भारतीय बैडमिटंन स्टार खिलाड़ी पीवी सिंधु ने अपने फैंस को शायद ही कभी निराश किया है। अपने करियर में उन्होंने अपने दमदार प्रदर्शन से हमेशा लोगों का दिल जीता है।
रियो 2016 हो या वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप का प्रदर्शन - ये वो मौके थे जब पीवी सिंधु ने अपनी श्रेष्ठता दिखाई थी। इसके अलावा इस भारतीय स्टार का रैकेट ज्यादातर मौकों पर अपने प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ हावी ही रहा है।
चलिए पीवी सिंधु के उन मैचों के बारे में पढ़ते हैं, जिसमें उन्होंने अंत तक हार नहीं मानी और अपने प्रदर्शन से दुनिया का दिल जीत लिया।
पीवी सिंधु के सर्वश्रेष्ठ बैडमिंटन मैच
रियो 2016 ओलंपिक फाइनल
रियो ओलंपिक में पीवी सिंधु से ज्यादा उम्मीदें नहीं थीं। लेकिन लंदन 2012 ओलंपिक की कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल के जल्दी बाहर हो जाने के बाद सारी उम्मीदें इस खिलाड़ी से लग गईं।
जहां एक ओर भारतीय शटलर ने बिना कोई मैच हारे ही फाइनल तक का सफर तय किया, तो वहीं कैरोलिना मारिन ने भी फाइनल तक अपने सभी मैचों में जीत हासिल की थी। इस सफर को तय करने के बाद सिंधु को स्वर्ण जीतने के लिए कुछ अलग करने की ज़रुरत थी।
पीवी सिंधु ने बेहतरीन अंदाज में इस मैच की शुरुआत की और पहले गेम में शानदार मुकाबले के बाद उन्होंने 1-0 से बढ़त हासिल कर ली।
लेकिन इस खिलाड़ी का सबसे बेहतरीन फॉर्म देखना अभी बाकी था, जहां दूसरे गेम में स्पेनिश खिलाड़ी को सिंधु ने कांटे की टक्कर दी।
हालांकि इस बार कैरोलिना मारिन ने दमदार शॉट्स के साथ गेम में वापसी की और 20 मिनट में ही दूसरे गेम को अपने नाम कर लिया।
इसके बाद कैरोलिना और सिंधु के बीच तीसरे गेम में कांटे की टक्कर देखने को मिली, लेकिन इस गेम में भी कैरोलिना की किस्मत चमकी और भारत ने पहले बैडमिंटन ओलंपिक रजत पदक का जश्न मनाया।
फाइनल मैच का परिणाम: पीवी सिंधु को कैरोलिना मारिन ने 21-19, 12-21, 15-21 से हराया।
**“**मैंने सचमुच बहुत संघर्ष किया और अपना सर्वश्रेष्ठ खेल दिखाया। जब मैं फाइनल में उतरी, तो मैंने खुद से कहा कि सिर्फ एक मैच और मैं स्वर्ण पदक जीत सकती हूं। खुद से सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने के लिए कहा और मैंने बहुत कोशिश की। मुझे लगता है कि ये उनका (कैरोलीना मारिन) दिन था।”
वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप 2017 फाइनल
2017 के वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में अंतिम दिन के मुकाबले को देखने के लिए ग्लासगो में अमीरात के एरीना को 7000 से अधिक दर्शकों ने भर दिया था। लोगों को उम्मीद भी नहीं थी कि उन्हें इतना शानदार मुकाबला देखने को मिलेगा।
110 मिनट तक चले इस मैच में दोनों शटलर के बीच ज़ोरदार टक्कर देखने को मिली। इस वर्ल्ड फाइनल के मुकाबले में दोनों शटलर्स ने साबित किया कि वो उस समय की श्रेष्ठ खिलाड़ी हैं। पीवी सिंधु और नोज़ोमी ओकुहारा के बीच खेले गया ये मुक़ाबला बैडमिंटन इतिहास के सबसे शानदार मुक़ाबलों में से एक था।
