ईस्पोर्ट्स का 'दूसरे खेलों' के साथ मेल हर तरह से लाभदायक हो सकता है: तीर्थ मेहता
तीर्थ मेहता ने 2018 एशियन गेम्स में हर्थस्टोन में कांस्य पदक जीता था, उस समय ईस्पोर्ट्स एक प्रदर्शनी कार्यक्रम के तौर पर आयोजित किया गया था।
चीन के हांग्जो में होने वाले 2022 एशियाई खेलों में ईस्पोर्ट्स को शामिल किए जाने के बाद, भारत के पास वैश्विक खेल मंच पर अपनी चमक बिखेरने के लिए एक नया अवसर होगा।
यह एक ऐसा इवेंट है जो युवा दर्शकों को अपनी ओर आकर्षित करता है। ईस्पोर्ट्स 25 वर्ष से कम आयु के लगभग 700 मिलियन भारतीयों तक पहुंच सकता है।
बीते कुछ वर्षों में ईस्पोर्ट्स ने न केवल मनोरंजन किया है, बल्कि एक अच्छे करियर विकल्प की पेशकश की है। हालांकि यह अभी भी प्रारंभिक अवस्था में है।
जकार्ता में शुरुआत
इसकी शुरुआत इंडोनेशिया के जकार्ता में हुए 2018 एशियाई खेलों में हुई थी, जब ईस्पोर्ट्स को एक प्रदर्शन कार्यक्रम के रूप में शामिल किया गया था। यह एक ऐसा कदम था जिसकी सराहना पूरे गेमिंग समुदाय ने की थी।
2018 के इवेंट में हर्थस्टोन (एक डिजिटल संग्रहणीय कार्ड गेम) में कांस्य पदक जीतने वाले भारतीय गेमर तीर्थ मेहता ने कहा, “दुनिया के सबसे प्रतिष्ठित इवेंट में से एक में भारत का प्रतिनिधित्व करके बहुत अच्छा लगा।"
“हमें अन्य एथलीटों से मिलना था, उनके साथ बातचीत करनी थी और उनसे ईस्पोर्ट्स के बारे में बात करनी थी। यह बहुत उत्साहजनक था, जब उन्होंने इस बात को स्वीकार किया कि ईस्पोर्ट्स के लिए जरूरी कौशल एक प्रोफेशनल एथलीट बनने के लिए जरूरी कौशल, कड़ी मेहनत और समर्पण के समान है।”
"पूरा अनुभव अद्भुत था"
जौंटीटैंक के नाम से चर्चित भारतीय गेमर अंकुर दिवाकर ने प्रो इवोल्यूशन सॉकर के साथ 2018 एशियाई खेलों में भी भाग लिया।
ईस्पोर्ट्स ने लोगों को किया आकर्षित
गेमर्स को एशियाई खेलों के तौर पर एक बड़ा मंच जरूर मिला, लेकिन तीर्थ मेहता का मानना है कि मल्टी-स्पोर्ट इवेंट्स को शामिल करना पारस्परिक रूप से फायदेमंद है।
तीर्थ ने दावा करते हुए कहा, "ईस्पोर्ट्स वह मंच है जहां ज्यादातर युवा दर्शक हैं। सामान्य एथलेटिक इवेंट्स में ईस्पोर्ट्स को शामिल करने से उन युवा दर्शकों का ध्यान आकर्षित करने में भी मदद मिलेगी और शायद एथलेटिक्स में उनकी दिलचस्पी बढ़ेगी। यह दोनों के लिए ही फायदेमंद होगा।”
और सही मायने में देखा जाए तो उनके दावे गलत नहीं हैं।
ग्लोबल स्टैटिस्टिक्स वेबसाइट स्टैटिस्टा के अनुसार 2021 में दुनिया भर में अनुमानित 3.24 बिलियन गेमर्स हैं।
यह भारत और चीन की कुल जनसंख्या से कहीं अधिक है और दुनिया की आधी जनसंख्या के करीब है।
रिपोर्ट से यह भी पता चलता है कि जेन ज़ेड के 80 प्रतिशत - 1997 और 2015 के बीच पैदा हुए लोग - एक बड़े बाजार का प्रतिनिधित्व करने वाले खेल को खेलते हैं, जिसे मल्टी-स्पोर्ट इवेंट्स से आकर्षित किया जाता है।
एशियाई खेलों में ईस्पोर्ट्स बदल सकता है लोगों की धारणा
ऐसा नहीं है कि सभी लाभ नियमित खेलों को ही मिलेंगे। मल्टी-स्पोर्ट इवेंट्स का हिस्सा होने से इस्पोर्ट्स को भी कई फायदे होंगे।
एशियाई खेलों जैसी प्रतियोगिताएं ईस्पोर्ट्स को मान्यता और विश्वसनीयता देने में मददगार साबित होती हैं, क्योंकि इसे पहले ईस्पोर्ट्स को केवल मनोरंजन के रूप में खेला और देखा जाता था।
तीर्थ का मानना है, “यह उस धारणा को बदल देता है, जो आम दर्शकों की होती है। धीरे-धीरे कई माता-पिता अपने बच्चों को ईस्पोर्ट्स में हिस्सा लेने या प्रतिस्पर्धा करने की अनुमति दे रहे हैं। इसके साथ ही यह समुदाय के विकास में भी सहायक है।”
हालांकि, तीर्थ मेहता खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उनके पास एक सहायक परिवार है, जिसने उन्हें खेलने के लिए प्रोत्साहित किया, खासतौर पर तब जब इसका कोई स्पष्ट रोड मैप नहीं था।
उनके समर्थन के साथ तीर्थ ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हर्थस्टोन खेला है, जिसमें आईईएसएफ विश्व चैम्पियनशिप, हर्थस्टोन चैंपियनशिप टूर और थाईलैंड मेजर में हिस्सा लेना शामिल है।
2022 एशियन गेम्स बना लक्ष्य
26 वर्षीय तीर्थ मेहता 2018 एशियाई खेलों में कांस्य जीतने के बाद 2022 संस्करण में फिर से भारत का प्रतिनिधित्व करने की तैयारी कर रहे हैं, जहां ईस्पोर्ट्स को आठ मेडल इवेट्स के साथ शामिल किया गया है।
हालांकि तीर्थ के लिए इस बार का सफर आसान नहीं होगा। दिन में 12 घंटे तक ट्रेनिंग करने वाले भुज के गेमर को अब बड़े टिकट वाले इवेंट की तैयारी के लिए गेमिंग और गेम डेवलपमेंट स्टूडियो में अपनी भूमिका के बीच बेहतर तालमेल बिठाना होगा।
तीर्थ ने इसके लिए एक रास्ता निकाला है। उन्होंने कहा, “मैं जितना चाहता हूं, मुझे अभ्यास करने के लिए उतना पर्याप्त समय नहीं मिलता। मैं कुछ दिनों की छुट्टी लूंगा और एशियाई खेलों के आने पर कुछ और समय लूंगा।"