ओलंपियन सूरत सिंह माथुर का 91 साल की उम्र में हुआ निधन
इस भारतीय मैराथन धावक ने साल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक में हिस्सा लिया था।
ओलंपिक में मैराथन दौड़ पूरी करने वाले स्वतंत्र भारत के पहले एथलीट सूरत सिंह माथुर (Surat Singh Mathur) का निधन हो गया। बता दें कि शुक्रवार को उनका 91 वर्ष की आयु में निधन हो गया, सूरत सिंह माथुर ने साल 1952 के हेलसिंकी ओलंपिक (Helsinki Olympics) में हिस्सा लिया था और वे 2:58:9.2 सेकेंड के साथ 52वें स्थान पर रहे।
ऐसे में अगर बात छोटा सिंह (Chhota Singh) की करें तो वे ऐसे एथलीट हैं, जिनके पास ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले स्वतंत्र भारत के पहले मैराथन धावक होने का गौरव है, लेकिन वह लंदन में 1948 के ओलंपिक में 30 किमी के मार्क के बाद बाहर हो गए थे।
बताते चलें कि सूरत सिंह माथुर का जन्म दिल्ली के मोहम्मदपुर माजरी गांव (कराला) में हुआ था। सूरत सिंह ने 1951 में पहली बार एशियन गेम्स में कांस्य पदक अपने नाम किया था। जहां वह अपने हमवतन छोटा सिंह उच्च श्रेणी के जापानी धावक कात्सुओ निशिदा (Katsuo Nishida) से पीछे रहे।
वहीं, अगले साल सूरज सिंह माथुर ने हेलसिंकी खेलों में पहली बार राष्ट्रीय चैंपियन बने। हालांकि इस दौरान छोटा सिंह इस गेम्स में हिस्सा नहीं ले सके थे।
इसके साथ ही सूरत सिंह एक चुनौतीपूर्ण फील्ड में थे, जिसमें दिग्गज धावक धावक एमिल ज़ातोपेक भी शामिल थे। इस दौरान सूरज सिंह माथुर 52वें स्थान पर रहे, और भारतीय खेल के इतिहास में अपना नाम दर्ज किया ।
उन्होंने साल 1954 के गेम्स में कांस्य पदक अपने नाम किया। जबकि छोटा सिंह ने 2:33:24.4 सेकेंड के समय के साथ स्वर्ण पदक जीता था, जो उस समय एक नेशनल रिकॉर्ड था।
वहीं, इस दौरान 1954 के नेशनल गेम्स में तत्कालीन मद्रास (अब चेन्नई) में, सूरत सिंह माथुर ने आखिरकार छोटा सिंह को पीछे छोड़ते हुए अपना दूसरा राष्ट्रीय खिताब हासिल किया।
फिलहाल सूरत सिंह माथुर ने अपने रिटायरमेंट के बाद लगभग चार दशक में अलग-अलग दो मौकों पर ओलंपिक मशाल रिले का हिस्सा रहे। साथ ही साल 2009 में कुवैत सिटी में मुख्यालय के उद्घाटन के दौरान उन्हें ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया (Olympic council of Asia) द्वारा सम्मानित भी किया गया था। यही नहीं, उन्होंने अपनी जिंदगी में एक शिक्षक और एथलेटिक्स कोच के रूप में भी अपनी सेवा दी है।