सिमोन बाइल्स का सबसे बड़ा और बहादुरी भरा कदम उनके अविश्वसनीय, साहसी, वायरल आर्टिस्टिक जिमनास्टिक मूव्स में से कुछ भी नहीं था। उनके साहसी कदम में न तो ट्रिपल डबल शामिल था और न ही युरचेंको डबल पाइक मूव। बल्कि, पिछली गर्मियों में टोक्यो 2020 के दौरान दुनिया के सबसे बड़े मंच पर ख़ुद को चुनना, साहस से भरा उनका सबसे बड़ा कदम था।
जब बाइल्स वूमेंस टीम के फाइनल में ढ़ाई ट्विस्टिंग वॉल्ट का प्रयास करने के दौरान हार गई और वॉल्टिंग पोडियम पर जगह नहीं बना सकीं, तब उन्हें यह एहसास हो गया था कि अब वो औऱ अधिक प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकती हैं।
उनका यह मामला 'ट्विस्टीज़' का था - जिसमें एक जिमनास्ट का दिमाग और शरीर अचानक ही काम करना बंद कर देता है। वह नहीं जानती थीं कि वह अन्य इवेंट में क्या करेंगी। क्योंकि उनकी और अधिक गलतियों की वजह से टीम यूएसए पदक से चूक सकती थी या फिर उनके शरीर को चोट लग सकती थी।
बाइल्स ने इवेंट के बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा, “मुझे लगा कि थोड़ा पीछे हटकर अपने मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना मेरे लिए ज्यादा बेहतर होगा। मुझे पता था कि लड़कियां बेहतर करेंगी।”
“मैं अपने हालात को देखते हुए, टीम के मेडल जीतने के उम्मीद को लेकर जोखिम नहीं उठाना चाहती थी, क्योंकि उन्होंने इसके लिए बहुत मेहनत की है। इसलिए, मैंने अभी फैसला किया है कि दूसरे खिलाड़ियों को प्रतियोगिता में भाग लेने की जरूरत है।”
“अगर ये उनके लिए नहीं होता तो हम यहां नहीं होते।”
फिलहाल, उनके इस फैसले ने उनके साथी खिलाड़ियों को प्रेरित किया है।
दो साल तक ह्यूस्टन में बाइल्स के साथ प्रशिक्षण लेने के बाद टोक्यो गेम्स तक पहुंचने वाले जॉर्डन चिल्स ने कहा, “यह पदक निश्चित रूप से उनके लिए है, क्योंकि अगर यह उनके लिए नहीं होता, तो हम यहां नहीं होते जहां हम अभी हैं। हम उनके बिना सिल्वर ओलंपिक मेडलिस्ट नहीं होते।”
सच तो ये है कि बाइल्स की बहादुरी ने दुनिया को ख़ुद को प्राथमिकता देने का महत्व समझाया, भले ही इसका मतलब अपने सपने से दूर जाना हो।
बाइल्स को पूर्व अमेरिकी प्रथम महिला मिशेल ओबामा और अभिनेत्री केरी वाशिंगटन की ओर से सोशल मीडिया पर समर्थन के संदेश प्राप्त हुए। वहीं, 24 वर्षीय ये एथलीट प्रतिस्पर्धा में लौटने के लिए काम कर रही थीं।
रियो 2016 में चार गोल्ड मेडल जीतने वाली बाइल्स ने सभी पांच व्यक्तिगत फाइनल के लिए क्वालीफाई किया था। लेकिन ऑल-अराउंड, वॉल्ट, असमान बार्स बार और फ्लोर एक्सरसाइज मेडल राउंड से उन्होंने अपना नाम वापस ले लिया।
वह टोक्यो गेम्स के दौरान कलात्मक जिमनास्टिक प्रतिस्पर्धा के अंतिम दिन प्रतियोगिता में लौट आई। उन्हें बैलेंस बीम फाइनल में प्रतिस्पर्धा करने के लिए मंजूरी दे दी गई थी।
सिमोन बाइल्स का किसी भी पदक से कहीं ज्यादा मूल्यवान कदम
तीन बार की वर्ल्ड बैलेंस बीम चैंपियन ने अपने डिस्माउंट को बदल दिया। उन्होंने हर उस ट्विस्ट को छोड़ दिया जिससे उन्हें परेशानी हो सकती थी, और एक ऐसे डिस्माउंट में प्रतिस्पर्धा किया जो उन्होंने 12 साल की उम्र से नहीं किया था।
बाइल्स ने बाद में बताया, “हमने आखिरी मिनट में डिसमाउंट को स्विच करने का फैसला किया, जो मैंने शायद 12 साल की उम्र से अब तक नहीं किया था क्योंकि मैं हमेशा ट्विस्ट करती थी। लेकिन बीम पर वह काम आसान है। मैं हमेशा उन तत्वों को करने में सक्षम रही हूं, जो अब खत्म हो रहा है। हमें नहीं पता था कि हम क्या करने जा रहे थे या फिर फाइनल में प्रतिस्पर्धा करने वाले थे।”
हालांकि, इससे कोई फर्क नहीं पड़ा। संशोधन ने उन्हें बीम पर वापस आने के लिए आत्मविश्वास से भर दिया था, ताकि टोक्यो के एरियाके जिमनास्टिक्स सेंटर की रोशनी में उन्हें प्रतिस्पर्धा करने का एक और मौका मिल सके।
हालांकि, अपने करियर के सातवें ओलंपिक पदक के रूप में उन्होंने कांस्य पदक जीता। लेकिन उनकी खुद की दिनचर्या और टोक्यो में वह जो कुछ भी कर रही थीं, वह उनके लिए अधिक मायने रखती थी।
बाइल्स ने संवाददाताओं से बातचीत में कहा, “मानसिक स्वास्थ्य पर बातचीत करना निश्चित रूप से सबसे अधिक मायने रखता है। यह कुछ ऐसा है जिससे लोग गुज़रते हैं लेकिन छुपाने के लिए मजबूर होते हैं। मुझे लगता है कि हम सिर्फ मनोरंजन के साधन नहीं हैं, हम इंसान भी हैं। हमारे पास भावनाएं हैं, और अंततः लोग यह नहीं समझते हैं कि हम किस दौर से गुजर रहे हैं।”
पांच पदक जीतने के अवसरों को छोड़ने के बाइल्स के फैसले ने दुनिया को एक नया दृष्टिकोण दिया था। लेकिन वे फैसले बाइल्स ने सिर्फ ख़ुद के लिए ही लिए थे।
बाइल्स ने कहा, “मुझे उम्मीद है कि लोग यह समझेंगे कि यह मैंने ख़ुद के लिए किया है, किसी और के लिए नहीं क्योंकि मैं ओलंपिक गेम्स में एक बार और प्रतिस्पर्धा करना चाहती थी। पांच साल के अपने सपने को छोड़ना और उसे पूरा करने का प्रयास नहीं करने का फैसला आसान नहीं है। यह वास्तव में बहुत कठिन था। मैं स्टैंड में कभी नहीं रही, इसलिए मैं बस नहीं थी। मुझे इसकी आदत नहीं थी। इसलिए, प्रतिस्पर्धा करने का एक और अवसर हासिल करना ही मेरे लिए सबकुछ है।