दिग्गज खिलाड़ी पेले ने फुटबॉल को एक "खूबसूरत खेल" बताया है। हालांकि, अगर मैच ऑफिशियल की जबरन दखलंदाजी, समय की बर्बादी, जानबूझकर गेंद पर हाथ लगाना और किसी भी बात को न सुनने जैसी समस्याओं से सख्ती से नहीं निपटा जाता तो यह खेल आज इतना शानदार न होता।
फुटबॉल को सही खेल भावना से खेला जाए, इसके लिए कुछ नियम बनाए गए। ऑनफील्ड रेफरी फुटबॉल में येलो कार्ड या पीले कार्ड को चेतावनी के तौर पर दिखाता है। रेफरी ऐसा तब करता है जब बेंच पर बैठा कोई सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी, टीम ऑफिशियल या सब्स्टीट्यूट खिलाड़ी नियमों का उल्लंघन करता है। येलो कार्ड को अंतरराष्ट्रीय फुटबॉल एसोसिएशन बोर्ड (IFAB) द्वारा निर्धारित खेल के नियमों के अनुसार इस्तेमाल किया जाता है।
फुटबॉल में पीले कार्ड का क्या मतलब होता है?
जब रेफरी फुटबॉल मैच के दौरान पीला कार्ड दिखाता है तो उसका यह मतलब होता है कि उसने किसी खिलाड़ी या टीम ऑफिशियल को आधिकारिक तौर पर चेतावनी दी है। रेफरी गलती करने वाले खिलाड़ी या ऑफिशियल का विवरण, समय और गलती की प्रकृति को एक छोटी नोटबुक में नोट करता है। इस प्रक्रिया को बुकिंग भी कहा जाता है।
मैच के दौरान गलतियां होती हैं लेकिन रेफरी यह सुनिश्चित करने के लिए मौजूद रहते हैं कि फुटबॉल का खेल निष्पक्ष भाव से खेला जाए। अपने प्रतिद्वंद्वी खिलाड़ियों के प्रति सम्मान की कमी, बहुत आक्रामक तरीके से खेलने, खतरनाक मूव और उचित तरीके से जश्न न मनाने के परिणामस्वरूप पीला कार्ड दिखाया जा सकता है।
येलो कार्ड दिखाए जाने के बाद सावधानी बरतने पर कोई खिलाड़ी या टीम ऑफिशियल फुटबॉल मैच का हिस्सा बना रह सकता है। हालांकि, दूसरा पीला कार्ड दिखाए जाने से नियमों का उल्लंघन करने वाले को बाहर कर दिया जाता है, क्योंकि दो येलो कार्ड को एक रेड कार्ड माना जाता है।
टूर्नामेंट या क्लब लीग के दौरान, यदि किसी खिलाड़ी को दो अलग-अलग मैचों में पीला कार्ड मिलता है, तो उसे अपनी टीम के लिए अगले मैच को खेलने से निलंबित कर दिया जाता है।
फुटबॉल में खिलाड़ियों को पीला कार्ड कब दिया जाता है?
- विरोधी खिलाड़ियों का अनादर करना
- असुरक्षित खेल (उदाहरण - 'गलत तरीके से टकराना')
- कोई भी उल्लंघन (न केवल फाउल) जो एक आशाजनक अटैक में हस्तक्षेप करता है या रोकता है।
- एक खिलाड़ी जो थ्रो-इन, फ्री किक, कॉर्नर किक या गोल किक जैसी गेंद से चार मीटर की दूरी रखने में विफल रहता है।
- असहमति दिखाना (सार्वजनिक विरोध या मैच ऑफिशियल के फैसले पर असहमति जताना)
- एक गोलकीपर के रिस्टार्ट करने के बाद दूसरी बार गेंद को 'गलत तरीके से' छूने के लिए पीला कार्ड दिया जा सकता है। जैसे - गोल किक या फ्री किक।
- रेफरी की अनुमति के बिना खेल के मैदान में प्रवेश करना या फिर से प्रवेश करना।
- रेफरी की अनुमति के बिना जानबूझकर खेल का मैदान छोड़ना।
- खेल भावना के विपरीत व्यवहार (रेफरी के विवेक के अनुसार)
- गतत तरीके से जश्न मनाना (किसी की शर्ट उतारना या शर्ट से अपना चेहरा ढकना या दर्शकों के क्षेत्र में प्रवेश करना)
वीएआर (वीडियो सहायक रेफरी) प्रणाली का उपयोग करने वाले मैचों में, खिलाड़ियों को रेफरी समीक्षा क्षेत्र में प्रवेश करने या ज्यादा 'समीक्षा' की मांग करने के लिए भी चेतावनी दी जा सकती है।
फुटबॉल में टीम ऑफिशियल को पीला कार्ड कब दिया जाता है?
