सानिया मिर्ज़ा ने अपने पूरे करियर के दौरान भारतीय टेनिस को बदलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
अपने इस अभियान में भारतीय टेनिस खिलाड़ी ने 6 ग्रैंड स्लैम जीते, WTA युगल रैंकिंग में शीर्ष स्थान हासिल किया, WTA एकल रैंकिंग में शीर्ष 30 में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला बनीं, और इसके अलावा इस सफ़र में उन्होंने अन्य कई उपलब्धियां भी हासिल की।
टेनिस के प्रति उनकी लगन और दिलचस्पी की वजह से तीन बार की ओलंपियन और राष्ट्रमंडल खेलों की रजत पदक विजेता को टेनिस कोर्ट पर कुछ अद्भुत प्रदर्शन करते हुए देखा गया। यहां हम आपके लिए कुछ ऐसे मैचों को चुनकर लाए हैं, जिन्होंने सानिया मिर्ज़ा के करियर को शानदार बनाया है।
ऑस्ट्रेलियन ओपन 2005: सेरेना विलियम्स के खिलाफ सानिया मिर्ज़ा का मैच
6 ITF एकल खताब और हैदराबाद ओपन में अपना पहला डब्ल्यूटीए युगल खिताब जीतकर 2004 के एक शानदार सीज़न के बाद सानिया मिर्ज़ा अपने पहले ग्रैंड स्लैम – 2005 ऑस्ट्रेलियन ओपन के दौरान एक उभरती हुई स्टार थीं।
इस टूर्नामेंट में वाइल्ड कार्ड एंट्री के साथ शामिल हुई यह भारतीय टेनिस खिलाड़ी ऑस्ट्रेलिया की सिंडी वाटसन और हंगरी की पेट्रा मंडुला को हराने में कामयाब रही। अब उनका तीसरा मुक़ाबला सेरेना विलियम्स से होना था।
उस समय छह बार की ग्रैंड स्लैम विजेता और अमेरिकी आइकन से कम उम्र में ही इस भारतीय टेनिस खिलाड़ी को सामना करने का मौका मिला।
सानिया मिर्ज़ा अपना पहला सेट 6-1 से हार गईं, लेकिन दूसरे सेट में शानदार प्रदर्शन किया और सेरेना को खेल पर अपनी पकड़ बनाए रखने के लिए कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
इसके बावजूद सानिया दूसरा सेट भी 6-4 से हार गईं, लेकिन 18 साल की उम्र में उन्होंने अपने प्रदर्शन से एक उज्जवल भविष्य पर मुहर लगा दी। भारतीय प्रशंसकों के लिए यह गौरव की बात थी।
उन्होंने कहा, "इससे मुझे एक अलग स्तर का विश्वास मिला, सर्वश्रेष्ठ से मुक़ाबला करने और सर्वश्रेष्ठ होने के सही मायने का पता चला। अगर मैं सेरेना के खिलाफ प्रतिस्पर्धा कर सकता हूं, तो मैं किसी से भी मुकाबला कर सकती हूं।”
उसके बाद अगले डेढ़ दशक तक सानिया मिर्ज़ा भारत में महिला टेनिस की ध्वजवाहक बनीं, ठीक वैसे ही जैसे कि नब्बे के दशक में लिएंडर पेस ने किया था।
मैच का परिणाम: सानिया मिर्जा 1-6, 4-6 से सेरेना विलियम्स से हार गईं।
दुबई ओपन 2005 क्वार्टर-फ़ाइनल: एक बड़ी जीत
जहां सेरेना विलियम्स के खिलाफ मैच से बड़े मंच पर उनके कदम पड़े, वहीं अगले साल दुबई ओपन में रूसी टेनिस खिलाड़ी स्वेतलाना कुज़नेत्सोवा पर सानिया मिर्ज़ा की जीत ने यह साबित कर दिया कि वह इस मंच पर अपनी जगह बनाने क़ाबिलियत रखती हैं।
क्वार्टर-फ़ाइनल में उस समय की मौजूदा यूएस ओपन चैंपियन और वर्ल्ड नम्बर-7 पर काबिज़ टेनिस खिलाड़ी ने शुरुआत में सानिया मिर्ज़ा को मुश्किल में डाल दिया।
