हॉकी विश्व कप दुनिया भर में एकमात्र ऐसी प्रतियोगिता है, जो फ़िलहाल ओलंपिक खेलों से हटकर हॉकी को एक अलग पहचान दिला रही है। यह प्रतियोगिता महिला और पुरुष दोनों ही टीमों के लिए आयोजित की जाती है।
हालांकि, ओलंपिक को अभी भी हॉकी के लिए शीर्ष स्तर की प्रतियोगिता माना जाता है लेकिन पिछले कुछ सालों में हॉकी विश्व कप ने ग्रीष्मकालीन खेलों के साथ-साथ विश्व पटल पर एक अलग पहचान बनाई है।
पुरुष हॉकी विश्व कप का पहला संस्करण साल 1971 में स्पेन के बार्सिलोना में आयोजित किया गया था। प्रतियोगिता का उद्घाटन संस्करण साल 1971 में पाकिस्तान में आयोजित होना निर्धारित था लेकिन उस समय एशिया में राजनैतिक टकराव के कारण इसका आयोजन स्पेन में कराने का फ़ैसला लिया गया था।
दरअसल, उस समय भारत और पाकिस्तान के बीच बांग्लादेश (तब पूर्वी पाकिस्तान) को आज़ाद कराने को लेकर युद्ध की स्थिति बनी हुई थी।
पाकिस्तान ने मेज़बानी का अधिकार भले ही खो दिया था, लेकिन उन्होंने स्पेन को हराकर प्रतियोगिता के उद्घाटन संस्करण का ख़िताब अपने नाम किया। हॉकी विश्व कप के पहले संस्करण में कुल 10 टीमों ने हिस्सा लिया था।
प्रतियोगिता में एक समय ऐसा लग रहा था कि पाकिस्तान ग्रुप स्टेज से आगे नहीं बढ़ पाएगा, क्योंकि ऐसी उम्मीद जताई जा रही थी कि पूल बी के फ़ाइनल मुक़ाबले में नीदरलैंड की टीम जापान की कमज़ोर टीम को हरा देगी। अगर ऐसा होता तो पाकिस्तान का सफ़र हॉकी विश्व कप के ग्रुप स्टेज में ही ख़त्म हो जाता।
लेकिन, उम्मीदों के ख़िलाफ शानदार प्रदर्शन करते हुए जापान ने डच को 1-0 से हराया। जिससे पाकिस्तान को हॉकी विश्व कप में आगे बढ़ने का एक नया मौक़ा मिल गया।
पाकिस्तानी हॉकी टीम ने इस मौक़े का भरपूर फ़ायदा उठाया और चिर-प्रतिद्वंदी भारत को सेमी-फ़ाइनल में 2-1 से हराकर फ़ाइनल में जगह बनाई। इसके बाद पाकिस्तान ने फ़ाइनल में मेज़बान टीम को 1-0 से शिकस्त देते हुए विश्व कप का पहला चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया। पाकिस्तान की इस जीत में अख़्तरुल इस्लाम ने अहम भूमिका निभाई और मैच में एकमात्र गोल उन्होंने ही किया।
4 ख़िताब (1971, 1978, 1982 और 1994) के साथ पुरुष हॉकी विश्व कप में पाकिस्तान सबसे सफल देश है। नीदरलैंड और ऑस्ट्रेलिया ने तीन-तीन विश्व कप जीते हैं। इसके अलावा जर्मनी टीम ने भी हॉकी विश्व कप की 3 बार ट्रॉफ़ी जीती है।
वहीं, भारतीय टीम इस प्रतियोगिता में बहुत बेहतर प्रदर्शन नहीं कर सकी है।
8 बार के रिकॉर्ड ओलंपिक चैंपियन होने के बावजूद, भारतीय हॉकी टीम सिर्फ़ एक विश्व कप ख़िताब जीतने में सफल रही है। भारत को एकमात्र जीत साल 1975 में अजीत पाल सिंह की कप्तानी में कुआलालंपुर में मिली थी। उस समय टीम का प्रबंधन दिग्गज बलबीर सिंह सीनियर ने किया था।
साल 1975 के फ़ाइनल में भारत ने पाकिस्तान को 2-1 से हराया था, जिसमें भारतीय हॉकी के जादूगर ध्यानचंद के बेटे अशोक कुमार ने विजयी गोल किया था।
वहीं, भारत के भुवनेश्वर में आयोजित पुरुष हॉकी के 2018 संस्करण में बेल्जियम ने ख़िताब अपने नाम किया था।
साल 2023 के फ़ाइनल मैच में जर्मनी ने बेल्जियम को शूटआउट में 5-4 से हराकर ख़िताब अपने नाम किया। पुरुष FIH विश्व कप का यह मुक़ाबला भारत के भुवनेश्वर के कलिंगा स्टेडियम में खेला गया था।
पुरुष हॉकी विश्व कप विजेताओं की सूची
महिला हॉकी विश्व कप का पहला संस्करण साल 1974 में नीदरलैंड में आयोजित किया गया था। जहां डच टीम फ़ाइनल मुक़ाबले में अर्जेंटीना को 1-0 से हराकर महिला हॉकी विश्व कप की पहली चैंपियन बनी थी।
महिला हॉकी विश्व कप में नीदरलैंड टीम का वर्चस्व है और उन्होंने अभी तक 9 ख़िताब (1974, 1978, 1983, 1986, 1990, 2006, 2014, 2018, 2022) अपने नाम किए हैं। इस आंकड़े के साथ वे प्रतियोगिता की सफलतम टीम होने के अलावा मौजूदा चैंपियन भी हैं।
डच टीम के अलावा, सिर्फ़ तीन अन्य टीमें- अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया और जर्मनी ने ही महिला FIH विश्व कप का ख़िताब जीता है। इन तीनों टीमों ने दो-दो विश्व कप अपने नाम किए हैं।
महिला हॉकी विश्व कप में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन साल 1974 के उद्घाटन संस्करण में आया था, जहां वे चौथे स्थान पर रहे। अब तक के आंकड़ों के मुताबिक़ यह पहली और आख़िरी बार था जब भारतीय महिला हॉकी टीम विश्व कप के सेमी-फ़ाइनल तक पहुंची थी।