जब जेरेमी लालरिनुंगा ने कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में अपना पहला क्लीन-एंड-जर्क प्रयास (154 किग्रा) पूरा किया, तो वह अपने पैर में दर्द के कारण फर्श पर गिर गए थे।
कुछ मिनट बाद, भारतीय वेटलिफ्टर ने अपने अगले प्रयास में छह किग्रा और जोड़ते हुए 160 किग्रा का भार वर्ग उठाया। उन्होंने अपने दर्द की परवाह किए बिना इसे सफलतापूर्वक उठाया और एक गर्जना करने के बाद, वह फिर से दर्द के कारण जमीन पर गिर गए।
उन्होंने पहले ही अपने खेलों के रिकॉर्ड में कुल 300 किग्रा (स्नैच में 140 किग्रा भार उठाकर) उठाकर स्वर्ण पदक सुनिश्चित कर लिया था।
फिर भी, जेरेमी लालरिनुंगा ने अपने अंतिम क्लीन-एंड-जर्क प्रयास के लिए 165 किग्रा के साथ वापसी करने का प्रयास किया, लेकिन वह इसे पूरा करने में असफल रहे।
आत्मविश्वास से लबरेज जेरेमी लालरिनुंगा ने अपने युवा करियर की अब तक की सबसे बड़ी उपलब्धि हासिल करते हुए इतिहास रचा।
बर्मिंघम में 10 मिनट का ये नजारा, विपरीत परिस्थितियों का सामना करने के लिए जेरेमी लालरिनुंगा के धैर्य और दृढ़ संकल्प को पूरी तरह से दर्शाता है। यह एक ऐसी क्वालिटी है, जो उनको और वेटलिफ्टर से अलग बनाता है।
जेरेमी लालरिनुंगा कहां से है?
जेरेमी लालरिनुंगा का जन्म 26 अक्टूबर 2002 को भारत के उत्तर-पूर्व में एक छोटे से राज्य मिजोरम की राजधानी आइजोल में हुआ था।
जेरेमी की जिंदगी में खेल हमेशा से उनका एक अहम हिस्सा था क्योंकि उनके पिता लालनीहटलुआंगा एक मुक्केबाज थे, जिन्होंने जूनियर स्तर पर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाते हुए राष्ट्रीय पदक हासिल किया था। जेरेमी लालरिनुंगा अक्सर अपने पिता के साथ प्रशिक्षण सत्रों में जाते थे और भारोत्तोलन की दुनिया में कदम रखने से पहले वह इस खेल को अपना हिस्सा बनाना चाहते थे।
जेरेमी लालरिनुंगा ने स्क्रॉल डॉट इन से बात करते हुए कहा, “मेरे पिता एक मुक्केबाज थे। वह हमें कभी-कभी अपने ट्रेनिंग में ले जाते थे और मैंने धीरे-धीरे बॉक्सिंग की तरफ अपना मन बनाया। जब तक मैंने भारोत्तोलन नहीं देखा तब तक यह बहुत अच्छा था। मैंने अपने दोस्तों को ऐसा करते देखा और मुझे लगा कि यह एक ताकत का खेल है और मुझे इसे करने की जरूरत है।”
2011 में महज 8 साल की उम्र में जेरेमी लालरिननुंगा का भारोत्तोलन की दुनिया में सफर शुरू हुआ।
जेरेमी ने आर्मी स्पोर्ट्स इंस्टीट्यूट के लिए सेलेक्शन ट्रायल में हिस्सा लिया और बिना किसी परेशानी के उन्होंने कट हासिल किया। इसके बाद जेरेमी प्रशिक्षण के लिए साल 2012 में पुणे में शिफ्ट हो गए और उसके बाद उन्होंने अपने इस सफर को एक नए आयाम तक पहुंचाया।
जेरेमी लालरिनुंगा का यूथ ओलंपिक मेडल
जेरेमी जब महज 13 वर्ष के थे, तो उन्होंने 2016 में जॉर्जिया के त्बिलिसी में जूनियर विश्व भारोत्तोलन चैंपियनशिप में 56 किलोग्राम भार वर्ग में रजत पदक जीतकर दुनिया का ध्यान अपनी ओर आकर्षित किया।
इसके बाद उन्होंने एशियाई जूनियर चैंपियनशिप में एक और रजत पदक जीता और इसी वर्ष जेरेमी भारतीय राष्ट्रीय शिविर में शामिल हुए थे।
अगले वर्ष, उन्होंने मेडल की फेहरिस्त में एक और रजत पदक जोड़ा और कॉमनवेल्थ यूथ और जूनियर चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक अपने नाम किया।
वहीं, साल 2018 का वो साल था जब जेरेमी लालरिनुंगा ने अपने बेहतरीन प्रदर्शन के दम पर अपना लोहा मनवाया।
ब्यूनस आयर्स के यूथ ओलंपिक में, जेरेमी लालरिनुंगा ने 62 किलोग्राम वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने के लिए कुल 274 किलोग्राम (124 किलोग्राम स्नैच और 150 किलोग्राम क्लीन-एंड-जर्क) उठाकर स्वर्ण पदक जीता। वह यूथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय बने।
जेरेमी लालरिनुंगा ने 2019 एशियाई युवा चैंपियनशिप जीती और उसी वर्ष 306 किलोग्राम भार उठाकर 67 किग्रा में राष्ट्रीय रिकॉर्ड बनाकर वेटलिफ्टिंग की दुनिया में अपना परचम लहराया।
