नेत्रा कुमानन उन 13 भारतीय नाविकों में से एक हैं, जिन्होंने ओलंपिक खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। हालांकि, चेन्नई में जन्मी इस नाविक का टोक्यो 2020 के लिए क्वालीफाई करना भारतीय नौकायन के इतिहास में हमेशा एक विशेष घटना रहेगी।
नेत्रा कुमानन न सिर्फ ग्रीष्मकालीन खेलों के लिए क्वालीफाई करने वाली पहली भारतीय महिला हैं, बल्कि इससे भी महत्वपूर्ण बात यह है कि वह पहली भारतीय नाविक हैं, जिन्होंने क्वालीफाइंग स्पर्धा में शीर्ष पर रहकर सीधे ओलंपिक में जगह बनाई थी।
उनसे पहले ओलंपिक में जगह बनाने वाले अन्य सभी भारतीय नाविक पुरुष थे और वह ओलंपिक खेल में कोटा पूरा नहीं होने के कारण प्रतियोगिता में जगह बनाने में कामयाब हो सके थे। उनमें से कुछ भारतीय नाविकों ने प्रतीक्षा सूची (वेटिंग लिस्ट) में रहने के बाद ओलंपिक में जगह हासिल की थी।
अप्रैल 2021 में ओमान में मुसानाह ओपन चैंपियनशिप में 10-रेस सीरीज का शानदार नेतृत्व करने के बाद भारतीय नाविक ने लेजर रेडियल कैटेगरी में टोक्यो ओलंपिक में अपना स्थान सुनिश्चित किया। पदक राउंड में, वह छठे स्थान पर रहीं और कुल मिलाकर उन्होंने दूसरा स्थान हासिल किया।
नेत्रा का प्रदर्शन ऐसा था कि उन्होंने फारस की खाड़ी पर स्थित सबसे पुराने सल्तनत के मिलेनियम रिज़ॉर्ट में आयोजित एशियाई क्वालीफायर के ख़त्म होने से एक दिन पहले अपनी जगह पक्की कर ली थी।
दिलचस्प बात ये है कि मुसानाह वही जगह है, जहां साल 2013 में अंडर -21 के एक इवेंट में नेत्रा ने अपने अंतरराष्ट्रीय नौकायन (सेलिंग) करियर की शुरुआत की थी।
चेन्नई की ये नाविक लेजर रेडियल कैटेगरी में रेस लगाती हैं। ये एक छोटी शैली की नाव होती है, जिसे एक हाथ से चलाया जाता है।
नौकायन में नेत्रा कुमानन ने भारत को नई राह दिखाई है। जनवरी 2020 में मियामी में हेम्पेल विश्व कप सीरीज के दूसरे दौर में कांस्य पदक जीतने के बाद वह इस खेल में पदक जीतने वाली पहली भारतीय महिला भी हैं।
लेकिन, नेत्रा कुमानन ने उस जीत का जश्न नहीं मनाया क्योंकि उन्होंने अपनी रूममेट और दोस्त इटली की मटिल्डा टालुरी को हराकर यह जीत हासिल किया था, जो पांचवें स्थान पर रही थी।
नेत्रा कुमानन एक अनुभवी नाविक हैं। उन्होंने 2014 और 2018 एशियाई खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया है। उनका सबसे अच्छा प्रदर्शन इंडोनेशिया के जकार्ता में आयोजित 2018 एशियाई खेल में में देखने को मिला था, जहां वह चौथे स्थान पर रहीं थीं।
नेत्रा के मुताबिक जकार्ता में हासिल किया गया चौथा स्थान एक असफलता थी क्योंकि उनका उद्देश्य ओलंपिक में जगह बनाना था। उन्होंने कहा था कि वो वह खुद के ऊपर अपने द्वारा डाले गए दबाव के कारण पिछड़ गईं थीं।
हालांकि, अगर इस बात को ध्यान में रखा जाए कि वह कहां से आती हैं तो उस लिहाज़ से यह भी एक बड़ी उपलब्धि थी।
भारत के लिए ऐतिहासिक विश्व कप पदक जीतने के बाद नेत्रा कुमानन ने कहा था, "ज्यादातर लोगों को पता नहीं है कि नौकायन भारत में होता है। हमारे यहां क्रिकेट, फुटबॉल या हॉकी जैसे खेलों को ज्यादा खेला जाता है, जबकि सेलिंग (नौकायन) को सिर्फ आर्मी और नेवी में जाना जाता है।"
21 अगस्त, 1997 को जन्मी, नेत्रा कुमानन को साल 2011 में तमिलनाडु सेलिंग एसोसिएशन द्वारा आयोजित एक ग्रीष्मकालीन शिविर के दौरान नौकायन के लिए बुलाया गया था। उस समय वह सिर्फ 12 वर्ष की थीं।
