ओलंपिक सिंडरेल्ला: वह बॉबस्ले टीम जिसने रची पुर्तगाल की ओलंपिक शीतकालीन खेलों में वापसी 

Olympics.com आपको ऐसे कुछ खिलाड़ियों के बारे में बताएगा जो शीतकालीन ओलंपिक खेलों में स्वर्ण तो नहीं जीत पाए लेकिन कई दर्शकों का समर्थन और प्यार जीत लिया। अपने देश के लिए सब कुछ करने वाली इस बॉबस्ले टीम से मिलिए और उसके बारे में जानिये। 

5 मिनटद्वारा Virgílio Franceschi Neto
कैलगरी 1998 शीतकालीन ओलंपिक खेल: पुर्तगाली बोबस्ले टीम

अगर पुर्तगाल के ओलंपिक इतिहास कि बात करें तो Rosa Mota, Nelson Evora, Fernanda Ribeiro, Telma Monteiro और Carlos Lope जैसे नाम आपके सामने आते हैं या फिर Pedro Pichardo, Fernando Pimenta और Patrícia Mamona जैसे खिलाड़ी।

शीतकालीन ओलंपिक खेलों में पुर्तगाल के खिलाड़ियों का प्रदर्शन आंकना हो तो यह याद रखना अनिवार्य है कि इस देश ने पहली बार 1952 ओस्लो खेलों में भाग लिया था जब Duarte Espírito Santo ने अल्पाइन स्कीइंग में अपने देश का प्रतिनिधित्व किया। अगले 36 वर्ष पुर्तगाल की ओर से किसी भी खिलाड़ी ने शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भाग नहीं लिया और यह सिलसिला 1988 में अंत हुआ।

साल 1988 कैलगरी खेलों की बॉबस्ले प्रतियोगिता ने कई लोगों का ध्यान आकर्षित किया क्योंकि कुछ ऐसे देश भाग ले रहे थे जहां मौसम ज़्यादातर ठंडा नहीं होता जिसमे जमैका और मेक्सिको शामिल हैं।

जमैका की टीम का सफ़र एक बहुत बड़ी कहानी थी और हॉलीवुड में एक फिल्म भी उनके ऊपर बनी लेकिन पुर्तगाल के खिलाड़ियों की कहानी ज़्यादा लोगों को नहीं पता।

सात वर्ष की आयु में कनाडा आये Antonio Reis का जन्म पुर्तगाल के विला नोवा दे गेया में हुआ था और वह अपने परिजनों के साथ विदेश बचपन में ही चले गए थे।

उन्हें खेल से बहुत लगाव था और एक अच्छे स्तर तक उन्होंने अमेरिकी फुटबॉल भी खेली और गुएल्फ विश्वविद्यालय के लिए खेलते हुए वेनीर कप भी जीता। उन्हें रोइंग का भी शौक था और हेनले रेगाटा भी अपने नाम किया था।

मौके ने जब दी दस्तक

Reis बचपन से ही खेल को लेकर जुनूनी थे और शीतकालीन ओलंपिक खेलों में भाग लेना उनका सपना था। साल 1985 में उन्होंने कनाडा की बॉबस्ले टीम के साथ संपर्क किया और 1988 कैलगरी खेलों में भाग लेने की आशा प्रकट की लेकिन राष्ट्रिय टीम में उनका स्थान नहीं बन पाया।

उस समय एक चर्चा इस विषय पर भी चल रही थी कि बॉबस्ले को शीतकालीन ओलंपिक खेलों में होना चाहिए या नहीं क्योंकि यह बहुत ही महंगा खेल था और भाग लेने वाली टीमों की कमी थी। इस स्थिति से निपटने के लिए अन्य देशों को भाग लेने का आमंत्रण दिया गया और कनाडा के एक कोच Reis को पुर्तगाल के लिए खेलने का सुझाव दिया।

वहीं शुरू हुआ एक अद्भुत और अनोखा सफर।

संयोग की श्रृंखला

Reis ने उस समय को याद करते हुए कहा, "हम सब की कहानियां अविश्वसनीय थी क्योंकि जो कुछ नहीं होना था, हुआ। ऐसा लगा की एक संयोग श्रृंखला ने हमें शीतकालीन ओलंपिक खेलों तक पंहुचा दिया।"

Kilburn द्वारा दिए गए सुझाव के बाद Reis को अमेरिका के लेक प्लासिड में अभ्यास करने का अवसर मिला। यह निर्णय बहुत ही अद्भुत और प्रेरणादायक साबित हुआ।