टखने की चोट के साथ खेलते हुए यह युवा खिलाड़ी 4-0 से पीछे हो गई और लगभग मैच से बाहर होने के कगार पर पहुंच गईं थीं।
सानिया ने याद करते हुए कहा, “मैं वास्तव में रो रही थी, क्योंकि मैं बहुत दर्द में थी। लेकिन मुझे दर्द की दवा दी गई और मुझे लगता है इसने मुझे गेम में अपने पांव वापस जमाने में मदद की।
इसके बाद सानिया मिर्ज़ा ने जबरदस्त वापसी की। उन्होंने अगले छह गेम और सेट को जीत लिया। दूसरे सेट में भी उन्होंने अपनी फॉर्म को बरक़रार रखा और इसे 6-2 से जीतकर हलचल मचा दी।
मैच का परिणाम: सानिया मिर्ज़ा ने स्वेतलाना कुज़नेत्सोवा को 6-4, 6-2 से हराया।
यूएस ओपन 2014 मिक्स्ड डबल्स फ़ाइनल
महेश भूपति के साथ ऑस्ट्रेलियन ओपन मिश्रित युगल खिताब जीतकर सानिया मिर्ज़ा ने 2009 में अपना पहला ग्रैंड स्लैम जीता। इसके बाद दोनों खिलाड़ियों ने तीन साल बाद फ्रेंच ओपन मिश्रित युगल खिताब भी अपने नाम कर लिया।
हालांकि, यह 2014 में अमेरिकी ओपन मिक्स्ड डबल्स के फाइनल में ब्राजीलियन ब्रूनो सोरेस के साथ जोड़ी बनाकर मिश्रित युगल खेलने उतरीं सानिया मिर्ज़ा को करियर की ऊंचाइयां छूने में मदद की।
2013 से अपना पूरा ध्यान युगल टेनिस में लगाने के बाद कलाई की चोट से जूझ रहीं सानिया मिर्ज़ा को एक बड़ी जीत की तलाश थी।
पहली बार एक साथ खेलने उतरी इस इंडो-ब्राज़ीलियाई जोड़ी के लिए यह एक मुश्किल टूर्नामेंट लग रहा था। हुआ भी ऐसा ही, उन्हें फ़ाइनल तक पहुंचने के लिए कई कड़े और मुश्किल मुक़ाबलों से गुजरना पड़ा।
सानिया-सोरेस ने संयुक्त राज्य अमेरिका के एबिगेल स्पीयर्स और मेक्सिको के सैंटियागो गोंजालेज का सामना किया और पहला सेट 6-1 से जीत लिया। हालांकि, स्पीयर्स और गोंजालेज ने दूसरा सेट 6-2 से अपने नाम कर लिया और यह मुक़ाबला सुपर टाईब्रेकर में पहुंच गया।
सानिया और सोरेस ने शानदार प्रदर्शन करते हुए 9-4 की बढ़त बना ली, लेकिन यूएस-मैक्सिकन जोड़ी ने फिर वापसी करते हुए 9-9 से बराबरी कर मुकाबले को एक बार फिर रोमांचक मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया। इसके बाद साइना-सोरेस के अटैकिंग प्रदर्शन ने मैच को अपने काबू में करते हुए इसे 11-9 से जीत लिया।
उन्होंने कहा, “उम्मीद है कि इस तरह की जीत लोगों को टेनिस रैकेट अपने हाथों में लेने के लिए प्रेरित करेगी। भारत में, क्रिकेट एक धर्म की तरह है, लेकिन मुझे लगता है कि लोग अब यह मानते हैं कि आप एक टेनिस खिलाड़ी भी बन सकते हैं और सफलता हासिल कर सकते हैं।”
मैच का परिणाम: सानिया मिर्ज़ा और ब्रूनो सोरेस ने अबीगैल स्पीयर्स और सैंटियागो गोंजालेज को 6-1, 2-6, 11-9 से हराया।
विंबलडन 2015 का फाइनल: सानिया और मार्टिना (सेंटिना) ने जीता पहला ग्रैंड स्लैम
लंबे समय तक महिला पार्टनर कारा ब्लैक के साथ खेलते हुए 2014 में डब्ल्यूटीए फाइनल जीतने के बाद सानिया मिर्ज़ा ने स्विस दिग्गज मार्टिना हिंगिस के साथ जोड़ी बनाकर 2015 में सेंटिना युग की शुरुआत की।