इस मैच में जहां पीवी सिंधु के पास उनके शक्तिशाली जंप स्मैश और लाइटिंग-क्विक रिटर्न थे, जिसने उन्हें कई महत्वपूर्ण अंक दिलाए, तो दूसरी ओर ओकुहारा तकनीकी रूप से बेहतर थीं, जो अक्सर अपने स्मार्ट खेल से अपने प्रतिद्वंदी पर हावी रही थीं।
इस मैच में दोनों के बीच कांटे की टक्कर देखने को मिली, पहला गेम हारने के बाद सिंधु ने वापसी की और दूसरा गेम जीतने में सफल रहीं। इस दौरान दोनों के बीच लगभग 73 शॉट्स की रैली देखने को मिली।
तीसरे और निर्णायक गेम में जापानी खिलाड़ी ने अपने शानदार फुटवर्क का इस्तेमाल किया और तीसरा गेम अपने नाम कर लिया।
मैच का परिणाम: पीवी सिंधु को नोजोमी ओकुहारा ने 19-21, 22-20, 20-22 से हराया
“यह मानसिक और शारीरिक रूप से थका देने वाला मैच था। हम दोनों ने वास्तव में बहुत संघर्ष किया क्योंकि प्रत्येक अंक हम दोनों के लिए महत्वपूर्ण था। अंतिम अंक तक, हमें नहीं लगा कि ये मैच खत्म हो गया है।”
चीन मास्टर्स सुपर सीरीज 2012 क्वार्टर-फाइनल
2012 में भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल ने दुनिया में अपने नाम की धूम मचाई।
हैदराबाद की साइना नेहवाल ओलंपिक पदक जीतने वाले पहली भारतीय शटलर बन गई थीं। उन्होंने बेहतरीन चीनी शटलर्स के खिलाफ लगातार अच्छा प्रदर्शन किया।
ये तब था जब पीवी सिंधु ने अंतरराष्ट्रीय मंच पर अपने कदम जमाने शुरू किए थे। उस समय 17 साल की सिंधु ने इस मैच में शानदार खेल दिखा कर अपना नाम बनाया।
चाइना ओपन सुपर सीरीज़ के क्वार्टर फ़ाइनल में चीन की ओलंपिक चैंपियन ली ज़्यूरुई के खिलाफ, भारतीय शटलर ने शानदार प्रदर्शन करते हुए एक बेहतरीन जीत दर्ज की।
इस मैच के पहले गेम में जहां पीवी सिंधु को ली ज्युरुई को हराने के लिए ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ी और ओलंपिक चैंपियन के खिलाफ 1-0 की बढ़त ले ली। तो वहीं दूसरे गेम में 21-9 की जीत के साथ चाइनीज शटलर ने वापसी की और मैच बराबरी पर ला दिया।
हालांकि कई लोगों को लगा कि युवा भारतीय शटलर दबाव में आएंगीं, लेकिन पीवी सिंधु ने चीनी शटलर को ज़ोरदार टक्कर दी और तीसरा गेम जीतकर अपना लोहा मनवाया।
मैच का परिणाम: पीवी सिंधु ने ली ज़्यूरुई को 21-19, 9-21, 21-16 से हराया।
"सच कहूं तो, मुझे उम्मीद नहीं थी कि मैं उन्हें हरा पाऊंगी, वो भी उनके देश में। बेशक, वह एक ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता है और लंबे समय से खेल में टॉप क्लास का खेल दिखाया है। मैं डरी नहीं थी, मैं सिर्फ इतना जानती थी कि मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना है और मैंने अपना स्वाभाविक खेल खेला और उनके खिलाफ जीत हासिल की।”
BWF वर्ल्ड टूर फाइनल 2018
