तीन देशों के लिए खेल चुकी जिम्नास्ट Oksana Chusovitina को रोक पाना मुश्किल ही नहीं असंभव है 

ओलिंपिक खेलों का इतिहास चैंपियन खिलाड़ियों, अद्भुत कहानियों और कीर्तिमानों से भरा हुआ है लेकिन हर चार साल में एक बार आयोजित होने वाले प्रतियोगिता में कुछ ऐसे क्षण होते हैं जो सदैव याद किये जाते हैं। हर सप्ताह हम आपको ऐसे ही एक क्षण के बारे में बताते हैं जिसने विश्व भर में खेल प्रेमियों को भावुक कर दिया और इस सप्ताह हम आपको बताएँगे एक भावुक वापसी की कहानी। 

Oksana Aleksandrovna Chusovitina  (2)
(2006 Getty Images)

कैसे हुई शुरुआत

लोकप्रिय मान्यता के अनुसार जिम्नास्टिक्स एक ऐसा खेल है जो सिर्फ 30 साल से कम आयु के लिए बना है लेकिन Oksana Aleksandrovna Chusovitina ने इस पहलु को परिवर्तित कर दिया है और वह परिवर्तन का बेहतरीन प्रतीक हैं। वह 45 वर्ष की आयु में अपने जीवन के आठवें ओलिंपिक खेलों में भाग लेने का प्रयास कर रही हैं।

उनकी पहले की कहानी और भी ज़्यादा रोमांचक और दिलचस्प है।

अपने खेल जीवन की शुरुआती दिनों में वह अन्य उभरती प्रतिभाओं की तरह शानदार तो थी लेकिन इतिहास रचने का दावा नहीं करती थी।

Chusovitina का जान उज़्बेकिस्तान में हुआ और उन्होंने सिर्फ 13 वर्ष की आयु में सोवियत संघ की जूनियर राष्ट्रिय चैंपियनशिप जीत कर अपने कौशल का परिचय दिया।

उन्होंने अपना ओलिंपिक सफर 1992 में शुरू किया और यूनिफाइड दाल के लिए टीम प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक जीता लेकिन उनकी कहानी की बस शुरुआत थी।

Chusovitina ने दो ओलिंपिक पदक (बार्सिलोना 1992 में स्वर्ण और बीजिंग 2008 में रजत), 11 विश्व चैंपियनशिप पदक (तीन स्वर्ण, चार रजत और चार कांस्य), दो विश्व कप पदक (एक स्वर्ण और एक कांस्य), आठ एशियाई खेल पदक, चार एशियाई चैंपियनशिप पदक और चार यूरोपियन चैंपियनशिप पदक जीते हैs.

(2006 Getty Images)

उनकी वापसी

यह सारे पदक और ख़िताब उन्होंने ऐसी आयु में जीते जो विशेषज्ञों और लोकप्रिय मान्यता के अनुसार एक जिम्नास्ट के लिए थोड़ी ज़्यादा थी।

साल 1999 में उनके पहले पुत्र Alisher का जन्म हुआ और ऐसा माना जा रहा था की 2000 में होने वाले सिडनी ओलिंपिक खेल उनके जीवन के अंतिम होंगे क्योंकि एक जिम्नास्ट के लिए 25 वर्ष सन्यास की आयु मानी जाती थी।

Chusovitina के जीवन ने एक बिलकुल अविश्वसनीय मोड़ लिया।

साल 2002 में उनके बेटे को ल्यूकेमिया बीमारी हो गयी और उसके इलाज के लिए पूरा परिवार जर्मनी में जा कर बस गया लेकिन दवाई का खर्चा ज़्यादा होने के कारण Chusovitina ने प्रतियोगिताओं में भाग लेना शुरू किया।

इतना साहस दिखाने उन्हें परिणाम भी मिला और उनके बेटे का इलाज सफल रहा। साल 2008 में Alisher को डॉक्टरों ने रोग मुक्त और स्वस्थ घोषित कर दिया और उसके कुछ महीने बाद ही उन्होंने बीजिंग में ओलिंपिक पदक अपने नाम किया।

कई साल बाद, इएसपीएन से बात करते हुए उन्होंने कहा, "पदक जीत से मुझे कुछ खास फर्क नहीं पड़ा क्योंकि जब आपको पता चलता है कि आपका बीटा रोग मुक्त हो गया है तो बाकी सब बेमतलब हो जाता है।"

जर्मनी में अपने पुत्र के स्वस्थ होने से Chusovitina इतनी खुश हुई कि उन्होंने उस देश के लिए खेलने का निर्णय लिया। लंदन ओलिंपिक खेलों में निराशा हाथ लगने के बाद उन्होंने सन्यास लेने का निर्णय लिया लेकिन इस घोषणा के कुछ घंटों बाद ही उन्होंने अपना निर्णय बदल दिया।

Oksana का टोक्यो 2020 तक सफर

जिम्नास्टिक्स Chusovitina के जीवन का एक अटूट हिस्सा बन चूका था और 2016 रियो ओलिंपिक खेलों में उन्होंने उज़्बेकिस्तान का प्रतिनिधित्व किया और वॉल्ट प्रतियोगिता में सातवें स्थान प्राप्त किया। उस प्रतिस्पर्धा की विजेता थी अमरीका की Simone Biles जिनकी आयु Chusovitina से 22 वर्ष कम थी। वह पदक तो नहीं जीत पायी लेकिन प्रतियोगिता स्थल में उन्हें दर्शकों ने सम्मानित किया।

टोक्यो 2020 ओलिंपिक खेलों में Chusovitina अपनी जगह बना चुकी हैं और जब वह प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगी तो उनकी आयु 46 वर्ष होगी।

आने वाले खेलों के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा, "टोक्यो ओलिंपिक मेरे खेल जीवन की अंतिम प्रतियोगिता होगी और इस निर्णय में कोई परिवर्तन नहीं आएगा।"

आने वाले खेलों में Oksana Chusovitina शायद पदक के लिए प्रबल दावेदार न हों लेकिन उनके जीवन की कहानी इस निष्कर्ष के बिलकुल विपरीत बात बताती है।

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