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स्की माउंटेनरिंग

स्की माउंटेनियरिंग को “स्कीमो” स्पर्धा भी कहा जाता जिसमें एथलीट पहाड़ के उपर चढ़ते हैं और नीचे उतरते हैं और इसे जीतने के लिए कौशल की बहुत ज़रूरत होती है। यह गतिविशी बर्फीले पहाड़ों पर की जाती है।

स्की माउंटेनियरिंग का जन्म

स्की को प्रागैतिहासिक समय से पहले से किया जा रहा है क्योंकि उस समय लोगों को पहाड़ पर चढ़ना उतरना पड़ता था। पुरातत्वविदों ने यह पता लगाया कि बर्फ पर कुछ चित्र हैं जो कुछ चलते हुए दिखते हैं और वह थे लकड़ी की स्की और पेंटिंग। यह मिडल ऐज के चित्र थे और उन्हें ‘स्किन’ कहा जाता था, जिनका इस्तेमाल बर्फीले चट्टानों को पार करने के लिए किया जाता था। इसके बाद रूस, फिनलैंड, स्वीडन और नॉर्वे में अलग अलग साइज़ के लकड़ी के फट्टे भी देखे गए थे। स्की माउंटेनियरिंग का जन्म यूरोप में हुआ था और इसके बाद 1897 मई जर्मनी ने भी इस खेल में रूचि दिखाई थी। जर्मनी ने अल्पाइन की शुरुआत की जिसे मॉडर्न स्की भी माना जाता है। 20वीं सदी के दौरान जानवरों की स्किन का प्रयोग भी किया जाता था और आज के समय में केवल सिंथेटिक का इस्तेमाल किया जाता है।

अंतरराष्ट्रीय स्तर

इस खेल को दुनिया भर में पसंद किया जाने लगा और इसके बाद अंतरराष्ट्रीय इवेंट भी शामिल किए गए। नॉर्थ अमरीका, फिनलैंड, रूस, साउथ अमरीका, साउथ कोरिया, चीन और जापान जैसे देशों में इस खेल का महत्व बढ़ चुका था। इस खेल की पहली वर्ल्ड चैंपियनशिप 2002 में फ्रांस में आयोजित की गई थी। इतना ही नहीं इसके बाद हर दो साल में कॉन्टिनेंटल इवेंट भी खेले गए और देखते ही देखते वर्ल्ड कप ने भी अपनी जगह बना ली। अंतरराष्ट्रीय स्की माउंटेनियरिंग की नेशनल फेडरेशन में 38 सदस्य हैं जो कि तीन देश (यूरोप, एशियन और अमरीका) की गतिविधियां देखती है। स्की माउंटेनियरिंग के खेल मेंसाइकलिस्ट, स्विम्मर, रनर, हाईकर और माउंटेनियरिंग के एथलीट भी हिस्सा लेते हैं।

स्की माउंटेनरिंग स्पॉटलाइट