ब्राज़ील में खेला जाता है क्रिकेट से मिलता-जुलता खेल, जोगो डी टाको के बारे में जानें

जोगो डी टाको को बेटे-ओम्ब्रो के नाम से भी जाना जाता है। इसमें दो छोटी लकड़ी के प्लैंक को बल्ले की तरह इस्तेमाल किया जाता है। तीन छोटी लकड़ियों को कोनिकल (शंक्वाकार) आकार में स्टंप के रूप में और एक रबर की गेंद के साथ इस खेल को खेला जाता है। जानें इसके नियम और इसे कैसे खेलें।

5 मिनटद्वारा शिखा राजपूत
Jogo de taco
(2012 Getty Images)

बल्ले और गेंद का इस्तेमाल करके कई खेल खेले जाते हैं जिनमें क्रिकेट और बेसबॉल सबसे अधिक मशहूर हैं।

हालांकि, पूरी दुनिया में बल्ले और गेंद से जुड़े खेल के विभिन्न रूप हैं। लेकिन जोगो डी टाको या बेटे-ओम्ब्रो एक ऐसा अनोखा खेल है जो ब्राज़ील की गलियों में काफ़ी सुर्ख़ियां बटोर रहा है।

पुर्तगाली में इसे बेट्स, टाको और पॉ ना लाटा के नाम से भी जाना जाता है। बेटे-ओम्ब्रो बल्ले और गेंद का एक खेल है, जो ब्राज़ील की सड़कों पर खेलना शुरू हुआ। अंग्रेजी में यह ट्रांसलेट होकर बेट-शोल्डर कहलाता है।

क्रिकेट की तरह ही जोगो डी टाको दो टीमों के बीच खेला जाता है, जिसमें एक टीम लकड़ी के बल्ले से बल्लेबाज़ी करती है, जबकि दूसरी टीम फ़ील्डिंग करती है।

क्रिकेट और टाको के बीच कई समानताएं हैं, लेकिन इसके साथ ही इसमें कई ख़ास विशेषताएं भी हैं।

जोगो डी टाको उपकरण

क्रिकेट के बल्ले मोटे और भारी होते हैं, वह एक तरफ सपाट और दूसरी तरफ कर्व होते हैं, जबकि पुर्तगाल में टाको-बैट लगभग 2.5 फीट की ऊंचाई वाले बल्ले होते हैं, जो 4 इंच चौड़े और मोटाई में सिर्फ कुछ ही इंच के होते हैं।

स्टंप को केसिन्हास कहा जाता है। यह मूल रूप से 6 इंच ऊंचाई की तीन छड़ें होती हैं, जिन्हें शंक्वाकार आकार (कोनिकल) में सीधा रखा जाता है, ताकि वे एक-दूसरे का सपोर्ट कर सकें। दो पेयर स्टंप के बीच लगभग 20 मीटर की दूरी होती है। इन स्टंप्स को 'हाउस' कहा जाता है। दरअसल, पुर्तगाली में कसिन्हा का मतलब छोटा घर होता है। सड़कों पर खेलने वाले बच्चे अक्सर स्टंप के रूप में बोतल या कैन का इस्तेमाल करते हैं।

रबर से बनी एक गेंद (बोला) होती है, जो क्रिकेट में इस्तेमाल होने वाली कॉर्क और चमड़े की गेंद के विपरीत एक टेनिस की गेंद के जैसी होती है।

जोगो डी टाको को कैसे खेलें

यह निश्चित करने के लिए कि कौन पहले बल्लेबाज़ी करेगा या फ़ील्डिंग करेगा, एक बल्ले को एक ओर से भिगोया जाता है और दूसरी ओर उसे सूखा छोड़ दिया जाता है। इसके बाद विलो (बल्ले) को ऊपर फेंका जाता है और टीम बताती हैं कि बल्ला किस तरफ गिरेगा। उसके बाद तय किया जाता है कि बल्लेबाज़ी करनी है या फ़ील्डिंग।

