फीफा विश्व कप गोल्डन बूट विजेता: प्रत्येक संस्करण के शीर्ष गोल स्कोरर
प्रत्येक फीफा विश्व कप संस्करण में शीर्ष स्कोरर को गोल्डन बूट दिया जाता है। इसे 1982 से गोल्डन शू अवार्ड के रूप में जाना जाता था, लेकिन 2010 से इसे गोल्डन बूट के नाम से जाना जाने लगा।
प्रत्येक फीफा विश्व कप में, प्रतिष्ठित ट्रॉफी जीतना हर फुटबॉल खिलाड़ी का लक्ष्य होता है।
पूरी दुनिया में फुटबॉल का एक अलग ही क्रेज है। हालांकि, प्रत्येक संस्करण के अंत में कई व्यक्तिगत पुरस्कार भी दिए जाते हैं, जिससे खिलाड़ियों को इतिहास की किताबों में अपना नाम दर्ज करने का शानदार मौका मिलता है।
उदाहरण के लिए, गोल्डन बॉल प्रत्येक फीफा विश्व कप संस्करण के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी को दिया जाता है, जबकि गोल्डन ग्लव सबसे ज्यादा क्लीन शीट वाले गोलकीपर को दिया जाता है। प्रत्येक संस्करण के शीर्ष स्ट्राइकर को फीफा विश्व कप गोल्डन बूट का खिताब दिया जाता है।
संयोग से, फीफा विश्व कप में गोल्डन बूट पुरस्कार केवल 1982 से आधिकारिक रूप से शुरू हुआ था। उस समय इसे गोल्डन शू पुरस्कार के रूप में जाना जाता था। बाद में इसे गोल्डन बूट के रूप में जाना जाने लगा।
हालांकि, पिछले फीफा विश्व कप संस्करणों में शीर्ष स्कोरर को भी गोल्डन बूट विजेताओं के रूप में जगह दी गई। प्रत्येक फुटबॉल विश्व कप में दूसरे सर्वोच्च स्कोरर को सिल्वर बूट दिया जाता है, जबकि तीसरे सबसे बड़े स्कोरर को ब्रॉन्ज बूट मिलता है।
बता दें कि पहला फीफा विश्व कप गोल्डन बूट अर्जेंटीना के गिलर्मो स्टेबल ने जीता था, जो उरुग्वे में साल 1930 में फीफा विश्व कप में शीर्ष स्कोरर रहे थे। इस उद्घाटन संस्करण में उन्होंने आठ गोल अपने नाम किया था।
साल 1994 तक फीफा विश्व कप गोल्डन बूट का पुरस्कार कई शीर्ष स्कोरर के बीच साझा किया गया था।
गोल्डन बूट को पहली बार चिली में आयोजित 1962 के संस्करण में खिलाड़ियों के बीच साझा किया गया था। जिसमें छह खिलाड़ी - हंगरी के फ्लोरियन अल्बर्ट, सोवियत संघ के वैलेन्टिन इवानोव, ब्राजील के गैरिंचा और वावा, यूगोस्लाविया के ड्रेज़न जेरकोविच और मेजबान देश के लियोनेल सांचेज़ शामिल थे, जिन्होंने इस संस्करण में चार-चार गोल के साथ संयुक्त शीर्ष स्कोरर थे।
हालांकि साल 1994 के संस्करण से एक निश्चित विजेता चुनने के लिए फीफा द्वारा एक टाई-ब्रेकर सिस्टम की शुरुआत की गई थी।
टाई-ब्रेकर सिस्टम में कहा गया है कि यदि दो या दो से अधिक खिलाड़ी सामान गोल के साथ अपने अभियान का अंत करते हैं तो सबसे अधिक नॉन पेनल्टी गोल करने वाला खिलाड़ी गोल्डन बूट का विजेता बनेगा।
अगर इसके बाद भी विजेता का फैसला करना मुश्किल होगा तो सबसे ज्यादा असिस्ट करने वाला फुटबॉलर पुरस्कार का हकदार होगा।
हालांकि, इसके बाद भी रूस के ओलेग सालेंको और बुल्गारिया के हिस्टो स्टोइचकोव ने 1994 में गोल्डन बूट साझा किया था। दोनों फुटबॉलर ने छह गोल और एक असिस्ट के साथ अपने अभियान का अंत किया था।
ओलेग सालेंको फीफा विश्व कप के इतिहास में एकमात्र ऐसे खिलाड़ी हैं, जिनकी टीम उस वर्ष के ग्रुप स्टेज से आगे बढ़ने में असफल रही थी। इसके बावजूद उन्होंने गोल्डन बूट का प्रतिष्ठित पुरस्कार जीता था।
सालेंको ने अपने छह गोल में से पांच गोल गोल कैमरून के खिलाफ किए थे और अभी भी यह फीफा विश्व कप मैच में किसी भी खिलाड़ी द्वारा बनाए गए सबसे अधिक गोल के रिकॉर्ड के रूप में शामिल है।
साल 2006 से टाई-ब्रेक के रूप में एक नए नियम को और जोड़ा गया। यदि पहले दो मानदंडों के बाद भी विजेता घोषित नहीं होता है तो कम मिनट खेलने वाले को विजेता माना जाएगा।
दक्षिण अफ्रीका में 2010 फीफा विश्व कप के बाद जर्मनी के थॉमस मुलर, स्पेन के डेविड विला, नीदरलैंड के वेस्ले स्नाइडर और उरुग्वे के डिएगो फोरलान ने पांच-पांच गोल दागे थे।
थॉमस मुलर ने अपने तीन असिस्ट के दम पर उस संस्करण में गोल्डन बूट जीता था। बता दें कि दूसरे फुटबॉलरों ने महज़ एक-एक असिस्ट किया था। इस बीच, डेविड विला ने वेस्ले स्नाइडर को पीछे छोड़ते हुए सिल्वर बूट अपने नाम किया था। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि विला ने डचमैन की तुलना में मैदान पर कम मिनट की अपनी उपस्थिति दर्ज की थी।
फ्रांस के जस्ट फॉनटेन ने 1958 में गोल्डन बूट जीता और स्वीडन में उनके 13 गोल फीफा विश्व कप संस्करण में किसी खिलाड़ी द्वारा किए गए सबसे अधिक गोल हैं।
आपको बता दें कि फुटबॉल के इतिहास में किसी भी खिलाड़ी ने दो बार गोल्डन बूट नहीं जीता है।