इंजरी का करना पड़ा सामना
जेरेमी लालरिनुंगा जब अपने करियर के सर्वश्रेष्ठ दौर में थे, तभी उन्हें कुछ दुर्भाग्यपूर्ण परिस्थितियों का सामना करना पड़ा। जहां एक तरफ COVID -19 ने पूरी दुनिया में 2020 सीजन को पूरी तरह बाधित किया तो वहीं इसके बाद युवा भारोत्तोलक को 2021 में अपने घुटने के पिछले हिस्से से सिस्ट (गांठ) को हटाने के लिए सर्जरी करानी पड़ी।
हालांकि इसके बाद उन्होंने प्रतियोगिता में वापसी की तो, लेकिन वह पदक हासिल नहीं कर सके। वह 2020 एशियाई चैंपियनशिप (2021 में आयोजित) में 8वें और 2021 विश्व चैंपियनशिप में 7वें स्थान पर रहे।
जेरेमी ने आखिरकार उस साल दिसंबर में 2021 राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतकर साल का बेहतरीन अंदाज में अंत किया।
एक कॉमनवेल्थ गेम्स विजेता
हालांकि, फरवरी 2022 में एक प्रशिक्षण सत्र के दौरान उन्हें रीढ़ की हड्डी में एक इंजरी का सामना करना पड़ा, जिससे ऐसा लग रहा था कि यह चोट उन्हें बर्मिंघम 2022 के राष्ट्रमंडल खेलों से बाहर कर देगा।
जेरेमी ने अपने इस दर्द का काफी मजबूती के साथ सामना किया। उन्हें इस दौरान रिकवरी प्रक्रिया के लिए फिजियोथेरेपी सत्र से गुजरना पड़ा।
लेकिन उनके फोन स्क्रीन पर लगे वॉलपेपर को उन्हें राष्ट्रमंडल खेल 2022 में स्वर्ण पदक में बदलना था।
जेरेमी लालरिनुंगा ने स्पोर्टस्टार से बात करते हुए कहा, “जब राष्ट्रमंडल खेलों के पदकों का डिजाइन जारी किया गया, तो मैंने तुरंत सोशल मीडिया से तस्वीर डाउनलोड कर ली। मैंने स्वर्ण पदक को अपने वॉलपेपर के रूप में सहेजा। जब मैं सुबह उठता तो यही पहली चीज होती और सोने से पहले यह आखिरी चीज होती थी। यह मेरे लिए बहुत बड़ी प्रेरणा है।”
जेरेमी की कड़ी मेहनत 31 जुलाई, 2022 को रंग लाई जब जेरेमी ने बर्मिंघम में प्रतिष्ठित राष्ट्रमंडल खेलों का स्वर्ण पदक जीतने के लिए रिकॉर्ड 300 किलोग्राम उठाया।
"यूथ ओलंपिक के बाद, मैंने इतनी बड़ी उपलब्धि हासिल नहीं की है। सीनियर स्तर की प्रतियोगिता में यह मेरा पहला पदक है और मुझे कई इंजरी का सामना करना पड़ा है। लोग मुझसे पूछते रहे, 'आप पदक कब लाने जा रहे हैं?' और मैं अपने देश के लिए पदक जीतने के लिए कड़ी मेहनत करता रहा।
जेरेमी लालरिनुंगा ने पुरुषों के 67 किग्रा वर्ग में पोडियम खत्म होने के बाद कहा, मैं उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन नहीं दे सका लेकिन मैंने वह हासिल कर लिया जो मैं चाहता था।
जेरेमी की नजरें अब दिसंबर 2022 में आगामी विश्व चैंपियनशिप पर हैं।
हालांकि जेरेमी के आगे काफी चुनौतियां हैं क्योंकि उन्हें पेरिस 2024 ओलंपिक में प्रतिस्पर्धा करने के लिए 73 किलोग्राम वर्ग तक पहुंचना होगा। जहां 67 किलोग्राम वर्ग नहीं है। उन्हें उस स्थान के लिए हमवतन राष्ट्रमंडल खेलों की स्वर्ण पदक विजेता अचिंता शेउली से भी मुकाबला करना होगा।
जाहिर है कि जेरेमी अपने लक्ष्य की कल्पना कर चुके होंगे और वह वहां पहुंचने के लिए अपनी प्लानिंग भी बना चुके होंगे।
जेरेमी लालरिनुंगा की उपलब्धियां
- विश्व जूनियर चैंपियनशिप 2016 - रजत पदक
- एशियाई जूनियर चैंपियनशिप 2016 - रजत पदक
- विश्व जूनियर चैंपियनशिप 2017 - रजत पदक
- कॉमनवेल्थ जूनियर चैंपियनशिप 2017 - स्वर्ण पदक
- कॉमनवेल्थ यूथ चैंपियनशिप - स्वर्ण पदक
- एशियाई जूनियर चैंपियनशिप 2018 - कांस्य पदक
- एशियाई यूथ चैंपियनशिप 2018- रजत पदक
- यूथ ओलंपिक 2018 - स्वर्ण पदक
- एशियाई यूथ चैंपियनशिप 2019 - स्वर्ण पदक
- एशियाई जूनियर चैंपियनशिप 2019 - रजत पदक
- कॉमनवेल्थ चैंपियनशिप 2021 - स्वर्ण पदक
- कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 - स्वर्ण पदक
- राष्ट्रीय रिकॉर्ड और व्यक्तिगत सर्वश्रेष्ठ - 306 किग्रा (140 किग्रा + 166 किग्रा)
- यूथ ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले भारतीय एथलीट