कैनो स्प्रिंट क्या है?
कैनो स्प्रिंट में प्रतियोगी के द्वारा फ्लैटवाटर कोर्स पर 200 और 1000 मीटर के बीच की दूरी पर रेस की प्रतिस्पर्धा की जाती है।
इस खेल में दो प्रकार की नाव इस्तेमाल की जाती हैं: पहला कैनो होता है जिसे हिंदी में डोंगी भी कहा जाता है। डोंगी या कैनो एक ख़ास प्रकार की नाव होती है जो लंबी, संकरी और काफ़ी हल्की होती है। कैनो के साथ एथलीट को नीलिंग (घुटनों के बल) पोज़ीशन में बांधा जाता है और वे एक चप्पू (सिंगल-ब्लेड पैडल) के प्रयोग से नाव को आगे बढ़ाते हैं।
वहीं, दूसरे प्रकार की नाव को कायक कहते हैं जिसमें डबल ब्लेडेड पैडल (चप्पू) होते हैं। इसमें एथलीट बैठकर दो चप्पूओं का इस्तेमाल करते हुए रेस में हिस्सा लेते हैं।
अधितर रेस का आयोजन इंडिविजुअल एथलीटों के बीच आयोजित किया जाता है। हालांकि, ओलंपिक खेलों में टू-पर्सन कैनो (दो एथलीटों की टीम) और फोर-पर्सन कायक (चार एथलीटों की टीम) वर्ग में भी प्रतिस्पर्धा होती है।
कैनो स्प्रिंट की शुरुआत कब, कहां और किसके द्वारा हुई थी?
कायक - "मैन बोट" के लिए इनुइट शब्द का अध्ययन करने के बाद - ब्रिटिश खोजकर्ता और यात्रा लेखक जॉन मैकग्रेगर को पारंपरिक शिकार और मछली पकड़ने वाली नावों को खेल में प्रयुक्त होने वाले नावों में बदलने का श्रेय दिया जाता है और उन्होंने 1866 में रॉयल कैनो क्लब की स्थापना की।
कैनो स्प्रिंट, जिसे मूल रूप से फ्लैटवाटर कैनो के रूप में जाना जाता है, खेल का मूल और सबसे सरल रूप है जहां फ़िनिश तक पहुंचने वाला पहला एथलीट विजेता होता है।
कैनो स्प्रिंट के नियम क्या हैं?
आठ इंडिविजुअल एथलीट (या नाविकों की टीम) स्प्रिंट कैनो या स्प्रिंट कायक रेस के लिए लाइन-अप होते हैं। ख़ास बात ये है कि इस रेस के लिए हर एथलीट या टीम को एक लेन आवंटित की जाती है और उन्हें इसके भीतर ही रहना होता है।
इसके बाद, विजेता बनने के लिए उन्हें जितनी जल्दी हो सके फ़िनिश लाइन तक पहुंचना होता है।
कैनो स्प्रिंट और ओलंपिक
फ्लैटवाटर कैनोइंग के अपने पूर्व नाम के साथ, कैनो स्प्रिंट को पेरिस में 1924 ओलंपिक खेलों में एक प्रदर्शनी खेल के रूप में शामिल किया गया था। बर्लिन 1936 में पहली बार यह एक पूर्ण रूप से ओलंपिक डिसिप्लीन बन गया।
पिछले कुछ वर्षों में इसके इवेंट्स में कई बदलाव हुए हैं, जिसके तहत लंदन 1948 में पहली बार महिलाओं के द्वारा प्रतिस्पर्धा किया जाना शामिल है। हालांकि, महिलाओं की यह प्रतियोगिता सिर्फ़ कायक वर्ग में हुई थी। टोक्यो 2020 से पहले तक स्प्रिंट कैनो में पदक के लिए महिलाओं की प्रतिस्पर्धा नहीं होती थी।
समय के साथ दर्शकों को आकर्षित करने के लिए रेस की दूरी कम कर दी गई है। ओलंपिक रेस अब 200 मीटर (सिर्फ़ महिला C-1), 500 मीटर और 1000 मीटर (सिर्फ़ पुरुष C-1 और K-1) होती है।
पेरिस 2024 में, कैनो स्प्रिंट में 10 रेस होंगी जिसमें हर जेंडर के लिए 5 रेस का आयोजन किया जाएगा।
सर्वश्रेष्ठ कैनोइस्ट जिन्हें आप देख सकते हैं
हाल के वर्षों में, महिलाओं की स्प्रिंट कायक रेस में लीसा कैरिंगटन ने अपना दबदबा क़ायम किया है। उन्होंने टोक्यो 2020 में K-1 200 मीटर ख़िताब की हैट्रिक पूरी करने के साथ ही K-1 500 मीटर और K-2 500 मीटर में स्वर्ण पदक (केटलिन रीगल के साथ) भी जीता। वह इतिहास में न्यूज़ीलैंड की सबसे सफल ओलंपियन हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका की नेविन हैरिसन ने सिर्फ़ 19 साल की उम्र में टोक्यो में पहला महिला C-1 का 200 मीटर ख़िताब जीता। वे पेरिस में भी अपने मेडल टैली में इज़ाफ़ा करने के लिए तैयार हैं।
हंगरी लंबे समय से महिलाओं और पुरुषों के कैनो स्प्रिंट में एक शक्तिशाली राष्ट्र रहा है, जिसमें बालिंट कोपाज़ मौजूदा विश्व चैंपियन होने के साथ ही ओलंपिक K-1 के 1000 मीटर चैंपियन भी हैं।
टीम रेस में जर्मनी और चीन की टीम ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है, जबकि ब्राज़ील के इश्किया क्विरोज़ ने टोक्यो में अपने पदकों की संख्या चार कर ली, जिसमें C-1 के 1000 मीटर में उनके द्वारा जीता गया अपने देश का पहला कैनोइंग स्वर्ण पदक भी शामिल है।