यह वह समय था जब वह चीजों को एक्सप्लोर कर रहीं थीं। नेत्रा को एक युवा खिलाड़ी के रूप में टेनिस, बास्केटबॉल और साइकिल चलाना पसंद था। लेकिन उन्होंने सबसे ज्यादा भरतनाट्यम (एक भारतीय शास्त्रीय नृत्य) से सीखा, जिसे उन्हें नौकायन के लिए छोड़ना पड़ा।
भरतनाट्यम ने उनके जीवन को आयाम दिया, अनुशासन, कड़ी मेहनत और समर्पण जैसे मूल्य उनके अंदर विकसित किया, जो आज भी उनकी मदद करता है। जबकि वह भरतनाट्यम से दूर हैं, और नौकायन उनके जीवन का अभिन्न हिस्सा बन चुका है।
नेत्रा कहती हैं, "मुझे यह पसंद है, यह किसी अन्य खेल की तरह नहीं है। मैंने एक बच्चे के रूप में सब कुछ खेला है। लेकिन, नौकायन किसी भी अन्य खेल की तुलना में अलग और अधिक मानसिक तनाव वाला खेल रहा है जिसमें मैंने हाथ आजमाया है।"
चेन्नई के एसआरएम कॉलेज में इंजीनियरिंग की छात्रा नेत्रा कुमानन ने दो बार राष्ट्रीय चैंपियनशिप में जीत दर्ज की है और और दो बार उप-विजेता रहीं हैं। किसी अंतरराष्ट्रीय इवेंट में उनका पहला पोडियम फिनिश 2014 में चेन्नई में आयोजित इंडिया इंटरनेशनल रेगाटा में रहा था।
वह अपने परिवार के बेहद करीब हैं और उन्होंने अपने छोटे भाई, नवीन को भी नौकायन के लिए प्रेरित किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा भी की, लेकिन अंततः मिशिगन में अपनी शिक्षा जारी रखने का विकल्प चुना।
इस बीच, एक आईटी कंपनी चलाने वाले नेत्रा के पिता वीसी कुमानन उन्हें साथ डेटा क्रंचिंग और एनालिटिकल सपोर्ट के माध्यम से पूरा समर्थन देते रहे हैं।
नेत्रा ने कहा था, "अगर कोई युवा खिलाड़ी मेरे पास आता है, तो मैं उन्हें बताती हूं कि इस खेल में बहुत समय लगता है, पानी में बहुत घंटे लगते हैं, लेकिन इन सब का फायदा मिलता है।
उन्होंने आगे कहा, "आपको दुनिया घूमने को मिलता है, विभिन्न देशों के लोगों से मिलने का मौक़ा मिलता है। वहां आप अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने का प्रयास करते हैं और आप उनसे बेहतर करने की कोशिश करते हैं।"
टोक्यो ओलंपिक से पहले, नेत्रा दो बार के ओलंपियन, हंगरी के तामस एसजेस के साथ लगभग डेढ़ साल तक स्पेन के ग्रैन कैनरिया में प्रशिक्षण ले रहीं थीं।
एसजेस ने कहा, "हमें उनके रवैये और व्यक्तित्व से प्यार होने लगा था। वह एक बेहद मज़बूत लड़की हैं... उन्होंने सुबह 9:30 बजे हमारी ट्रेनिंग शुरू की। मज़बूत मानसिकता वाले एथलीटों के साथ काम करना आसान होता है।"
टोक्यो ओलंपिक में, नेत्रा कुमानन 10 क्वालीफाइंग रेस के बाद महिलाओं की लेजर रेडियल में कुल मिलाकर 35वें स्थान पर रहीं और फाइनल के लिए जगह बनाने में असफल रहीं। उन्होंने तीसरी रेस में सर्वश्रेष्ठ 15वां स्थान हासिल किया।
नेत्रा ने कहा, "यह एक कठिन प्रतियोगिता रही, लेकिन मुझे खुशी है कि मैंने देश का ध्यान नौकायन के खेल की तरफ आकर्षित किया है। मैं यहां से जो भी अनुभव है वह लेकर जाना चाहूंगी और बेहतर वापसी की कोशिश करुंगी।"
पेरिस 2024 में नेत्रा ने बेहतर प्रदर्शन किया। भारतीय सेलर ने इसी स्पर्धा में 21वां स्थान हासिलकिया। उन्होंने अप्रैल 2024 में फ्रांस में लास्ट चांस रेगाटा में इमर्जिंग नेशंस प्रोग्राम के माध्यम से भारत के लिए ओलंपिक कोटा हासिल किया था।