अगले साल, इंडो-स्विस जोड़ी ने तीन ग्रैंड स्लैम जीते। हालांकि, विंबलडन 2015 पहला और खास था।
सेंटिना ने रूस की एकाटेरिना मकारोवा और एलेना वेसिना से मुक़ाबला करने से पहले अपने सभी मैचों को सीधे सेटों में जीत लिया।
इस मैच में सभी चार खिलाड़ियों को अपनी पूरी ताकत लगानी पड़ी। रूसी जोड़ी ने पहला सेट 7-5 से जीत लिया, इसके बाद सेंटिना ने दूसरा सेट 7-6 से जीतकर ड्रा कर लिया।
निर्णायक सेट में रूसी खिलाड़ियों ने 4-1 से बढ़त बना ली, लेकिन सानिया और हिंगिस ने फिर 5-5 से बराबरी कर ली। इसके बाद इंडो-स्विस जोड़ी ने ढाई घंटे तक चली लम्बी मैराथन के बाद 7-5 से आखिरी सेट जीत लिया।
“कई कारणों से यह मेरे करियर के सबसे खास पलों में से एक है, क्योंकि यह एक फिल्म को देखने जैसा था, जिसमें आपको पता होता है कि अंत में नायक ही जीतने वाला है। लेकिन फिर भी आप इसे पूरी लगन से देखते हैं? और आप फिर भी यह सोच रहे होते हैं कि क्या यह होने वाला है?
मैच का परिणाम: सानिया मिर्ज़ा और मार्टिना हिंगिस ने एकातेरिना मकारोवा और एलेना वेस्नीना को 5-7, 7-6, 7-5 से हराया।
होबार्ट इंटरनेशनल: एक नई पारी की शुरुआत
सानिया मिर्ज़ा ने 2015 में शानदार प्रदर्शन किया और 2016 में ऑस्ट्रेलियन ओपन का खिताब जीतने से पहले हिंगिस के साथ यूएस ओपन और डब्ल्यूटीए फाइनल भी जीता। मिश्रित युगल के साथी रोहन बोपन्ना के साथ 2016 रियो ओलंपिक में क्वार्टर-फाइनल में जगह बनाई।
हालांकि, हिंगिस के साथ जोड़ी टूटने और कई चोटों के बाद अप्रैल 2018 से वह मातृत्व अवकाश पर चली गईं।
बेटे इज़हान मिर्ज़ा मलिक को जन्म देने के बाद भारतीय शीर्ष टेनिस खिलाड़ी ने होबार्ट इंटरनेशनल 2020 में अपनी वापसी की और यूक्रेनी साथी नाडिया किचेनोक के साथ युगल ख़िताब जीता।
टूर्नामेंट के शुरुआती दौर में थोड़ा लड़खड़ाने के बावजूद सानिया मिर्ज़ा टूर्नामेंट में पूरी ताक़त से आगे बढ़ीं। उनका फाइनल मुक़ाबला झांग शुआई और पेंग शुआई की चीनी जोड़ी के खिलाफ़ था।
इंडो-यूक्रेनी जोड़ी ने 6-4, 6-4 से मैच जीत लिया, लेकिन दोनों ही सेटों में मुक़ाबला काफी करीबी रहा। दोनों ही मैच में स्कोर 4-4 से बराबर हुआ, लेकिन साइना और किचोनेक की जोड़ी जीत हासिल करने में कामयाब रही।
जीत के बाद सानिया मिर्ज़ा ने Olympics.com से कहा, “मैंने अपने जीवन में बहुत सारे टूर्नामेंट जीते हैं और बहुत कुछ हासिल किया। लेकिन जब मैंने होबार्ट में जीत हासिल की तो यह अनुभव ख़ास था। मुझे पता था कि मैंने इसे कैसे जीता था। मैंने इसे अपने लिए और अपने बेटे के लिए जीता। मैंने इसे एक लम्बी लड़ाई के बाद जीता, जिसमें बहुत सी मुश्किलें आईं।”
अपनी वापसी के बाद, सानिया मिर्ज़ा ने भारतीय टीम को अपने पहले फेड कप (जिसे अब बिले जीन किंग कप कहा जाता है) के प्लेऑफ़ में पहुंचाया।
मैच का परिणाम: सानिया मिर्ज़ा और नाडिया किचेनोक ने झांग शुआई और पेंग शुआई को 6-4, 6-4 से हराया।