनीं।

भारतीय शूटर को उनकी इस शानदार जीत के लिए अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।

दुर्भाग्यवश उस समय भारत की खेल संरचना खासकर महिलाओं के लिए आज की तरह मददगार नहीं थी। इस वजह से रूपा उन्नीकृष्णन को एक कॉर्पोरेट नौकरी के लिए यूएसए में स्थानांतरित होना पड़ा। वह 2013 में अमेरिकी नागरिक बन गईं।

रूपा उन्नीकृष्णन का शूटिंग करियर समय से पहले समाप्त हो गया। कुआलालंपुर में उनकी जीत भारतीय महिला शूटर की अगली पीढ़ी के लिए काफी प्रेरणादायक थी।

CWG 2002 में भारतीय महिलाओं ने 16 स्वर्ण पदक जीते, जिनमें चार स्वर्ण पदक महिला निशानेबाजों ने हासिल किए थे। यह एक शानदार वापसी थी।

हालिया संस्करण में ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में CWG 2018 में भारत द्वारा जीते गए आधे स्वर्ण पदक महिला एथलीटों द्वारा जीते गए थे।

भारतीय महिला खिलाड़ी लगातार ऊंचाइयों को छू रही हैं और देश के लिए पदक जीत रही हैं। उनमें रूपा उन्नीकृष्णन की स्वर्ण पदक जीतने वाली उपलब्धि को हमेशा याद किया जाएगा।