"मैंने छह महीने में 14 किलो वजन कम किया"- फिटनेस हासिल करने के बाद अनुभवी भारतीय तीरंदाज तरुणदीप राय का अगला निशाना टोक्यो में पदक पर  

लाॅकडाउन के दौरान पुणे के आर्मी स्पोर्ट इंस्टीट्यूट में मिले प्रशिक्षण को राय ने बताया बड़ी उपलब्धि 

4 मिनटद्वारा दिनेश चंद शर्मा
तीरंदाज़ तरुणदीप राय ने 2004 एथेंस और 2012 लंदन ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व किया है

जीवन के 24 साल तीरंदाजी को समर्पित करने के बाद भारत के तरुणदीप राय टोक्यो में अपने पहले ओलंपिक पदक पर नजर गड़ाए हुए हैं। नामचीन-तीरंदाज उन चार भारतीयों में शामिल हैं जिन्होंने टोक्यो ओलंपिक के लिए रिकर्व व्यक्तिगत इवेंट में अपना स्थान पक्का किया है। अतनु दास, प्रवीण जाधव और दीपिका कुमारी ने भी स्थान सुनिश्चित किया है। टोक्यो में टीम स्पर्धा में प्रतिस्पर्धा करने के लिए राय, दास और जाधव के साथ टीम में शामिल हैं। 

राय को टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालिफाई कर चुके भारतीय तीरंदाजी दल से बहुत उम्मीदें हैं। उनका मानना ​​है कि वे भारत के लिए पदक लाने में सक्षम हैं। अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित मेहता 2010 एशियाई खेलों में ग्वांग्झू में तीरंदाजी में व्यक्तिगत पुरुष स्पर्धा में रजत पदक जीतने वाले पहले भारतीय भी थे।

उन्हें लगता है कि उनकी 24 साल की पेशेवर यात्रा ओलंपिक पदक के साथ पूरी होगी। राय दो बार के ओलंपियन हैं। वह 2004 के समर ओलंपिक में पुरुषों की व्यक्तिगत तीरंदाजी स्पर्धा में 43वें स्थान पर रहे। इसके साथ ही वो 11वें स्थान पर रही भारतीय पुरुष तीरंदाजी टीम का भी हिस्सा थे।

2012 के लंदन ओलंपिक में राय पुरुषों की व्यक्तिगत तीरंदाजी रैंकिंग में 31वें स्थान पर जबकि उनकी टीम रिकर्व इवेंट में 12वें स्थान पर रही।

37 वर्षीय इस ओलंपियन ने तीरंदाजी के प्रति अपने जुनून के लिए बहुत कुछ बलिदान दिया हैे। अब केवल ओलंपिक में पदक हासिल करके ही वो टकटकी बांधे देख रही अपने बेटे की निगाहों में आ सकता है।

तरुणदीप राय ने फर्स्टपोस्ट के लिए एक कॉलम में लिखा, "इन 24 सालों के बाद मुझे ओलंपिक पदक जीतने की जरूरत है और इस समय देश भी इसका हकदार है। 24 साल की यह यात्रा केवल तभी पूरी होगी जब मैं अगले साल टोक्यो गेम्स में पदक हासिल करूंगा। मैंने देश के लिए खेलते हुए व्यक्तिगत रूप से बहुत बलिदान दिया है।”

उन्होंने आगे लिखा, "मेरा बेटा इस महीने नौ साल का हो गया है लेकिन इन नौ साल में मैं सिर्फ दो बार उसके जन्मदिन पर उसके साथ रहा। हो सकता है कि मैं एक बेहतर पिता नहीं बन पाया या मैं एक बेहतर पति नहीं हूं... इसके लिए मैं तीरंदाजी को दोष नहीं देता। इस खेल के माध्यम से ही मैं उन्हें प्यार लौटा सकता हूं। यही कारण है कि मुझे टोक्यो में पदक जीतने की जरूरत है। तभी शायद मैं अपने बेटे से आंखें मिला पाउं (तब शायद मैं अपने बेटे के टकटकी लगी निगाहों की उम्मीद को पूरा कर सकूंगा )।"

अनुभवी तीरंदाज ने यह भी खुलासा किया कि वह टोक्यो ओलंपिक की तैयारी में कोई कसर नहीं छोड़ रहा। यह सुनिश्चित करने के लिए वह मानसिक और शारीरिक फिटनेस पर ध्यान केंद्रित कर रहा हैं। ताकि वह अगले साल के लिए सबसे शानदार शेप में हो। मार्च में राय का वजन 81 किग्रा था और इसके बाद उन्होंने 14 किलो वजन घटाया। अब वो मांसपेशियों को मजबूत बनाने पर ध्यान दे रहे हैं।

उन्होंने कहा, “मैं 2020 को खुद को बदलने के एक मौके के रूप में मानता हूं। लॉकडाउन शुरू होने से पहले मेरा वजन 81 किलो था। लॉकडाउन के छह महीने बाद मेरा वजन घटकर 67 किलोग्राम रह गया। मैंने वर्कआउट करके वसा को खत्म किया। मैं और भी वजन कम कर सकता था लेकिन मुझे मांसपेशियों को मजबूत करने के लिए अपना वजन 75 किलो करने की जरूरत थी। वर्तमान में मेरा वजन 73 किलो है। हमें धनुष के पाउंड जैसी चीजों को ध्यान में रखते हुए अपने शरीर के वजन को भी बनाए रखने की जरूरत होती है।” 

कोरोना वायरस के कारण मार्च में भारत के अंदर लॉकडाउन लगा दिया गया। पुणे के आर्मी स्पोर्ट इंस्टीट्यूट (ASI) से अधिकांश तीरंदाजों ने घर लौटने का फैसला किया और राय और जाधव ही वहां बचे रह गए।

राय ने तीरंदाजी जैसे खेल में नियमित प्रशिक्षण के महत्व को समझाया कि यह खेल मांसपेशियों की याददाश्त पर बहुत निर्भर करता है जिसे हर दिन मजबूत बनाने की जरूरत होती हैै। कोरोना महामारी के कारण देशव्यापी लाॅकडाउन के बावजूद उन्हें पुणे में ASI की सुविधाएं मिली, इसके लिए वो आभारी हैं।

उन्होंने उल्लेख किया, “तीरंदाजी मांसपेशियों की स्मृति का खेल है। अगर एक सप्ताह भी प्रशिक्षण नहीं लेते हैं तो आपका शरीर छोटी-छोटी बातों को भूलने लगता है जो आपको लक्ष्य भेदने में मदद करती हैं। मांसपेशियों की याददाश्त तेज रखने के लिए तीरंदाज एक दिन में 500 से 600 तीर चलाते हैं। चाहे एक टूर्नामेंट में आपको अधिकतम 72 तीर ही चलाने होंगे। मैं भाग्यशाली हूं कि लॉकडाउन के दौरान एएसआई की तीरंदाजी रेंज तक पहुंच सका।"