सानिया मिर्जा के लिए विंबलडन हमेशा से एक ख़ास इवेंट रहा है। चार ग्रैंड स्लैम इवेंट में से सबसे पुराना विंबलडन चैंपियनशिप अक्सर दुनिया में सबसे प्रतिष्ठित टेनिस टूर्नामेंट के तौर पर जाना जाता है। इसके साथ ही ऑल इंग्लैंड क्लब की यात्रा भी सानिया मिर्जा के टेनिस करियर के सबसे बड़े खेल स्थलों में से एक रही है।
यह विंबलडन ही था जिसमें सानिया मिर्जा ने अपने पहले वैश्विक मंच पर कदम रखकर दस्तक दी थी और बाद में खुद को एक जबरदस्त टेनिस स्टार के तौर पर स्थापित किया।
विंबलडन ही वह है जहां से मेरे लिए यह सब शुरू हुआ। यहीं से मुझे पहली बार सफलता हासिल करने का मतलब समझ में आया।
यहां हम बीते वर्षों में सानिया मिर्जा की विम्बलडन यात्रा पर प्रकाश डालेंगे।
अलिसा क्लेबानोवा के साथ लड़कियों का युगल विंबलडन खिताब
सानिया मिर्जा ने सीनियर सर्किट में अपनी धाक जमाने से पहले ही 2003 विम्बलडन गर्ल्स डबल्स में जीत हासिल कर अपने आगाज़ की घोषणा कर दी थी।
रूसी खिलाड़ी अलिसा केलबानोवा के साथ जोड़ी बनाते हुए सानिया मिर्जा फाइनल में पहुंचीं। वह रीता डाबर के साल 1952 में एकल स्पर्धा में फाइनल में जगह बनाने के बाद ऐसा करने वाली पहली भारतीय बन गईं।
जहां रीता डाबर केवल उपविजेता रही थीं, वहीं सानिया मिर्जा ने फाइनल में शानदार प्रदर्शन किया था।
फाइनल में इंडो-रूसी जोड़ी ने चेक गणराज्य की कतेरीना बोहमोवा और नीदरलैंड की मिकाहेला क्राजिस्क के खिलाफ पहला सेट 6-2 से गंवा दिया था, लेकिन शानदार वापसी करते हुए मुक़ाबले को 2-6, 6-3, 6-2 से जीत लिया था।
इस तरह से सानिया मिर्जा किसी भी तरह का ग्रैंड स्लैम जीतने वाली पहली भारतीय लड़की बनीं थीं।
उस समय 16 वर्षीय सानिया मिर्जा के लिए न केवल इस जीत ने उनके आगे एक शानदार टेनिस करियर की स्थापना की, बल्कि इससे भारत में महिलाओं के टेनिस खेलने की धारणा और सोच में भी बदलाव आया।
जब मैंने एक टेनिस रैकेट उठाया तो विम्बलडन खेलने की इच्छा रखने वाली इस लड़की को अनसुना कर दिया गया था। जब मैंने 2003 में अलिसा क्लेबानोवा के साथ जूनियर विंबलडन जीता तो लोगों ने माफी मांगी और कहा कि 'हमने पहले जो भी कहा है उसके लिए बेहद शर्मिंदा हैं'।
यह विश्वास अगले डेढ़ दशक तक बना रहा, क्योंकि सानिया मिर्जा ने आगे चलकर सीनियर सर्किट में छह ग्रैंड स्लैम खिताब जीते।
सानिया मिर्जा का विंबलडन डबल्स करियर
मुख्य रूप डबल्स में माहिर सानिया मिर्जा ने 27 जीत (एक बाई को छोड़कर) और 12 हार के साथ विम्बलडन के महिलाओं के युगल इवेंट में रिकॉर्ड बना दिया था।
शीर्ष वरीयता प्राप्त खिलाड़ी के तौर पर उन्होंने मार्टिना हिंगिस के साथ विम्बलडन 2015 का खिताब भी जीता, जिससे वह युगल ग्रैंडस्लैम जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।
सानिया मिर्जा और मार्टिना हिंगिस की यह इंडो-स्विस जोड़ी पहले ग्रैंड स्लैम खिताब में एक भी सेट हारे बिना फाइनल में पहुंची थी।
फाइनल में एकेटेरिना मकारोवा और एलेना वेस्नीना की रूसी जोड़ी से इस इंडो-रूसी जोड़ी का एक कड़ा मुक़ाबला हुआ, जिसमें 5-7, 7-6, 7-5 की जीत के उन्होंने अपना पहला ग्रैंडस्लैम जीता।
सानिया-हिंगिस की जोड़ी उसके बाद के कुछ महीनों में तीन बार ग्रैंड स्लैम डबल्स चैंपियन बनी, लेकिन सानिया मिर्जा के लिए विंबलडन में 2015 का महिला युगल खिताब आज भी एक ख़ास स्थान रखता है।