पहले बल्लेबाज़ी करने वाली जोड़ी दोनों ओर के स्टंप्स के सामने पोज़िशन लेगी, जबकि फ़ील्डिंग करने वाली जोड़ी स्टंप्स के पीछे खड़ी होगी और गेंद को दूसरी तरफ के बल्लेबाज़ की ओर फेंकेगी।

जोगो डी टाको में कोई लगातार क्रम या ओवर सिस्टम नहीं होता है। फ़ील्डिंग करने वाली टीम के जिस भी खिलाड़ी के पास गेंद होती है, वह गेंदबाज़ बन जाता है। फ़ील्डिंग करने वाली टीम का दूसरा खिलाड़ी स्वत: विकेटकीपर बन जाता है।

जोगो डी टाको के नियम

क्रिकेट या बेसबॉल के जैसे ही बल्लेबाज़ी करने वाली टीम का उद्देश्य गेंद को मारना और रन बनाने के लिए दूसरे ओर दौड़ना होता है।

गेंद को मारने के बाद विकेटों के बीच दौड़ते वक़्त बल्लेबाज़ी करने वाली टीम को अपने बल्ले को छूना पड़ता है। यदि बल्ले को नहीं छू पाते हैं, तो रन मान्य नहीं होता है। हर सफल रन को एक अंक के रूप में गिना जाता है।

क्रिकेट के विपरीत, जोगो डी टाको में बड़े शॉट नहीं लगा सकते हैं, लेकिन खिलाड़ी गेंद को हिट करने के बाद जितना संभव हो उतने रन दौड़कर ले सकते हैं जब तक कि खिलाड़ी आउट न हो जाएं।

स्टंप के ठीक सामने ज़मीन पर दो फ़ीट का एक छोटा सा सर्कल होता है, जो जोगो डी टाको या बेटे-ओम्ब्रो में बल्लेबाज़ की जगह को प्रदर्शित करता है और यह खेल के बहुत ही ज़रूरी होता है।

बल्लेबाज़ को सुरक्षित रहने के लिए हर समय इस सर्कल के अंदर रहना होता है। अगर बल्ला सर्कल से बाहर है, तो फ़ील्डिंग करने वाली टीम क्रिकेट में रन आउट या स्टंपिंग की तरह गेंद से स्टंप्स को हिट करके उन्हें रन आउट कर सकती है।

क्रिकेट के विपरीत सर्कल के अंदर शरीर के किसी भी हिस्से को मान्य नहीं माना जाता है। इसके लिए बल्ले को सर्कल में होना ज़रूरी है।

रन आउट या स्टंप आउट होने के साथ बल्लेबाज़ को बोल्ड करके या कैच आउट करके भी आउट किया जा सकता है। बेसबॉल में तीन स्ट्राइक के जैसे ही यदि कोई बल्लेबाज़ लगातार 3 बार गेंद को हिट करने में नाकाम होता है, तो उसे भी आउट क़रार दिया जाता है।

जब कोई खिलाड़ी आउट होता है, तो खिलाड़ियों के रोल को बदल दिया जाता है और फ़ील्डिंग करने वाली टीम बल्लेबाज़ी करती है।

यह खेल अधिकांशत: ब्राज़ील की गलियों में बच्चे खेलते हैं और इसके कुछ आधिकारिक नियम भी हैं। खेल तब तक जारी रहता हैं जब तक कि कोई भी टीम अंकों की एक ख़ास संख्या तक नहीं पहुंच जाती। आमतौर पर यह संख्या 10 अंक होती है।

इसके अलावा खेल तब भी ख़त्म हो सकता है जब फ़ील्डिंग करने वाला खिलाड़ी बल्लेबाज़ की डायरेक्ट हिट को कैच करता है। तब फ़ील्डिंग करने वाली टीम को विजेता घोषित किया जाता है। भले ही उसे कितने भी अंक मिले हों।

साल 2016 में ब्राज़ील के 6 शहरों में मुंडियाल ई बेट्स या वर्ल्ड कप ऑफ़ बेट्स (जोगो डी टाको वर्ल्ड कप) आयोजित किया गया था।