विश्व की दो सर्वश्रेष्ठ जिम्नास्ट का टोक्यो में यादगार महायुद्ध

वर्ष 1964 के अक्टूबर महीने में टोक्यो ने पहली बार ओलिंपिक खेलों की मेज़बानी करी थी और हम आपको बताएंगे उस प्रतियोगिता के कुछ ऐतिहासिक क्षण जो 56 साल बाद आज भी याद किये जाते हैं। इस बार हम आपको बताएंगे कि कैसे विश्व की दो सर्वश्रेष्ठ जिम्नास्ट, Larisa Latynina और Vera Caslavska ने जापान की राजधानी में लड़ी एक ऐतिहासिक और यादगार जंग। 

Larisa LATYNINA, Vera CASLAVSKA
(© 1964 / Kishimoto/IOC)

पहले की कहानी

पूर्वी यूरोप एक ऐसा क्षेत्र जिसने अनेक महान जिम्नास्ट को जन्म दिया है और 1950 एवं 1960 के दशकों में दो ऐसे नाम बहुत विख्यात हुए थे। उनमे से पहली थी सोवियत संघ की Larisa Latynina और चेकोस्लोवाकिया की Vera Caslavska.

इन दोनों ही बेहतरीन जिम्नास्ट के खेल जीवन बेहद शानदार रहे हैं और हालांकि Latynina ने थोड़ा पहले शुरुआत करी थी इनका आमना सामना टोक्यो में हुआ और पूरे विश्व को एक अद्भुत प्रतियोगिता देखने का मौका मिला।

मेलबर्न में हुए 1956 ओलिंपिक खेलों में Latynina ने महिलाओं की संयुक्त एक्सरसाइज, वॉल्ट और फ्लोर प्रतियोगिताओं में जीत हासिल करी थी और 1960 रोम खेलों में उन्होंने दो स्वर्ण पदक जीते थे।

Caslavska ने अपने करियर की शुरुआत फिगर स्केटिंग से करी थी लेकिन 15 साल की आयु से उन्हें जिमनास्टिक्स में रूचि दिखाई और 1958 कि विश्व प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और एक पदक भी जीता।

उन्होंने बैलेंस बीम प्रतियोगिता में 1959 यूरोपियन चैंपियनशिप में जीत हासिल करी और 1962 के विश्व प्रतियोगिता में Latynina के बाद दूसरा स्थान प्राप्त किया। Caslavska ने 1960 में अपने पहले ओलिंपिक खेलों में हिस्सा लिया और रजत पदक जीता लेकिन उनका सर्वोच्च स्तर भविष्य में उनकी प्रतीक्षा कर रहा था।

(© 1964 / Comité International Olympique (CIO))

अहम् क्षण

टोक्यो ओलिंपिक खेलों में विश्व के दर्शकों को एक बहुत रोमांचक और उच्च स्तर का मुकाबला देखने को मिला। यह एक महायुद्ध था जिसमे सब कुछ हासिल कर चुकी 30 वर्षीय Latynina और अपने खेल जीवन की चोटी पर पहुँचने जा रही 26 वर्षीय Caslavska के सामने थी।

Caslavska के ऊपर काफी दबाव था और उन्हें विशेषज्ञों ने 'ओलिंपिक खेलों की ग्लैमर गर्ल' का ख़िताब दिया था। पूरे विश्व की निगाहें इस 26 वर्षीय के ऊपर थी।

प्रतियोगिताओं के परिणाम दोनों Latynina और Caslavska के बीच विभाजित थे। Latynina ने दो स्वर्ण, दो रजत और दो कांस्य पदक जीते वहीँ दूसरी ओर Caslavska ने तीन स्वर्ण और एक रजत अपने नाम किये। 

Latynina ने टोक्यो 1964 ओलिंपिक खेलों में छह पदक जीते और इसके साथ उनके कुल ओलिंपिक 18 पदक हो चुके थे। उस समय वह ओलिंपिक इतिहास में सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन चुकी थी।

(© 1964 / Comité International Olympique (CIO))

आगे की कहानी

Latynina का ओलिंपिक पदक रिकॉर्ड 48 साल तक नहीं टूटा और अंत में अमेरिका के तैराक Michael Phelps ने उसे 2012 लंदन ओलिंपिक खेलों पर परास्त किया।

ओलिंपिक इतिहास में किसी भी जिम्नास्ट ने आज तक नौ स्वर्ण पदक नहीं जीते और किसी अन्य महिला खिलाड़ी ने आज तक इस रिकॉर्ड की बराबरी नहीं करी।

Latynina ने 1966 में सन्यास लिया लेकिन उन्होंने खेल की दुनिया को नहीं छोड़ा। वह सोवियत संघ की जिमनास्टिक्स टीम की कोच बनी और 1980 मास्को ओलंपिक्स की योजना कार्य में बहुत सहयोग दिया।

Caslavska ने अपने वॉल्ट ख़िताब की रक्षा करी और उन्होंने सोवियत संघ के वर्चस्व को भी परास्त कर दिखाया। टोक्यो 1964 ओलिंपिक खेलों के बाद अगले छह वर्ष तक जिमनास्टिक्स में अपना दबदबा बनाये रखा। इतना ही नहीं, उन्होंने 1967 में एक प्रतियोगिता के दौरान परफेक्ट 10 स्कोर हासिल किया

मेक्सिको में होने वाले 1968 ओलिंपिक खेलों से पहले Caslavska को एक बाधा का सामना करना पड़ा और जब सोवियत संघ ने चेकोस्लोवाकिया पर हमला किया तो उनका अभ्यास केंद्र नष्ट हो गया। इतनी बड़ी बाधा का उन्होंने डट के सामना किया और अभ्यास के नए उपाय निकाले।

ओलिंपिक खेलों से पहले हुई कठिनाइयों का सामना करने के बाद भी उन्होंने 1968 मेक्सिको खेलों में शानदार प्रदर्शन दिखाया और उन्होंने चार स्वर्ण के साथ दो रजत पदक जीते।

सन्यास लेने के बाद, Caslavska को चेकोस्लोवाकिया में नौकरी नहीं मिली लेकिन बाद में उन्हें राष्ट्रीय जिमनास्टिक्स टीम का कोच बना दिया गया। जब चेकोस्लोवाकिया से वामपंति राज समाप्त हुआ, वह राष्ट्रीय ओलिंपिक समिति की अध्यक्ष बनी। जब चेकोस्लोवाकिया का 1993 में विभाजन हुआ तो वह चेक ओलिंपिक समिति की अध्यक्ष बनी। उन्हे अंतराष्ट्रीय जिमनास्टिक्स हॉल ऑफ़ फेम में 1998 में सम्मिलित किया गया।

Caslavska ने बहुत लम्बे समय तक कर्क रोग के खिलाफ संघर्ष किया और 74 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया। वह चेक ओलिंपिक इतिहास में सबसे कामयाब खिलाड़ी हैं।

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