भारत का राष्ट्रीय खेल दिवस कब मनाया जाता है? इसके साथ ही जानें किसे और क्यों दिया जाता है राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

Bharat mein khel divas har saal August 29 ko manaya jata hai. वह दिन हॉकी के जादूगर ध्यान चंद की जयंती है।

4 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
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(2010 Getty Images)

सवाल: भारत का राष्ट्रीय khel divas kab manaya jata hai?

जवाब: भारत में 29 अगस्त को राष्ट्रीय खेल दिवस मनाया जाता है।

सवाल: राष्ट्रीय खेल दिवस की शुरुआत कब हुई?

जवाब: राष्ट्रीय खेल दिवस को 2012 में पहली बार भारत में उत्सव के दिनों की सूची में शामिल किया गया था।

सवाल: हम राष्ट्रीय खेल दिवस क्यों मनाते हैं?

जवाब: राष्ट्रीय खेल दिवस हॉकी के दिग्गज ध्यान चंद की जयंती के उपलक्ष्य में मनाया जाता है।

हरियाणा, पंजाब और कर्नाटक जैसे राज्यों में, जीवन में शारीरिक गतिविधियों और खेलों के महत्व के बारे में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से विभिन्न खेल प्रतियोगिताएं और सेमिनार आयोजित किए जाते हैं।

वर्षों से सरकार ने इस दिन का उपयोग विभिन्न खेल योजनाओं को शुरू करने के लिए एक मंच के रूप में भी किया है, जिसमें खेलो इंडिया मूवमेंट भी शामिल है, जिसकी घोषणा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2018 में की थी।

(Khelo India)

सिर्फ इतना ही नहीं, राष्ट्रीय खेल दिवस एक ऐसा अवसर है जब देश के प्रतिभाशाली एथलीटों को राजीव गांधी खेल रत्न, अर्जुन पुरस्कार, ध्यान चंद पुरस्कार और द्रोणाचार्य पुरस्कार जैसी मान्यताओं से सम्मानित किया जाता है।

इस दिन राष्ट्रपति भवन में आयोजित एक विशेष समारोह में, भारत के राष्ट्रपति इन पुरस्कारों को देते हैं।

ध्यान चंद कौन हैं?

एक ऐसा देश, जिसने सचिन तेंदुलकर, विराट कोहली और बलबीर सिंह सीनियर जैसे खेल के सुपरस्टार देखे हैं, इनके बावजूद हॉकी खिलाड़ी मेजर ध्यान चंद ने अपने लिए एक विशेष स्थान हासिल किया हुआ है।

29 अगस्त, 1905 को उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) में जन्मे ध्यान चंद सिंह ने स्वतंत्रता से पहले शानदार फॉर्म दिखाया।

द्वितीय विश्व युद्ध से पहले के वर्षों में खेल में हावी रहने वाली भारतीय हॉकी टीम के स्टार खिलाड़ी, ध्यान चंद सिंह ने 1928, 1932 और 1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में भारत को ओलंपिक स्वर्ण पदक जीतने और अपनी पहली हैट्रिक पूरी करने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

ब्रिटिश भारतीय सेना की रेजिमेंटल टीम के साथ अपने हॉकी करियर की शुरुआत करते हुए, एक युवा ध्यान सिंह एक विशेष प्रतिभा थे। लेकिन जिस चीज ने आगे पहुंचाया, वो था उनके हॉकी के प्रति समर्पण।

रेजिमेंटल कर्तव्यों में दिन बिताने के साथ, ध्यान सिंह चांदनी रात में अपनी हॉकी का अभ्यास करते थे, जिसके कारण उन्हें ध्यान चंद नाम दिया गया।

(Olympic Archives.)

वो आने वाले वर्षों में तेजी से आगे बढ़े, विभिन्न इंटर-आर्मी मैचों के साथ अपनी टीमों की मदद करने लगे, और जल्द ही 1928 के ओलंपिक के लिए भारतीय हॉकी टीम में शामिल हो गए।

उसके बाद उन्होंने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा और हॉकी के कमाल से दुनिया पर राज किया, जिसने उन्हें 'हॉकी जादूगर' और 'द मैजिशियन' बना दिया।

हॉकी के इस दिग्गज का करियर 1926 से 1948 तक चला और भारत के लिए 185 मैचों का प्रतिनिधित्व करने के बाद सबसे महान हॉकी खिलाड़ियों में से एक बनकर उन्होंने अपने करियर को अंजाम दिया।

जब वे 1956 में भारतीय सेना की पंजाब रेजिमेंट में एक मेजर के पद से रिटायर हुए, तो भारत सरकार ने उसी वर्ष पद्म भूषण से सम्मानित किया। जोकि तीसरा सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार है।

राष्ट्रीय खेल पुरस्कार

केंद्र सरकार द्वारा सम्मानित, राष्ट्रीय खेल पुरस्कार एक एथलीट के उनके खेल में योगदान की मान्यता है।

सर्वोच्च खेल सम्मान, राजीव गांधी खेल रत्न, शानदार प्रदर्शन करने वाले एथलीटों के लिए आरक्षित होता है, जिसे आमतौर पर एक ओलंपिक वर्ष में ओलंपिक पदक विजेता को सौंप दिया जाता है, जबकि अर्जुन पुरस्कार एथलीटों की सीजन की उपलब्धियों को पहचान दिलाता है।

(Getty Images)

इसी तरह द्रोणाचार्य पुरस्कार, देश के सर्वश्रेष्ठ कोचों को प्रदान किया जाता है, जिसमें विदेशी कोच भी शामिल होते हैं जिन्होंने भारत में खेल के विकास में योगदान दिया होता है। और ध्यानचंद पुरस्कार अपने क्षेत्र में एक एथलीट के आजीवन योगदान को पहचान दिलाता है।

जबकि व्यक्तिगत राष्ट्रीय खेल महासंघ (NSF) और एथलीट खुद को पुरस्कार के लिए नामांकित करने के लिए स्वतंत्र हैं। जबकि खेल मंत्रालय द्वारा गठित एक पुरस्कार समिति सरकार के लिए संभावित पुरस्कार विजेताओं के नाम की घोषणा करती है।

1991 में स्थापित, राजीव गांधी खेल रत्न को पहली बार भारत के पहले ग्रैंड मास्टर और पांच बार के विश्व शतरंज चैंपियन विश्वनाथन आनंद को देकर सम्मानित किया गया था।

अर्जुन पुरस्कार 1961 से दिए जाने वाला सबसे पहला और पुराना पुरस्कार है, जबकि द्रोणाचार्य पुरस्कार 1985 में अस्तित्व में आया था।

ध्यानचंद पुरस्कार 2002 में पहली बार दिया गया था, जब इसे शाहराज बिराजदार (मुक्केबाजी), अशोक दीवान (हॉकी) और अपर्णा घोष (बास्केटबॉल) को दिया गया था।

भारत में राष्ट्रीय खेल पुरस्कार समारोह कहा देख सकते हैं?

राष्ट्रीय खेल पुरस्कारों को दूरदर्शन पर फ्री-टू-एयर टीवी चैनल पर लाइव देखा जा सकता है।