बीजिंग 2022 विंटर ओलंपिक में क्वालीफाई करने की रेस में हैं भारतीय स्कीयर आंचल ठाकुर

आंचल ठाकुर स्कीइंग में इंटरनेशनल मेडल जीतने वाली पहली भारतीय हैं। उनके भाई हिमांशु ने सोची में 2014 विंटर ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।

4 मिनटद्वारा रौशन प्रकाश वर्मा
Indian skier Aanchal Thakur
(Aanchal Thakur/ Instagram)

आंचल ठाकुर ने पहले ही इंडियन विंटर स्पोर्ट्स के इतिहास में अपना नाम दर्ज करा लिया है।

मनाली की रहने वाली आंचल ठाकुर ने साल 2018 में, तुर्की में आयोजित अल्पाइन एजडर 3200 कप में स्लैलम रेस कैटेगरी में कांस्य पदक जीता था। इसके साथ ही उन्होंने अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पदक जीतकर पहली भारतीय स्कीयर बनने का इतिहास रचा था।

हालांकि आंचल ठाकुर यही नहीं रूकी, अब उनकी नज़र बड़ी और बेहतर जीत की तैयारी पर है। 25 वर्षीय स्कीयर के लिए बीजिंग 2022 विंटर ओलंपिक में क्वालीफाई करना उनका पहला लक्ष्य है।  

आंचल ठाकुर जानती हैं कि कोविड-19 और अन्य कारणों से लंबी छुट्टी के बाद लक्ष्य तक पहुंचना आसान नहीं होगा। 

Olympics.com से बातचीत में आंचल ठाकुर ने कहा, “पिछली बार जब मैंने एफआईएस (फेडरेशन इंटरनेशनेल डी स्की) रेस 2018 में भाग लिया था, जहां मैंने मेडल जीता था, तब से कोविड-19 और ट्रैवलिंग प्रतिबंधों के कारण मैं कहीं भी प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकी। दूसरी ओर मनाली में कम स्नोफॉल के कारण भी मैं सिर्फ 2-3 हफ्ते ही ट्रेनिंग ले सकी। इस दौरान मैं किसी तरह की टेक्निकल ट्रेनिंग नहीं ले सकी और स्कीइंग से दूर ही रही हूं।”  

आपको बता दें कि आंचल ठाकुर ने इस साल मार्च में खेलो इंडिया विंटर गेम्स में हिस्सा लिया था, लेकिन उनका मानना है कि जब वह अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा करेंगी तो भारतीय जमीन पर हासिल की गई सफलता की गिनती बहुत कम होगी। 

फिलहाल क्वालीफाई करने के लिए अपना बेस्ट देने के उद्देश्य से आंचल ठाकुर ऑस्ट्रिया में ट्रेनिंग ले रही हैं। 

उन्होंने आगे कहा, “समय अभी काफी अहम है। मार्च के बाद पहली बार मैंने स्की पहना है। अपने शरीर का गियर के साथ कनेक्शन फिर से बनाने में थोड़ा वक़्त लगता है। साथ ही हमें ओलंपिक रेस के लिए क्वालीफाई करने के लिए भी तैयारियां शुरु करनी हैं।” 

आंचल ने कहा, “ज्यादातर प्रतियोगिताएं यूरोप में हैं, इसलिए मैंने यूरोप में रहने और ट्रेनिंग लेने का फैसला किया। शुरुआती दौर में मुझे ये समझने की जरूरत होगी कि कोविड-19 ने मेरे खेल को कितना प्रभावित किया है। लेकिन मुझे यकीन है कि शुरूआती दौर के बाद के रेस में मेरे प्रदर्शन में सुधार होगा। मैं बीजिंग विंटर ओलंपिक में क्वालीफाई करने के लिए अपनी पूरी ताकत लगा दूंगी।”

उन्होंने बात करते हुए आगे कहा कि ऑस्ट्रिया आने के फैसले की अपनी चुनौतियां हैं। आंचल ने बताया कि उनकी शुरुआती योजना अपनी ट्रेनिंग को यूरोप में स्टैगर करने की थी ताकि वो उन पैसों को बीजिंग 2022 तक पहुंचने में खर्च कर सकें। लेकिन कोविड-19 के कारण अब उन्हें ऑस्ट्रिया में ही लंबे समय तक रुककर क्वालीफाई करने की तैयारी करनी होगी। 

इस समस्या को दूर करने के लिए, 2012 की युवा विंटर ओलंपियन आंचल ठाकुर ने अपने वित्तीय सहायता के लिए एक क्राउडफंडिंग अभियान शुरू किया है।

आंचल ठाकुर ने बताया कि हमें अच्छा रिस्पॉन्स मिल रहा है, लेकिन हमें अभी बहुत कुछ चाहिए। हम अभी भी स्पॉन्सर्स के आने की उम्मीद कर रहे हैं और हमारे देश के लोग मदद के लिए जरूर आगे आएंगे। 

भारतीय स्कीयर आंचल ठाकुर के सामने निश्चित तौर पर बड़ी परेशानी खड़ी हो गई है लेकिन वो किसी भी सूरत में हार मानने के मूड में नहीं हैं।

आंचल के बड़े भाई हिमांशु ठाकुर ने 2014 सोची विंटर ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया था और अपने भाई की बेहतरीन सफर को देखकर आंचल ठाकुर भी काफी उम्मीदों से भरी हुई हैं।

उन्होंने आगे कहा कि मेरे भाई ने भी सोची खेलों में जाने के लिए ऑस्ट्रिया में ट्रेनिंग किया था। मैंने उसे देखा है। उसके लिए भी क्वालीफाई करना काफी मुश्किल रहा था। मुझे याद है कि कई रेस में हिस्सा लेने के बाद भी वो क्वालीफाई नहीं कर पा रहे थे। वह मानसिक और शारीरिक रूप से थका हुआ था और लगभग हार मान चुका था। लेकिन मेरी फैमिली ने उसे एक बार फिर से वापस जाकर कोशिश करने के लिए प्रेरित किया। 

"उन्होंने तुर्की में एक और बार प्रयास किया और क्वालीफाई किया। उस पल ने हम दोनों को कभी हार न मानने की सीख दी। रास्ता कितना भी लंबा क्यों न हो आपको चलते रहना चाहिए। सफलता किसी भी कोने में हो सकती है। उन्होंने कहा कि आप अंतिम पलों तक हार नहीं मान सकते।” 

हिमांशु ठाकुर फिलहाल अपनी बहन आंचल ठाकुर के साथ ऑस्ट्रिया में हैं। 

आंचल ठाकुर ने अपनी बात को समाप्त करते हुए कहा कि मैं और मेरा भाई घर पर काफी लड़ते हैं लेकिन जब हम स्लोप पर होते हैं तो वो मेरे गाइड और मेंटर होते हैं। वह एक ओलंपियन स्कीयर हैं और उनका मार्गदर्शन मेरे लिए अमूल्य है। मुझे खुशी है कि वो इस समय यहां मेरे साथ हैं।