भारतीय गोलकीपर सविता पूनिया ने 18 साल की उम्र में भारतीय महिला हॉकी टीम के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपना डेब्यू किया, जब उन्हें दक्षिण अफ़्रीका के डरबन में स्पार कप फ़ोर नेशंस टूर्नामेंट के लिए टीम में शामिल किया गया। उन्होंने 2013 में महिला एशिया कप के आठवें संस्करण में भारत को कांस्य पदक जीतने में अहम भूमिका निभाई थी और वह 2016 में महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी में स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का भी हिस्सा थीं।
सविता पूनिया 2016 के रियो ओलंपिक में उस भारतीय टीम में शामिल थीं, जो 36 वर्षों में पहली बार ओलंपिक का हिस्सा बनी। 2017 में FIH महिला विश्व लीग राउंड 2 में उन्होंने अपने शानदार प्रदर्शन के बलबूते पर 'गोलकीपर ऑफ़ द टूर्नामेंट' का ख़िताब हासिल किया। इसके बाद उन्होंने महिला एशिया कप 2017 में टीम के लिए अहम योगदान दिया, जिससे भारत को 13 साल बाद ट्रॉफ़ी जीतने में मदद मिली।
भारतीय गोलकीपर ने जकार्ता-पालेमबांग में 2018 एशियाई खेलों के साथ-साथ महिला एशियाई चैंपियंस ट्रॉफ़ी 2018 में भारत की रजत पदक जीत में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। सविता को 2018 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
उन्होंने भारत के लिए उप-कप्तान के रूप में टोक्यो ओलंपिक 2020 के अभियान में एक अहम भूमिका निभाई, जहां उन्होंने अपनी टीम को चौथा स्थान हासिल करने में मदद की। उन्हें 2022 में रानी रामपाल की अनुपस्थिति में टीम का नेतृत्व करने का ज़िम्मा सौंपा गया था, जो लंबे समय तक चोट के कारण बाहर थीं।
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