कहते हैं न कि अगर कुछ कर गुजरने की तमन्ना हो तो नामुमकिन कुछ भी नहीं। इसकी जीती-जागती मिसाल हैं हर्षदा गरुड़ जिन्होंने महज 18 साल की उम्र में भारत की ओर से पहली जूनियर वेटलिफ्टिंग वर्ल्ड चैंपियन बनकर इतिहास रच दिया।
2 मई, 2022 को हर्षदा गरुड़ ने ग्रीस के हेराक्लिओन में आयोजित विश्व जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप 2022 में महिलाओं की 45 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीता।
आपको बता दें कि इससे पहले भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन साल 2013 में आया था, जब टोक्यो ओलंपिक की रजत पदक विजेता मीराबाई चानू ने 2013 में आयोजित जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता था। जहां हर्षदा ने गोल्ड पर कब्जा किया, तो वहीं झिली दलबेहरा ने कांस्य और अचिता शुली ने रजत पदक अपने नाम किए।
हर्षदा गरुड़ ने स्नैच में 70 किग्रा उठाया, जो फील्ड में सर्वश्रेष्ठ था और क्लीन एंड जर्क में 83 किग्रा भार उठाकर दूसरे स्थान पर रहीं।
153 किग्रा का कुल लिफ्ट हर्षदा को स्वर्ण पदक दिलाने के लिए पर्याप्त था। तुर्की की बेकटास कांसु ने कुल 150 किग्रा (65 किग्रा + 85 किग्रा) का वजन उठाया और रजत पदक जीता।
कुल 152 किग्रा (68 किग्रा स्नैच + 84 किग्रा क्लीन एंड जर्क) कौन हैं हर्षदा गरुड़?
हर्षदा गरुड़ पुणे के पास वडगांव नामक एक गांव की रहने वाली हैं। उनका पोडियम के शीर्ष तक पहुंचने का सफर तब शुरू हुआ, जब उनके पिता ने कुछ साल पहले भारी वजन उठाने की उनकी क्षमता को देखा।W
हर्षदा जब 13 साल की थीं, तब गांव में एक पंप संचालक के रूप में काम करने वाले उनके पिता शरद गरुड़ ने उन्हें 50 किलो चावल की बोरी को आसानी से ले जाते देखा।
अपनी युवावस्था में स्टेट लेवल के वेटलिफ्टर रहे शरद के लिए यह एक संकेत था कि उनकी बेटी हर्षदा बड़े मंच पर कमाल कर सकती हैं। शरद का भी बड़े मंच तक पहुंचने का सपना था लेकिन पैसों की तंगी की वजह से उनका यह सपना अधूरा रह गया था।
शरद गरुड़ ने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "जिस दिन उसने 50 किलो चावल की बोरी उठाई, मैंने उसे अपना सपना पूरा करने के लिए वेटलिफ्टिंग में भेज दिया। शुक्र है, मेरी बेटी को पढ़ाई से नफरत थी, नहीं तो वह किताबों में फंस जाती।"
उन्होंने हर्षदा को कोच बिहारीलाल दुबे के मार्गदर्शन में ट्रेनिंग के लिए भेजा, जो साल 1980 से वडगांव में दूबे गुरुकुल नामक एक स्पोर्ट्स अकादमी चला रहे हैं।
हर्षदा को ज्यादा बोलने वाले स्वभाव की वजह से उन्हें रेडियो कहकर बुलाया जाता है, लेकिन जब ट्रेनिंग की बात आती है तो उनमें एक जुझारू एथलीट नजर आती है।
हर्षदा की मां रेखा गरुड़ ने बताया, “जब वो बाहर रहती है, तो लगातार बात करती रहती है, लेकिन ट्रेनिंग के दौरान एक शब्द भी नहीं बोलती। वो अपना ध्यान केंद्रित रखती है। ”
बिहारीलाल दुबे की देख-रेख में हर्षदा गरुड़ ने काफी सुधार किया और अंडर -17 गर्ल्स कैटेगरी में खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 का खिताब जीता और इसके बाद एशियाई यूथ और जूनियर वेटलिफ्टिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीता।
हर्षदा ने दोनों स्पर्धाओं में कुल 139 किग्रा का भार उठाया।
खेलो इंडिया यूथ गेम्स 2020 में स्वर्ण पदक ने हर्षदा गरुड़ को पटियाला में नेशनल कैंप में जगह दिला दी, जहां उन्होंने अपने प्रदर्शन को और बेहतर करने के लिए अपनी तकनीक में बदलाव किया।o
हर्षदा ने नेशनल चैंपियनशिप 2021 में 143 किग्रा भार उठाकर यूथ वर्ग में दूसरा स्थान हासिल किया।
2021 के अंत में लीवर में सूजन के कारण 10 दिनों तक अस्पताल में भर्ती रहने के बावजूद उन्होंने 2022 में धमाकेदार वापसी की।
वडगांव की मूल निवासी ने खुद को रुकने नहीं दिया और 2022 में 145 किग्रा का भार उठाकर नेशनल लेवल पर कांस्य जीता।
उनके दृढ़ संकल्प और नेशनल कैंप में मिलने वाली डाइट ने हर्षदा के निरंतर सुधार में एक बड़ी भूमिका निभाई।
हर्षदा गरुड़ ने बहरीन में आयोजित एशियाई भारोत्तोलन चैंपियनशिप 2022 में सीनियर स्तर पर अपना पहला अंतरराष्ट्रीय पदक जीता। उन्होंने महिलाओं के 45 किग्रा भार वर्ग में स्पर्धा करते हुए कुल 152 किग्रा (68 किग्रा स्नैच + 84 किग्रा क्लीन एंड जर्क) का वजन उठाकर कांस्य पदक हासिल किया।
हर्षदा ने कहा, “मुझे चिकन और पाव भाजी बहुत पसंद है। लेकिन आप जानते हैं कि जब आप घर पर रहते हैं तो आप सभी गलत चीजें खाते हैं। लेकिन कैंप में मैंने सही खाना शुरू कर दिया, यहां तक कि सब्जियां और ढेर सारा मीट भी खाया। मेरे पैर पहले से और मजबूत हो गए।”
फिलहाल सावित्रीबाई फुले पुणे विश्वविद्यालय से आर्ट सबजेक्ट में स्नातक की डिग्री हासिल करने वाली हर्षदा गरुड़ की नजर लॉस एंजेलिस 2028 ओलंपिक पर है।
हर्षदा गरुड़ ने कहा, "मैं ट्रेनिंग जारी रखूंगी और पूरी प्रक्रिया को फॉलो करूंगी। लेकिन मैं बहुत जिद्दी हूं। मुझे पता है कि मुझे 2028 ओलंपिक से पदक लेना है। अगर मुझे ये चाहिए, तो मैं इसे हासिल करके ही रहूंगी।”