सुनील छेत्री की कड़ी मेहनत को कोचों ने किया सलाम

15 साल पहले अपना अंतरराष्ट्रीय डेब्यू करने के बाद सुनील छेत्री का फुटबॉल के प्रति लगन और कभी न खत्म होने वाले जुनून ने भारतीय फुटबॉल कप्तान को खास बनाने में मदद की है।

3 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
Sunil Chhetri Photo: AIFF Media
(All India Football Federation)

एक उत्साही युवा लड़के से लेकर लीडर, कैप्टन, लीजेंड बनने तक के बीते 15 वर्षों के सफर में सुनील छेत्री (Sunil Chhetri) को भारतीय फुटबॉल में एक प्रमुख स्तम्भ के रूप में उभरते हुए देखा गया है। हालांकि, भारत के इस महान फुटबॉल खिलाड़ी के बारे में एक चीज़ ऐसी है जो आज भी नहीं बदली है, वह है खुद में सुधार करने की उनकी भूख।

उन्हें करीब से देखने वाले पूर्व कोचों की माने तो सुनील छेत्री का समर्पण और उनका कभी न खत्म होने वाला जुनून उन्हें खास बनाता है। 

सुनील छेत्री का अंतरराष्ट्रीय स्तर पर डेब्यू कराने वाले सुखविंदर सिंह (Sukhwinder Singh) ने हाल ही में एक इंटरव्यू में AIFF मीडिया से बात करते हुए कहा, "मैंने सुनील जैसा किसी और को समर्पित नहीं देखा।"

यह जेसीटी मिल्स की बात है। वह पंजाब के एक क्लब में थे, जो घरेलू लीग में प्रतिस्पर्धा करती थी। वहीं पर भारत के सबसे सम्मानित कोचों में से एक सुखविंदर सिंह ने सुनील छेत्री के हुनर को पहचाना और उन्हें ऑफर दिया।

1996-97 के सीज़न में लीग खिताब के लिए जेसीटी का नेतृत्व करने वाले सुखविंदर सिंह ने कहा, “मैंने उसे जेसीटी में बेहतर होते हुए देखा और वह उसके महज़ झलकियां मात्र थीं कि वह भविष्य में क्या कर सकता है। मुझे आज भी उसकी भूख याद है। अपने कोचिंग करियर के 19 वर्षों में मैंने किसी को भी सुनील जैसा समर्पित नहीं देखा। उसकी लगन कभी कम नहीं हुई और वह मेहनत करने से कभी पीछे नहीं हटा।”

सुनील छेत्री और जीत के लिए उनकी भूख

15 साल बीत गए हैं, लेकिन उनकी भूख अभी भी वैसे ही बरकरार है। उनके जैसा समर्पण और कड़ी मेहनत करने वाला दूसरा कोई और नहीं देखा गया। इसके अलावा दुनियाभर में खेलने से उन्हें जो अनुभव प्राप्त हुआ है, उसके बाद इसमें कोई आश्चर्य की बात नहीं है कि सुनील छेत्री देश के सबसे अधिक प्रिय खिलाड़ियों में से एक हैं।

भारतीय टीम के मुख्य कोच इगोर स्टैमैक ने कहा, "समर्पित, मेहनती और टीम को साथ लेकर चलने वाला – ये वो कुछ विशेषताएं हैं जो सुनील छेत्री को परिभाषित करती हैं।"

उनके हेड कोच ने आगे कहा, “जब मैंने पहली बार उसे पिछले साल देखा था, तब वे एएफसी एशियन कप के लंबे अंतराल के बाद राष्ट्रीय टीम के शिविर में वापस आए थे। कुछ लड़के नए थे, लेकिन उसके अंदर सीखने और जीत की भूख शायद किसी और से कहीं ज्यादा थी। यही उनके लंबे करियर का राज है।''

इस बीच बेंगलुरु एएफसी के पूर्व मुख्य कोच एशले वेस्टवुड ने कहा कि सुनील छेत्री किसी के लिए भी एक सही आदर्श है, जो फुटबॉल में बड़ा बनना चाहता है। आपको बता दें, इन्हीं के सानिध्य में विदेशी लीग में बेहतर न कर पाने के बाद इस भारतीय दिग्गज में दोबारा जान आई थी।

वेस्टवुड ने इंजुरी टाइम पॉडकास्ट से बात करते हुए कहा, “उनका आवेदन, उनका दृष्टिकोण और वह सब कुछ जो वे मैदान से दूर करते हैं। उसी की बदौलत वह भारत के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी बन गए हैं, और शायद अब तक के सबसे अच्छे खिलाड़ी होंगे।”

“वह निश्चित रूप से हर भारतीय फुटबॉलर के लिए एक रोल मॉडल है। उनके जैसा बनने के लिए किसी कोभी बहुत मेहनत करनी होगी। उन्होंने जितने मैच खेल हैं, उतने ही गोल उन्होंने राष्ट्रीय टीम के लिए किए हैं।”

मैनचेस्टर यूनाइटेड अकादमी के पूर्व स्नातक ने तर्क देते हुए कहा, "सप्ताह से अधिक खेलने के बाद भी शायद ही वह कभी घायल होते हैं, क्योंकि वह खुद का ध्यान सही ढ़ंग से रखते हैं।"