पीवी सिंधु को एक बड़े मैच का खिलाड़ी माना जाने लगा था। और वर्ल्ड चैंपियनशिप, वर्ल्ड टूर फाइनल्स और ओलंपिक जैसे इवेंट्स में उनका प्रदर्शन अक्सर इस कथन को सही साबित कर रहा था।
लेकिन भारतीय शटलर में कुछ कमियां भी थी जो 2018 में देखने को मिली। जहां वो बिना कोई खिताब जीते 13 महीने तक खेली और इस दौरान वो सात फाइनल में पहुंची।
कोई भी खिताब अलग ही मायने रखता है। और जिस तरह से सिंधु ने अपनी जीत के ट्रैक पर वापसी की वो प्रत्येक फैन के लिए खुशखबरी थी।
चीनी ताइपे की तत्कालीन विश्व नंबर एक ताई त्ज़ु यिंग पर उनकी जीत सबसे बेहतर रही, जिनके खिलाफ प्रतियोगिता के ग्रुप में भारतीय ने अपने पिछले छह मैचों में से एक में जीत दर्ज की थी।
पहले पीवी सिंधु रक्षात्मक मानसिकता के साथ खेलती लेकिन बाद में भारतीय शटलर अपने प्रयासों पर विश्वास करती हुई दिखीं और अपनी ताकत पर भरोसा किया।
शुरुआती गेम हारने के बाद सिंधु ने दूसरे गेम में वापसी की और तीसरे गेम में पीवी सिंधु ने सात सीधे अंक लेकर ताई त्ज़ु यिंग को पहले टक्कर दी और फिर गेम के साथ मैच भी अपने नाम कर लिया।
मैच का परिणाम: पीवी सिंधु ने ताई त्ज़ु यिंग को 14-21, 21-16, 21-18 से हराया।
"जब मैं लीड कर रही थी और वो वापसी कर लेती तो मैं पहले घबरा जाती। लेकिन अब मैं बहुत मजबूत हूं। बस अगले अंक पर ध्यान केंद्रित करें। पहले मैं सोचती रहती थी और 2-3 अंक गंवा देती थी।"
BWF वर्ल्ड चैंपियनशिप 2019 फाइनल
ये कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि पीवी सिंधु को विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में सबसे अच्छा खेलते हुए देखा गया है और उनकी ट्रॉफी कैबिनेट इस बात का प्रमाण है।
एक स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक के साथ पुसरला वेंकट सिंधु विश्व चैंपियनशिप में प्रतिस्पर्धा करने वाली सबसे सफल भारतीय हैं।
हालांकि, उन्होंने अपना पहला पदक कांस्य डेनमार्क के कोपेनहेगन में 2013 संस्करण में जीता था। 24 वर्षीय को 2019 में गोल्ड जीतने के लिए छह साल और इंतजार करना पड़ा।
इस बार भी उनके रास्ते में जापानी ओकुहारा खड़ी थीं, जिन्होंने दो साल पहले सिंधु की मुट्ठी से खिताब छीनने के लिए 1 घंटे और 50 मिनट तक कोर्ट पर पसीना बहाया था।
लेकिन 2019 के संस्करण में ऐसा कोई ड्रामा देखने को नहीं मिला। पीवी सिंधु ने 22 शॉट की रैली के बाद शुरुआती अंक गंवाया, लेकिन फिर भी भारतीय शटलर इस मैच की सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी साबित हुईं।
उन्होंने सिर्फ 37 मिनट में ये खिताब अपने नाम कर लिया।
मैच का परिणाम: पीवी सिंधु ने नोजोमी ओकुहारा को 21-7, 21-7 से हराया।
"मैं वास्तव में खुश हूं, मैंने इस जीत का इंतजार किया और आखिरकार मैं विश्व विजेता बन गई। मेरे पास व्यक्त करने के लिए कोई शब्द नहीं है क्योंकि मैं इंतजार कर रही थी, पिछले साल इस पदक का रंग सफेद था, उससे भी पहले ये सफेद ही था और फिर अंत में मैं विश्व चैंपियन बन गई।”