भारतीय हॉकी टीम का टोक्यो पर ध्यान केंद्रित रखना जरूरी: ग्राहम रीड

कोच ग्राहम रीड उन चीज़ों पर ध्यान केंद्रित करते हुए आगे बढ़ना चाहते हैं जिनपर उनका पूरी तरह से नियंत्रण है। उन्हें 12 महीने के समय के साथ टीम को सफलता दिलाने का पूरा भरोसा है।

3 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
India head coach Graham Reid

ग्राहम रीड (Graham Reid) ने जब से भारतीय पुरुष हॉकी टीम के मुख्य कोच के तौर पर पदभार संभाला है, तब से उनका प्राथमिक उद्देश्य टीम की मानसिकता को बेहतर करना रहा है।

चाहे TCUP (थिंकिंग क्लियरली अंडर प्रेशर) दृष्टिकोण पर ज़ोर देना हो या फिर विजयी मानसिकता को स्थापित करना, ऑस्ट्रेलियाई कोच ने टीम के हॉकी के बारे में सोचने वाले नज़रिए को बदलने की उत्सुकता दिखाई है।

और अगले साल टोक्यो ओलंपिक में हिस्सा लेने जा रही इस टीम के लिए उनका मानना है कि यही उनकी सफलता की कुंजी होगी।

ग्राहम रीड ने एक इंटरव्यू में हॉकी इंडिया को बताया, "इस खेल जगत में ओलंपिक गेम्स सबसे कठिन प्रतियोगिता है और इसलिए एक खिलाड़ी की मानसिकता को इसकी बराबरी करनी होती है।"

“एक खिलाड़ी के तौर पर सबसे बड़ी चुनौती अपने खेल पर ध्यान केंद्रित किए रहना होता है। पहले गेम में बहुत सी भावनाएं उभर कर सामने आती हैं। जो खिलाड़ी उन भावनाओं को नियंत्रित कर लेंगे और गेम प्लान पर अडिग रहेंगे, वो ही आगे रहेंगे।”

भारतीय हॉकी टीम कुछ हफ्तों पहले मिले ब्रेक से पहले बेंगलुरु में राष्ट्रीय शिविर में ही थी। लेकिन शहर में COVID-19 मामलों की बढ़ोतरी के साथ शिविर के फिर से शुरू होने पर कई सवाल उठे हुए हैं।

ग्राहम रीड ने कहा, "इन 12 महीनों के दौरान हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती अनिश्चितता होगी।"

ऑस्ट्रेलियाई कोच ने ज़ोर देते हुए कहा, “बहुत सी चीजें ऐसी होने वाली हैं जिनको हम नियंत्रित नहीं कर सकते हैं। हमें केवल उन चीजों की चिंता करनी चाहिए, जिन्हें हम नियंत्रित कर सकते हैं।

रीड आने वाले महीनों में टीम के साथ मिलने वाले हर सत्र का अधिक से अधिक लाभ उठाने के इच्छुक हैं, क्योंकि वे टोक्यो 2020 में सबसे बड़ी परीक्षा के लिए पूरी तरह से तैयार रहना चाहते हैं।

रीड ने ज़ोर देकर कहा, "हम कितनी कड़ी मेहनत करते हैं बस उसपर नियंत्रण कर सकते हैं, इसके अलावा हम कितनी अच्छी तरह से ट्रेनिंग कर रहे हैं और हमारा फिटनेस स्तर क्या है। आने वाले समय में मानसिक तौर पर मज़बूती निश्चित तौर पर एक बड़ा कारक होगी और भारतीय खिलाड़ियों में कठिन परिस्थितियों से निपटने की जन्म जात क्षमता है।”

"यह मेरी इच्छा है कि खिलाड़ी मानसिक ताक़त के बारे में अपनी समझ को विकसित करें और आवश्यकता पड़ने पर उसका इस्तेमाल करने के साथ ही उसपर भरोसा कर सकें।"
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Leading up to Team India’s first match, it is imperative to have an unshakeable attitude to brave the toughest opponents in the world. Chief Coach Graham Reid, a Silver Medal Winner from the Barcelona Olympics in 1992, put things into perspective. . "The Olympic Games is the toughest competition in the sporting world and therefore a player’s mentality has to match it.  The biggest challenge as a player is to remain focussed on the job at hand. The first game brings with it a number of emotions. The player who can control those emotions and stick to the game plan will be ahead. . The biggest challenge for us during these next 12 months will be uncertainty. There are a lot of things that are going to happen that we can’t control. We must only worry about the things we CAN control. . We can control how hard we work, how well we train and our fitness levels. Mental toughness will definitely be a factor during this next period and the Indian players have an innate ability to deal with difficult circumstances. It is my intention to develop the players understanding of their mental strength and build their ability to access and trust it when required," Reid stated. . Reflecting on Reid's views, Women's Team Chief Coach Sjoerd Marijne said, "We live in challenging times where we need to have a 'step by step' approach. For now, we await to return to the National Camp and begin training. Once we know when we can resume our preparations for the Olympic Games, we will be able to make further plans on how to get competition-ready. . When you think of it, it is quite annoying because we had channelled all our energies into being in Tokyo this time of the year competing at the highest level. But realising there is a pandemic still threatening lives of millions around the globe, we quickly put things into perspective again. . I am someone who believes in creating positive opportunities and an extra year gives us the opportunity to grow further as a team. Our first focus will be to start training as soon as possible and then play international matches as soon as feasible," he concluded. . #IndiaKaGame #EchoingTheDream #Tokyo2020

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एक समय पर एक ही कदम बढ़ाने की जरूरत

भारतीय हॉकी महिला टीम के लिए भी चीजें अलग नहीं हैं। उनके मुख्य कोच ज़ोर्ड मारिजने (Sjoerd Marijne) नीदरलैंड वापस लौट गए हैं, वे एक ऐसे व्यक्ति हैं जो एक समय में एक ही कदम उठाने के इच्छुक हैं।

मारिजने ने कहा, “हम चुनौतीपूर्ण समय से गुज़र रहे हैं, जिसमें हमें एक-एक कदम आगे बढ़ने की जरूरत होती है। फिलहाल हम राष्ट्रीय शिविर में लौटने और फिर से प्रशिक्षण को शुरू करने की प्रतीक्षा कर रहे हैं।

उन्होंने अपनी बात को ख़त्म करते हुए कहा, “एक बार हमें पता चल जाए कि हम कब ओलंपिक खेलों की तैयारी शुरू कर सकते हैं तो हम आगे की योजनाओं को बनाने में सक्षम होंगे। मसलन, प्रतियोगिताओं की तैयारी कैसे की जाए।

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