जानिए क्यों पारुपल्ली कश्यप और साइना नेहवाल के लिए बैडमिंटन है ‘लव स्टोरी’ से बढ़कर
पारुपल्ली कश्यप ने ख़ुलासा किया कि ओलंपिक कांस्य पदक विजेता साइना नेहवाल के साथ रिश्ते का उनके बैडमिंटन करियर पर भी बड़ा प्रभाव पड़ा है।
साइना नेहवाल (Saina Nehwal) और पारुपल्ली कश्यप (Parupalli Kashyap) की लव स्टोरी में बैडमिंटन उनके दिल के बेहद करीब रहा है। यह वही खेल है जिसपर ये दोनों ही खिलाड़ी अपनी जान छिड़कते हैं।
भारत के सबसे प्रमुख खेल जोड़ों में से एक भारतीय बैडमिंटन स्टार साइना नेहवाल और पारुपल्ली कश्यप ने कोर्ट पर लंबे समय तक साथ खेलने के बाद साल 2018 में शादी कर ली थी।
शटलर संजना शेट्टी (Sanjana Shetty) के साथ एक इंस्टाग्राम लाइव सत्र के दौरान पारुपल्ली कश्यप ने कहा, “हम जुड़े क्योंकि हमारी मानसिकता हमेशा एक ही जैसी थी। उसकी (साइना नेहवाल) हर चर्चा बैडमिंटन के बारे में ही होती थी और मुझे यह काफी पसंद आया।”
2014 के राष्ट्रमंडल खेलों के स्वर्ण पदक विजेता कश्यप का मानना है कि साइना नेहवाल के प्रति उनके प्यार ने भी उन्हें एक बेहतर खिलाड़ी बनने के लिए प्रेरित किया है।
कश्यप ने समझाते हुए कहा, “मैं वास्तव में उसे बहुत पसंद करता था। जिस तरह से वह ट्रेनिंग किया करती थी, उसने वास्तव में मुझे काफी प्रेरित किया। जिस तरह वह मुक़ाबला करती थी, वह मुझे बहुत पसंद आता था। सही मायने में मैं उसका बड़ा फैन था। वह मुझे कड़ी मेहनत और खुद पर अधिक काम करने के लिए हमेशा प्रेरित किया करती थी।”
साइना और कश्यप पहली बार 1997 में एक बैडमिंटन कोचिंग शिविर में युवा खिलाड़ियों के तौर पर मिले थे और 2002 के बाद उन्होंने आपस में मिलना शुरू कर दिया था।
पारुपल्ली कश्यप ने शुरुआती दिनों को याद करते हुए कहा, “हमने लंबे समय तक एक दूसरे को डेट किया। यह काफी बचकाना था कि यह बात हम अपने सभी दोस्तों से छुपाते थे। हम इसके बारे में हर बात छुपाते होंगे। हम बहुत शर्मिले और डरे हुए थे।”
दोनों ही खिलाड़ी अपने-अपने बैडमिंटन करियर में व्यस्त थे और मिलने के लिए बहुत कम समय ही मिलता था। लेकिन धीरे-धीरे चीज़ें गंभीर होने लगीं।
33 वर्षीय कश्यप ने कहा, “2009-2010 के आसपास मुझे लगा कि मैं इस लड़की के साथ लंबे समय तक अपनी जिंदगी बिताना चाहता हूं। फिर मैंने 2012 के लंदन ओलंपिक के बाद उससे शादी करने या उसके साथ रहने के बारे में सोचने लगा। इसके बारे में मैं कुछ ज्यादा ही गंभीर हो गया था। शायद उसकी (साइना नेहवाल) अपनी कुछ कहानी होगी, लेकिन मुझे यही महसूस हुआ।"
कश्यप को इस रिश्ते ने किया प्रेरित
इस रिश्ते ने पारुपल्ली कश्यप के खेल को बेहतर करने के लिए प्रेरित किया। वह लंदन 2012 में किसी ओलंपिक के क्वार्टर-फाइनल में प्रवेश करने वाले पहले भारतीय पुरुष शटलर थे।
हालांकि, 2016 के बाद लगातार कई चोटों ने कुछ समय के लिए उनके बैडमिंटन करियर पर विराम लगा दिया था।
उन्होंने कहा, "मैं सोच रहा था कि शायद मुझे बैडमिंटन छोड़ देना चाहिए, क्योंकि मैं हर बार चोटिल हो रहा था और मैं उस स्तर पर नहीं खेल पा रहा था, जिसकी मुझे उम्मीद थी।”
हालांकि, कश्यप ने साइना के ज़रिए इस खेल के साथ एक बार फिर जुड़ने का संकल्प लिया।
उन्होंने कहा, "तब मैंने गोपी सर (पुलेला गोपीचंद) से पूछा कि मैं बैठे-बैठे ऊब गया हूं और मेरे पास कोई प्रेरणा नहीं है। मैं साइना को ट्रेनिंग देकर और उसकी मदद करके खुद को प्रेरित महसूस करता हूं। मेरे पास कुछ चीज़ें हैं और मैं उस पर कोशिश करना चाहता हूं। तब उन्होंने कहा, “ठीक है, करो”।
पारुपल्ली कश्यप के ट्रेनिंग देने से साइना नेहवाल ने 2018 एशियाई खेलों में कांस्य पदक जीता। लेकिन कश्यप के लिए इस जीत के बहुत अधिक मायने थे।
कश्यप ने कहा, “जब मैं उसे प्रशिक्षित कर रहा था और उसके मैचों के लिए बैठता था तो मैं भी टूर्नामेंट खेलना चाहता था। तब मुझे लगा कि मैं बस कोच ही बनकर नहीं रहना चाहता। इससे मुझे वापसी करने में मदद मिली और मुझे फिर से ट्रेनिंग करने के लिए प्रेरित किया। फिर देखते ही देखते सबकुछ सही हो गया। उसे कोचिंग देने से मेरा और उसका दोनों का ही फायदा हुआ।”