लेक प्लासिड में अच्छे प्रदर्शन के बाद उन्हें विश्व कप में भाग लेने का अवसर मिला लेकिन पुर्तगाल को खेलने के लिए एक टीम की आवश्यकता थी। उस समय को याद करते हुए Reis ने कहा, "Jorge Magalhães मेरे मित्र थे और उन्हें मैंने अपने टीम में शामिल कर लिया।"

एक अच्छे प्रदर्शन के बाद पुर्तगाल की टीम ओलंपिक खेलों का सपना देखने लगी।

मित्रों को भर्ती करना

स्थिति को देखते हुए यह निर्णय लिया गया कि कनाडा में रहने वाले पुर्तगाली मूल के लोगों की टीम में ज़रुरत है। Joao Pires, Joao Poupada और Rogerio Bernardes से संपर्क किया गया और Reis इनमे से Poupada और Bernardes को जानते थे।

Reis बताते हैं, "हमने उन्हें कहा कि ओलंपिक खेलों में भाग लेना एक सम्भावना है और उन्होंने इसका स्वागत किया। सबके परिजनों ने धनराशि को सम्मिलित करने में भी हमारी सहायता की और हमारी एकता बढ़ गयी।"

पुर्तगाल ओलंपिक समिति द्वारा इस टीम को मान्यता मिलना अनिवार्य था क्योंकि ऐसा न होने पर उनकी कहानी में एक बहुत बड़ी बाधा उत्पन्न होती।

टोरंटो में स्थित वाणिज्य दूतावास में पुर्तगाल की बॉबस्ले टीम का पंजीकरण किया गया और उसके बाद Reis पुर्तगाल ओलंपिक समिति से मान्यता पाने के लिए लिस्बन आये।

मान्यता पाने के बाद औपचारिक प्रक्रिया को पूरा करने के लिए वह सीधा मिलान गए।

सारी औपचारिकता पूरी हुई और पुर्तगाल की टीम ओलंपिक खेलों का सपना देख रही थी।

Reis ने कहा, "हर चीज़ एक सक्रीय ढंग से साथ आया और सबका लक्ष्य सफलता था।"

इटली का बेहतरीन सफर 

शीतकालीन खेलों में अपना स्थान पक्का करने का अवसर टीम को दिसंबर 1987 में ऑस्ट्रिया के इन्सब्रुक में आयोजित हुई एक प्रतियोगिता में मिला। अभी तक पुर्तगाल की टीम ने अपने सारे उपकरण दूसरी टीम से उधार लिए थे लेकिन उन्हें पता था कि वह एक अच्छी स्लेड से बेहतर समय हासिल कर सकते थे। इटली की एक कंपनी से बात करने के बाद उन्हें नए उपकरण मिले और यह भी उनके लिए एक अनोखा अनुभव था। 

इटली के एक स्की रिसोर्ट में अपना सामान लेने के लिए वह गाड़ी से गए और अगले दिन वह उपकरण प्राप्त कर वापस आ गए। इस यात्रा के कारण वह सो नहीं पाए थे लेकिन उनके अंदर जो जूनून था उसका मुकाबला करना नींद के लिए मुश्किल था। 

उनकी योजना काम कर गई और उन्होंने अपने जीवन का सर्वश्रेष्ठ समय प्राप्त करते हुए ओलंपिक शीतकालीन खेलों में जगह बना ली। 

मोनाको के Prince Albert पुर्तगाल की टीम से बहुत खुश थे और उन्होंने स्लेड को खरीद लिया जिसके कारण टीम इटली की कंपनी को पैसा लौटा पायी।

एक अविश्वसनीय कहानी

Reis और Poupada की जोड़ी ने खेलों में भाग लिया और 38 टीमों में 34वां स्थान प्राप्त किया और वहीँ दूसरी ओर Reis, Poupada, Pires और Bernardes ने फोर-मैन वर्ग में 25वां स्थान प्राप्त किया।

अंतिम परिणाम उनके लिए ज़्यादा महत्त्व नहीं रखता था क्योंकि ओलंपिक खेलों में भाग लेना और अपने देश का प्रतिनिधित्व करना उनका सपना था।

Reis ने कहा, "अगर कोई मुझे हमारी कहानी को एक फिल्म के रूप में प्रस्तुत करता तो मैं कहता कि यह हास्यास्पद नहीं बल्कि असंभव है। मुझे अभी भी विश्वास नहीं होता कि यह कैसे हुआ।"

बॉबस्ले प्रतियोगिता में आज तक किसी भी अन्य पुर्तगाल की टीम ने भाग नहीं लिया है और यह बताता है कि साल 1988 में जो हुआ वह एक चमत्कार था।

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