"मानसिक, शारीरिक और वित्तीय" रूप से ओलंपिक स्तर का तैराक बनना श्रीहरि नटराज के लिए रहा चुनौतिपूर्ण
19 वर्षीय भारत के उभरते तैराक श्रीहरि नटराज की टोक्यो ओलंपिक के लिए गिनती शुरू
श्रीहरि नटराज उन छह भारतीय तैराकों में शामिल हैं, जिन्होंने आगामी ओलंपिक के लिए 100 मीटर बैकस्ट्रोक में पहले ही 'B' क्वालिफिकेशन मार्क या ओलंपिक चयन समय (OST) हासिल कर लिया है। हालांकि 'B' क्वालिफिकेशन मार्क अगले साल होने वाले ओलंपिक में सीधे स्थान पक्का करना सुनिश्चित नहीं करता।
अगर तैराकी का कुल कोटा क्वालिफिकेशन अवधि के खत्म होने तक पूरा नहीं होता है तो 'B' क्वालिफिकेशन मार्क नटराज को टोक्यो ओलंपिक के लिए क्वालीफाई करने की दौड़ में शामिल करने में सहायक होगा।
नटराज को कम उम्र में ही 2019 वर्ल्ड एक्वेटिक्स चैंपियनशिप, 2018 कॉमनवेल्थ गेम्स और 2018 एशियाई खेलों में भारत का प्रतिनिधित्व करने का अनुभव प्राप्त है। बेंगलुरु में जन्मे नटराज को पहले से ही तैराकी में भारत की उज्ज्वल संभावना के रूप में देखा जाता रहा हैै।
18 साल की उम्र में उन्होंने 2019 मे बुडापेस्ट में विश्व जूनियर चैम्पियनशिप में तीनों बैकस्ट्रोक इवेंट में सीनियर नेशनल रिकॉर्ड तोड़ दिये। वो 50 मीटर स्पर्धा में 25.50 सेंकड के साथ छठे और 100 मीटर प्रतिस्पर्धा में सातवें स्थान पर रहे। उन्होंने 100 मीटर के सेमीफाइनल में 54.69 सेकेंड का राष्ट्रीय रिकॉर्ड समय हासिल कर 'B' क्वालिफिकेशन मार्क प्राप्त किया।
एक महीने पहले उन्होंने विश्व सीनियर चैंपियनशिप में दो राष्ट्रीय रिकॉर्ड तोड़े थे। नटराज के लिए यह सफलता आसान नहीं रही। अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान बनाने के लिए उन्होंने वर्षों तक नियमित प्रशिक्षण लिया।
नटराज ने ओलंपिक चैनल को बताया कि "एक ओलंपिक स्तर का तैराक (या किसी भी खेल में) बनना बड़ी चुनौती है। मैं करीब 18 सालों से तैराकी कर रहा हूं और मुझे उस स्तर तक पहुंचने में लंबा वक्त लगा। मानसिक, शारीरिक और आर्थिक रूप से ओलंपिक स्तर का तैराक होना बहुत मुश्किल होता है।”
नटराज बहुत पहले ओलंपिक में भारत का प्रतिनिधित्व करने का सपना देखा। अब वो 'A' क्वालिफिकेशन मार्क का लक्ष्य हासिल करने के लिए खुद को बेहतर बनाने में लगे हुए हैं। वह 100 मीटर बैकस्ट्रोक (योग्यता 53.85 सेकंड) में 'A' क्वालिफिकेशन मार्क से सिर्फ 0.8 सेकंड पीछे हैं। हालांकि वो केवल इसे हासिल करके ही संतुष्ट नहीं होंगे उनका लक्ष्य एक दिन ओलंपिक पदक पर कब्जा जमाना हैै।
नटराज ने भारत का सर्वश्रेष्ठ तैराक बनने का श्रेय माता-पिता, कोच और पर्दे के पीछे रहकर काम करने वाले सहयोगी स्टाफ को दिया। उन्होंनेभारतीय खेल प्राधिकरण (SAI), स्विमिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया (SFI) और भारत के शीर्ष एथलीटों सहायता प्रदान करने वाले युवा एवं खेल मामलात मंत्रालय के प्रमुख कार्यक्रम टार्गेट ओलंपिक पोडियम स्कीम (TOPS) के योगदान को भी सराहनीय बताया।
कोरोना वायरस महामारी ने दुनियाभर में खेल परिदृश्य को बाधित किया और तैराकी को भी नुकसान उठाना पड़ा। तैराकों की तैयारी भी प्रभावित हुई। तीन-सदस्यीय सर्वश्रेष्ठ तैराकी टीम में शामिल विरधवाल खाड (50 मीटर फ्रीस्टाइल), कुशाग्र रावत (400 मीटर फ्रीस्टाइल) और नटराज ने हाल ही में दुबई में एक प्रशिक्षण सत्र में भाग लिया। उस शिविर ने नटराज को खेल में वापसी करने में मदद की और वह आने वाले आयोजनों के लिए तैयार हो गया।
नटराज ने कहा, कि "जल्द ही पानी में वापस आना बहुत जरूरी था और दुबई प्रशिक्षण शिविर ने हमें लाॅकडाउन के बाद पानी में उतरकर प्रशिक्षण करने का मौका दिया।"