पार्क ताए संग की कोचिंग से खुश हैं पीवी सिंधु, टोक्यो में नहीं खलेगी गोपीचंद की कमी

भारतीय बैडमिंटन स्टार ने ये भी कहा कि वो हर उस गुरु के लिए 'बेटी की तरह' हैं, जिन्होंने उनके करियर को बेहतर बनाने में मदद की है।

4 मिनटद्वारा विवेक कुमार सिंह
अगस्त 2019 में वर्ल्ड बैडमिंटन चैंपियनशिप में स्वर्ण पदक जीतने के बाद से पी वी सिंधु का फ़ॉर्म लगातार गिर रहा है
(Getty Images)

भारतीय बैडमिंटन दिग्गज पीवी सिंधु (PV Sindhu) का कहना है कि वो नए दक्षिण कोरियाई कोच पार्क ताए संग (Park Tae Sang) की देख रेख में अपनी टोक्यो की तैयारियों से खुश हैं, और वो जुलाई में शुरू होने वाले ओलंपिक में पुलेला गोपीचंद (Pullela Gopichand) की कमी महसूस नहीं करेंगी।

पुलेला गोपीचंद उनके खेल करियर में लंबे समय तक कोच थे, और रियो 2016 में उनके रजत पदक के दौरान लगातार कोर्ट-साइड में मौजूद रहें। उसके बाद दोनों के रास्ते अलग हो गए।

भारतीय बैडमिंटन टीम के मुख्य कोच के नाते पुलेला गोपीचंद खेलों के दौरान टोक्यो में रहेंगे, लेकिन पीवी सिंधु के साथ उनके निजी कोच पार्क ताए संग होंगे।

“मुझे लगता है कि मैं तैयार हूं और टोक्यो में गोपीचंद सर को मिस नहीं करूंगी। मैं खुद को खेलों के लिए तैयार रखने के लिए कोच पार्क और ट्रेनर सुचित्रा के साथ रोजाना करीब पांच से छह घंटे ट्रेनिंग कर रही हूं।

उन्होंने कहा, "पार्क के व्यक्तिगत फोकस ने बहुत मदद की है,"

हालांकि, उन्होंने पुलेला गोपीचंद के नेतृत्व में अपने करियर का महत्वपूर्ण पल देखा है, पीवी सिंधु का मानना ​​है कि पूर्व ऑल इंग्लैंड चैंपियन की कोचिंग उनके करियर का एक दौर था। उन्होंने ये भी बताया कि आगे बढ़ने के लिए बदलाव जरूरी है।

“गोपीचंद 2016 में मेरे साथ थे और वो अच्छा दौर था। तब हमारे पास 2018 में (इंडोनेशियाई) मुल्यो हांड्यो और 2019 में (कोरियाई) किम जी ह्यून थे। मुल्यो और किम दोनों व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए अचानक चले गए।

पीवी सिंधु ने कहा, “किम बहुत सक्रिय थे और जब मैंने विश्व चैंपियनशिप जीती थी तो वो मेरे साथ थे। पार्क ने किम के बाद पदभार संभाला और उन्होंने अब तक मेरा मार्गदर्शन किया है और वह टोक्यो में कोर्ट के बाहर होंगे। इसलिए, मुझे गोपी सर की कमी नहीं खलेगी।”

एथेंस 2004 के ओलंपियन पार्क ताए संग के साथ 2019 में कोचिंग शुरू करने वाली पीवी सिंधु उनकी देख रेख में अभी तक एक भी खिताब नहीं जीत सकी हैं।

पार्क की देख रेख में सिंधु ने ऑल इंग्लैंड चैंपियनशिप के सेमी-फाइनल और मार्च में स्विस ओपन के फाइनल में जगह बनाई थीं। वो लंदन में थाईलैंड की पोर्नपावी चोचुवोंग (Pornpawee Chochuwong) से हार गईं, जबकि बेसल में उन्हें अपनी पुरानी प्रतिद्वंद्वी कैरोलिना मारिन (Carolina Marin) से हार मिली थी।

हालांकि, पीवी सिंधु ने इन असफलताओं के बावजूद कोच पार्क पर भरोसा किया और उनके साथ आगे का सफर जारी रखने का फैसला किया।

महिला बैडमिंटन की विश्व चैंपियन ने कहा, "पार्क समझते हैं कि आपके दिमाग में क्या चल रहा है। जब मैं दबाव में या मुश्किल स्थिति में होती हूं, तो वो मुझे अपने बारे में सोचने देते हैं। वो जानते हैं कि कब बात करनी है, और मेरे विरोधियों के बारे में उनका विश्लेषण शानदार है।”

25 वर्षीय ने अपने जीवन में पिता पीवी रमना को सामने न रहने वाले कोच के रूप में बताया और जोर देकर कहा कि वो हर उस गुरु के लिए 'बेटी की तरह' है, जिसने उन्हें आज विश्व-चैंपियन बनाने में मदद की है।

पीवी सिंधु को अभी आधिकारिक तौर पर टोक्यो के लिए क्वालिफाई करना बाकी है। हालांकि, उन्हें BWF रेस टू टोक्यो रैंकिंग में सातवें स्थान पर रखा गया है – ये वो इवेंट है, जो तय करेगा कि कौन-कौन खिलाड़ी ओलंपिक के लिए क्वालिफाई करेगा। हालांकि जापान के लिए उनकी टिकट की पुष्टि सिर्फ एक औपचारिकता रह गई है।

साइना नेहवाल का ओलंपिक से बाहर होना लगभग तय है, जैसा कि अभी स्थिति है, सिंधु टोक्यो के लिए क्वालिफाई करने वाली एकमात्र भारतीय महिला सिंगल्स खिलाड़ी हैं, और यह बताने की जरूरत नहीं है कि रियो 2016 में उनकी उपलब्धि के बाद इस बार उम्मीदें अधिक होंगी।

पीवी सिंधु ने कहा, “जो भी हो, मुझे अपना सर्वश्रेष्ठ देना होगा। मुझे दूसरों के लिए सोचने के बजाय अपने लिए अच्छा खेलना होगा। अगर मैं अच्छा करती हूं, तो मैं भारत के लिए अच्छा करती हूं और हर कोई खुश होगा।”

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