क्रॉस कंट्री स्कीइंग क्या होता है?
विंटर ओलंपिक के हर संस्करण में क्रॉस कंट्री स्कीइंग शामिल रहा है। बीजिंग 2022 के विंटर ओलंपिक में स्प्रिंट, टीम स्प्रिंट, क्लासिक, स्कीथलॉन, रिले और मास स्टार्ट इवेंट्स होंगे।
क्रॉस कंट्री स्कीइंग विंटर ओलंपिक का अभिन्न हिस्सा रहा है। साल 1924 में विंटर गेम्स की शुरुआत से लेकर अब तक ये खेल विंटर ओलंपिक के हर संस्करण में शामिल रहा है।
ये खेल एथलीटों के धैर्य की परीक्षा लेता है क्योंकि इस रेस में उन्हें अलग-अलग तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए स्की के सहारे लंबी दूरी तय करनी होती है।
हालांकि, भारत साल 1964 से विंटर ओलंपिक में हिस्सा ले रहा है लेकिन साल 2006 तक कोई भी भारतीय क्रॉस कंट्री स्कीयर इस बड़े आयोजन के लिए क्वालीफाई नहीं कर सका था।
आर्मी मैन बहादुर गुप्ता विंटर गेम्स के क्रॉस कंट्री स्कीइंग में प्रतिस्पर्धा करने वाले पहले भारतीय थे। उन्होंने साल 2006 में टोरिनो में आयोजित विंटर ओलंपिक में पुरुषों के 15 किमी फ्रीस्टाइल में हिस्सा लिया था।
उसके बाद से हर विंटर गेम्स में भारत कम-से-कम एक क्रॉस कंट्री स्कीयर भेजता रहा है।
वैंकूवर 2010 के विंटर ओलंपिक में ताशी लुंडुप ने पुरुषों के 15 किमी फ्रीस्टाइल इवेंट में क्वालीफाई किया। इसके बाद सोची गेम्स 2014 में नदीम इक़बाल ने पुरुषों के 15 किमी क्लासिकल इवेंट में क्वालीफाई किया। वहीं प्योंगचांग 2018 में जगदीश सिंह ने 15 किमी फ्रीस्टाइल वर्ग में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
1924 के विंटर ओलंपिक में शामिल होने से लेकर अब तक क्रॉस कंट्री स्कीइंग ने कई बदलाव देखे हैं।
शैमॉनिक्स विंटर गेम्स 1924 में इस खेल के सिर्फ दो इवेंट शामिल किए गए थे, जिसमें पुरुषों का 18 किमी और 50 किमी वर्ग का इवेंट शामिल था। हालांकि इवेंट्स की संख्या बीजिंग 2022 में बढ़कर 12 इवेंट्स तक पहुंच चुकी है, जिसमें 6 इवेंट पुरुषों के लिए और 6 इवेंट महिलाओं के लिए शामिल किए गए हैं। वूमेंस इवेंट को साल 1952 में विंटर प्रोग्राम में पहली बार जोड़ा गया था।
स्टाइल और स्टार्ट
इसके अलावा स्कीइंग की दो अलग-अलग तकनीकें- क्लासिकल और फ्रीस्टाइल हैं जिनका इस्तेमाल विंटर ओलंपिक में होता है।
क्लासिकल तकनीक की बात करें तो इसमें एथलीटों को अपनी दोनों स्की को समानांतर रूप से आगे बढ़ाना होता है। जबकि फ्रीस्टाइल तकनीक में स्कीयर अपने दोनों पैरों को एक-एक करके तेज़ी से आगे बढ़ा सकते हैं, जैसा कि स्पीड स्केटिंग या रॉलर ब्लेडिंग में होता है। बता दें कि फ्रीस्टाइल तकनीक, क्लासिक तकनीक से ज्यादा तेज होती है।
साथ ही फ्रीस्टाइल में इस्तेमाल किया जाने वाला स्की क्लासिकल के स्की से छोटा होता है। एथलीट्स मूवमेंट में आसानी के लिए दोनों की तकनीकों में स्की पोल का इस्तेमाल करते हैं। हर इवेंट के लिए अलग तकनीक का इस्तेमाल किया जाता है।
क्रॉस कंट्री स्कीइंग में दो तरह के स्टार्ट होते हैं- इंटरवल और मास स्टार्ट।
इंटरवल स्टार्ट में एक बार में एक ही एथलीट रेस शुरु करता है जबकि मास स्टार्ट में, स्प्रिंट रेस की तरह सभी प्रतिद्वंदियों को एक साथ रेस शुरु करनी होती है।
बीजिंग 2022 में होने वाले क्रॉस कंट्री इवेंट्स
स्प्रिंट फ्री
स्प्रिंट फ्री में प्रतिद्वंदी फ्रीस्टाइल तकनीक का इस्तेमाल करके रेस पूरा करते हैं। विंटर गेम्स में ये सबसे छोटा क्रॉस कंट्री इवेंट है, जिसमें पुरुषों के लिए दूरी 1.4 किमी जबकि महिलाओं के लिए ये दूरी 1.2 किमी होती है।
