पेरिस 2024 हॉकी: कप्तान हरमनप्रीत सिंह बोले, टीम को जरूरत पड़ने पर मैं जिम्मेदारी लेने के लिए रहता हूं तैयार

द्वारा Olympics.com
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Harmanpreet Singh, India hockey captain, Paris 2024 Olympics
फोटो क्रेडिट Getty Images

भारतीय पुरुष हॉकी टीम ने पेरिस 2024 ओलंपिक हॉकी टूर्नामेंट के ग्रुप स्टेज के अपने आखिरी मैच में ऑस्ट्रेलिया को 3-2 से हराकर क्वार्टरफाइनल में जगह बना ली। इसके साथ ही भारत ग्रुप बी में दूसरे स्थान पर है।

अगर भारत हारता या ड्रॉ करता, तब भी टीम क्वार्टरफाइनल में पहुंच जाती, लेकिन ऑस्ट्रेलिया को हराना बड़ी बात है। 1972 के बाद से ओलंपिक हॉकी में भारत ने पहली बार ऑस्ट्रेलिया को हराया है।

कप्तान हरमनप्रीत सिंह के नेतृत्व में टीम का लक्ष्य टोक्यो 2020 के कांस्य पदक से बेहतर प्रदर्शन करना है। पिछले ओलंपिक में 41 साल बाद भारत ने ओलंपिक हॉकी में पदक हासिल किया था।

जानिए भारतीय कप्तान हरमनप्रीत सिंह ने इस ओलंपिक में आने वाली चुनौतियों पर क्या कुछ कहा।

मैच के रिजल्ट पर बोले हरमनप्रीत

हरमनप्रीत सिंह ने कहा कि ये हमारा पूल का आखिरी मैच था। हमने शुरुआत जीत के साथ की थी और हमने सोचा था कि आखिरी मैच भी जीतकर ही खत्म करेंगे। हमने ऑस्ट्रेलिया पर दबाव बनाया और हमारे फॉरवर्ड खिलाड़ियों ने बहुत अच्छा दबाव बनाया। हमारा लक्ष्य पहला गोल करना था और हमने वो किया। उसके बाद हमने बहुत अच्छा मैनेज किया।

हमारी बॉल पोजिशनिंग आज बहुत अच्छी रही। क्योंकि सब जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया पूरी ताकत से खेलती है। इसलिए हमने गेंद को संभालने में बहुत ध्यान दिया और अच्छी पोजिशन बनाए रखी।

अब तक तीन मैचों में छह गोल दागकर निर्णायक भूमिका निभाने पर

हरमनप्रीत सिंह: यह मेरी जिम्मेदारी है, तो इस वजह से मुझे यह करना ही होगा। मेरे पास कोई विकल्प नहीं है (मौके पर खरा उतरने के अलावा)। जब भी मुझे गेंद उठाने का मौका मिलता है तो मैं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करता हूं। लेकिन मुझे लगता है कि सारा श्रेय टीम, फॉरवर्ड लाइन और मिडफील्ड, फॉरवर्ड को पास देने को जाता है और जब वे सर्कल में प्रवेश कर रहे होते हैं तो हम अच्छे मौके बनाते हैं और पेनल्टी कॉर्नर बनाते हैं। इसलिए मैं (हमेशा) तैयार हूं।”

टूर्नामेंट के शीर्ष स्कोरर बन सकने पर

हरमनप्रीत सिंह: मैं उस बारे में नहीं सोच रहा हूं। मैं सिर्फ अपने आप पर ध्यान केंद्रित कर रहा हूं और जब भी मुझे मौका मिलेगा। मैं निश्चित रूप से एक गोल करने की कोशिश करूंगा और सर्वोच्च स्कोरर बनूंगा। जैसा कि मैंने बताया, यह मेरी जिम्मेदारी है, तो हां मैं सर्वोच्च स्कोरर बनने की कोशिश करूंगा।”

भारत 1980 के बाद भारत के लिए पहला हॉकी स्वर्ण जीतने के विश्वास पर

हरमनप्रीत सिंह: इसीलिए हम यहां हैं। हम इसी की तलाश कर रहे हैं। भारत को नौवां (हॉकी) स्वर्ण दिलाने के लिए। एक टीम के रूप में हम उपलब्धि हासिल कर रहे हैं। हम उस स्वर्ण पदक को जीतने के लिए सब कुछ झोंक रहे हैं। लेकिन मुख्य टूर्नामेंट अब शुरू हो रहा है। इसलिए क्वार्टरफाइनल, सेमीफाइनल, ये मैच बहुत अहम हैं। इसलिए हम सिर्फ अपना सर्वश्रेष्ठ देना चाह रहे हैं।”

नॉकआउट राउंड में क्या मानसिकता होनी चाहिए

हरमनप्रीत सिंह: पूल मैचों में आपके पास विकल्प होते हैं। हो सकता है कि आप जीतें, या हारें, अगला मैच आपके सामने होता है। क्वार्टरफाइनल में, आपके पास कोई मौका नहीं होता है, इसलिए आपको सर्वश्रेष्ठ के लिए जाना होगा और अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करना होगा, और आप जानते हैं कि यहां गलती करने की कोई गुंजाइश नहीं है। इसलिए, जब भी आपको मौका मिले आपको हर सेकेंड चौकन्ना रहना होगा ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि आप अच्छा प्रदर्शन कर रहे हैं। यह वह मानसिकता है जिसे हमें अपने दिमाग में रखना होगा।

भारत के संभावित रूप से नौवां ओलंपिक हॉकी स्वर्ण पदक जीतने पर

हरमनप्रीत सिंह: यह हमारे जीवन की, हॉकी इतिहास की सबसे उत्साहपूर्ण बात होने वाली है। क्योंकि पिछली बार (टोक्यो में) हमने कांस्य पदक जीता था, लोग काफी उत्साहित हो गए थे। पूरा भारत हमारे लिए चीयर कर रहा था और हम उन्हें स्वर्ण पदक और इतिहास देना पसंद करेंगे। इसलिए हम अपना सर्वश्रेष्ठ देने का प्रयास करेंगे।

हॉकी की दीवानगी वाले देश में हॉकी स्टार होने पर

हरमनप्रीत सिंह: जब आप सड़क पर जाते हैं और लोग आपको पहचानते हैं और आपके साथ तस्वीर लेना चाहते हैं, तो यह शानदार है। ऐसा अक्सर नहीं होता - मैं मशहूर नहीं हूं। लेकिन यह अद्भुत लगता है। इसमें कोई शक नहीं। यह बहुत अच्छा है, क्योंकि मेरी अहम बात यह है कि मैं (टीम के प्रति) अपनी जिम्मेदारी अच्छी तरह निभा रहा हूं या नहीं। इसलिए जब भी मैं अपनी हॉकी स्टिक उठाता हूं और मैदान पर जाता हूं, मुझे प्रदर्शन करने के लिए प्रेरित महसूस होता है और अपनी टीम के साथियों की वजह से मैं ऐसा करने में सक्षम हूं। वे सभी मेरी टीम के साथी हैं और इसका श्रेय सबसे पहले मेरी टीम को जाता है।