यह वह जगह है जहां मेरे लिए यह सब साल 2003 में शुरू हुआ। यह मेरे लिए बड़ी चीज़ों की शुरुआत थी। कोई भी टेनिस खिलाड़ी सेंटर कोर्ट में खेलने की चाहत रखता है, लेकिन बहुत कम ही वहां जीत हासिल कर पाते हैं। यह टेनिस के खेल का सबसे बड़ा मंच है। यह मेरे लिए एक सपने के सच होने के जैसा है।
सानिया मिर्जा ने अपने प्रसिद्ध ख़िताब जीतने के अलावा साल 2011 में ऐलेना वेस्नीना के साथ जोड़ी बनाते हुए विम्बलडन डबल्स के सेमीफाइनल और साल 2008 और 2016 में क्वार्टर-फाइनल तक का सफर तय किया।
उन्होंने 2005 में अपने विम्बलडन डबल्स का डेब्यू रूसी खिलाड़ी एना चकवेतादेज़ के साथ जोड़ी बनाते हुए किया, लेकिन यूक्रेन की तातियाना पेरेब्यिनिस और रूस की एलिना जिदकोवा के ख़िलाफ वह अपना पहला मैच 6-2, 6-1 से हार गईं।
सानिया मिर्जा का विंबलडन सिंगल्स करियर
सिंगल्स (एकल) में सानिया मिर्जा को विम्बलडन में खेले गए अपने 11 मैचों में 4 में जीत और 7 में हार नसीब हुई।
उन्होंने विम्बलडन में एकल मैच में जापान की अकीको मोरीगामी के खिलाफ अपना डेब्यू किया। अपने पहले मैच में 18 वर्षीय भारतीय ने पूरा ज़ोर लगाते हुए शानदार प्रदर्शन किया, लेकिन अनुभवी खिलाड़ी के खिलाफ खेलते हुए वह 3-6, 6-2, 6-8 से यह मैच हार गईं।
उन्होंने कहा, "मैं जानती हूं कि मैं जो भी मैच खेलती हूं उन सभी में जीत नहीं हासिल कर सकती हूं, लेकिन मैं जिस तरह से खेली हूं उससे खुश हूं। मैंने कई बार थोड़ा सधा हुआ खेल खेला लेकिन यह काम नहीं आया। अंत में बस मैं यही कहुंगी कि मुझे खुशी है कि मैंने यहां तक पहुंची।”
हालांकि, सानिया अगले दौर में रूसी स्टार स्वेतलाना कुज़नेत्सोवा को हराने में कामयाब रहीं थीं।
2011 तक सानिया मिर्जा विम्बलडन में महिला एकल स्पर्धा में लगातार हिस्सा ले रहीं थीं और वह चार बार दूसरे दौर में पहुंचने में सफल हुईं थीं।
सानिया मिर्जा का विंबलडन मिक्स्ड-डबल्स करियर
विंबलडन मिक्स्ड डबल्स (मिश्रित युगल) इवेंट में सानिया मिर्जा को 13 जीत और 12 हार नसीब हुई हैं।
2005 में अपने अभियान को शुरू करने के साथ ही उन्होंने स्वीडन के साइमन एस्पेलिन के साथ जोड़ी बनाई और गैस्टोन एल्टिस और लिसा मैकशी की अर्जेंटीना-ऑस्ट्रेलियाई जोड़ी के खिलाफ अपना पहला मिश्रित युगल विम्बलडन मैच जीता।
हालांकि, अगले दौर में यह जोड़ी लेओस फ्रीडल और जेनेट हुसरोवा की जोड़ी से हार गई।
सानिया मिर्जा ने 2006 में शानदार प्रदर्शन किया और वह चेक जोड़ीदार पावेल विज़नर के साथ तीसरे दौर में पहुंचने में सफल रहीं।
2007 में उन्होंने भारतीय टेनिस खिलाड़ी महेश भूपति के साथ जोड़ी बनाई। उनके साथ वह 2009 के ऑस्ट्रेलियन ओपन और 2012 के फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल ख़िताब को जीतने में सफल रहीं।
हालांकि, 2011 में एक अन्य भारतीय साथी रोहन बोपन्ना के साथ मिलकर सानिया मिर्जा ने विंबलडन में मिश्रित युगल में अपने पहले क्वार्टर फाइनल में जगह बनाई।
सानिया मिर्जा साल 2013 में रोमानियाई होरिया टेकाउ के साथ और 2015 में ब्राजील के ब्रूनो सोरेस के साथ दो बार शीर्ष आठ में पहुंचने में सफल रहीं। हालांकि, वह उससे आगे नहीं बढ़ पाईं।
विंबलडन में भारतीय टेनिस ऐस का सर्वश्रेष्ठ मिश्रित युगल 2022 में देखने को मिला, जो एक पेशेवर टेनिस खिलाड़ी के रूप में उनका आखिरी सीजन था। इस दौरान यह प्रदर्शन उन्होंने अपने पार्टनर क्रोएशियाई मेट पाविक के साथ मिलकर किया।