समर ओलंपिक में स्प्रिंट इवेंट की तरह ही व्यक्तिगत स्प्रिंट फ्री भी कई चरणों में होता है जिसकी शुरुआत क्वालीफिकेशन राउंड से होती है। दिलचस्प बात ये है कि क्वालीफिकेशन राउंड में इंटरवल स्टार्ट होता है।
क्वालीफायर से टॉप 30 एथलीट क्वार्टर फाइनल तक पहुंचते हैं जहां उन्हें 6-6 के पांच ग्रुप में बांट दिया जाता है। लिस्ट में एथलीटों की संख्या हर राउंड के बाद कम होती जाती है और फाइनल रेस तक सिर्फ 6 एथलीट पहुंचते हैं।
टीम स्प्रिंट क्लासिक
टीम स्प्रिंट इवेंट में एक देश से दो एथलीट एक साथ खेलते हैं। बीजिंग ओलंपिक 2022 में इस इवेंट में एथलीट क्लासिकल तकनीक का इस्तेमाल करेंगे।
हर टीम रेस रूट का 6 बार चक्कर लगाती हैं। टीम के दोनों मेंबर बारी-बारी से एक-एक चक्कर लगाते हैं। हर स्कीयर को तीन चक्कर लगाना होता है। जब टीम का एक मेंबर आराम कर रहा होता है तब दूसरा मेंबर रेस करता है। इस रेस की कुल लंबाई पुरुषों के लिए 8.4 किमी और महिलाओं के 7.5 किमी है।
टीम स्प्रिंट दो सेमीफाइनल के साथ शुरु होता है जिसमें से 10 टीमें फाइनल तक पहुंचती हैं।
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क्लासिक
इस व्यक्तिगत रेस में प्रतियोगी क्लासिक स्ट्रोक का इस्तेमाल कर कोर्स को पूरा करते हैं। पुरुषों के लिए कोर्स की लंबाई 15 किमी होती है जबकि महिलाओं के लिए ये दूरी 10 किमी तय की गई है।
क्लासिक इवेंट में सभी स्कीयर 30 सेकंड के अंतराल पर रेस शुरु करते हैं और सबसे तेज रेस पूरा करने वाले स्कीयर को विजेता घोषित किया जाता है।
इस इवेंट में कोई क्वालीफायर या हीट्स नहीं होता है क्योंकि सभी एथलीट एक ही रेस में प्रतिस्पर्धा करते हैं।
स्कीथलॉन
स्कीथलॉन में स्कीइंग के दोनों ही तकनीकों का इस्तेमाल किया जाता है। स्कीयर्स क्लासिकल तकनीक का इस्तेमाल करके रेस शुरु करते हैं और आधी दूरी तय करने के बाद फ्रीस्टाइल तकनीक से रेस पूरी करते हैं।
पुरुषों के रेस कोर्स की दूरी 30 किमी होती है जिसका मतलब ये है कि पहले 15 किमी में एथलीट क्लासिकल तकनीक का इस्तेमाल करेंगे तो वहीं बचे हुए 15 किमी की दूरी में फ्रीस्टाइल तकनीक का इस्तेमाल किया जाएगा। इसी तरह महिलाओं की रेस 15 किमी (7.5+7.5) की होगी।
फ्रीस्टाइल तकनीक के अनुरुप खुद को ढालने के लिए एथलीट आधी दूरी के बाद अपना स्की भी बदलते हैं।
पुरुषों और महिलाओं के लिए सिर्फ एक रेस होती है जिससे फाइनल रैंकिंग का तैयार की जाती है।
रिले
रिले इवेंट में एक टीम में चार सदस्य होते हैं जो दोनों तकनीकों का इस्तेमाल करके चार लेग वाली रेस को पूरा करते हैं। रिले के पहले दो लेग में स्कीयर्स को क्लासिकल तकनीक जबकि आखिरी दो लेग में फ्रीस्टाइल तकनीक का इस्तेमाल करना होता है।
रेस की शुरुआत मास स्टार्ट फॉर्मेट में होती है और एथलीट स्विच करने के लिए एक्सचेंज जोन में अपने साथियों को टैग करते हैं। जो टीम सबसे पहले चारों लेग को पूरा कर लेती है उसे विजेता घोषित किया जाता है।
महिलाओं की रिले 4 x 5 किमी की होती है जबकि पुरुषों की रिले 4 x 10 किमी की होती है।
मास स्टार्ट
मास स्टार्ट, समर ओलंपिक में होने वाले मैराथन के जैसा होता है, जिसमें सभी एथलीट एक साथ रेस शुरु करते हैं।
ये सबसे लंबा क्रॉस कंट्री इवेंट होता है, जहां पुरुषों के लिए दूरी 50 किमी और महिलाओं के लिए 30 किमी होती है। रेस लंबे रूट के बजाए एक लूप में होता है।
प्योंगचांग 2018 में मास स्टार्ट, क्लासिकल तकनीक के साथ हुआ था लेकिन बीजिंग 2022 में इसका आयोजन फ्रीस्टाइल तकनीक से होगा।
आमतौर पर ये इवेंट विंटर ओलंपिक के अंतिम दिन होता है।