- IFAB नियमों के अनुसार यदि उल्लंघन किया गया है और करने वाले की पहचान नहीं की जा सकी है, तो तकनीकी क्षेत्र में मौजूद वरिष्ठ टीम कोच को चेतावनी दी जाएगी।
- असहमति जताने पर चेतावनी देने के अलावा, टीम ऑफिशियल को निम्नलिखित गलतियों के लिए पीला कार्ड दिखाया जा सकता है:
- अपनी टीम के तकनीकी क्षेत्र की सीमाओं को बार-बार पार करना।
- उनकी टीम द्वारा खेल को फिर से शुरू करने में देरी करना।
- जानबूझकर विरोधी टीम के तकनीकी क्षेत्र में प्रवेश करना।
- पानी या किसी भी तरह के पेय पदार्थों को फेंककर/लात मारकर या गलत शब्दों को बोलकर असहमति व्यक्त करना।
- ऐसे इशारे करना, जो मैच ऑफिशियल के प्रति सम्मान की कमी को दर्शाते हैं।
- व्यंग्यात्मक तालियां
- रेफरी समीक्षा क्षेत्र में प्रवेश करना
- लाल या पीले कार्ड के लिए अत्यधिक/लगातार इशारा करना
- VAR 'समीक्षा' के लिए अत्यधिक 'टीवी सिग्नल' दिखाना।
- उत्तेजक या भड़काऊ तरीके से इशारा करना या एक्टिंग करना
- लगातार गलत व्यवहार (बार-बार चेतावनी देने वाले अपराधों सहित)
- खेल के प्रति सम्मान की कमी
फुटबॉल में येलो कार्ड का इतिहास
फुटबॉल में 19वीं सदी के दौरान खिलाड़ियों और टीम ऑफिशियल को चेतावनी दी जाती थी और बाहर भेज दिया जाता था, लेकिन फीफा ने 1970 के फुटबॉल विश्व कप के दौरान पीले और लाल पेनल्टी कार्ड सिस्टम को अपनाया।
ब्रिटिश रेफरी केन एस्टन को इस खेल में विजुअल रिप्रेजेंटेशन का विचार लाने का श्रेय दिया जाता है। विभिन्न भाषाई पृष्ठभूमि के खिलाड़ियों और टीमों से जुड़े मैचों के रेफरी के रूप में उन्हें बेहतर संवाद करने की आवश्यकता महसूस हुई।
1962 फीफा विश्व कप में चिली बनाम इटली मैच के रेफरी केन एस्टन थे। खेल के दौरान, उन्होंने इटली के जियोर्जियो फेरिनी को मैदान से बाहर कर दिया, लेकिन अलग-अलग भाषाओं के कारण ठीक से संवाद नहीं कर सके। खिलाड़ी ने खेल का मैदान छोड़ने से इनकार कर दिया और स्थानीय पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा। यह घटना लंबे समय तक एस्टन के दिमाग में बसी रही।
केन एस्टन ने बाद में 1966 विश्व कप के दौरान फीफा की रेफरी समिति का नेतृत्व किया और भाषाई बाधा ने एक बार फिर उनको प्रभावित किया।
अर्जेंटीना और इंग्लैंड के बीच एक मैच में, जब केन एस्टन और अन्य ऑफिशियल को अर्जेंटीना के कप्तान एंटोनियो रैटिन को बाहर भेजे जाने के बाद शांत कराने की जरूरत थी, तो इसने एस्टन को यह सोचने के लिए प्रेरित किया कि वह सभी संबंधित पक्षों से कैसे बेहतर संवाद कर सकते हैं।
घर लौटने के बाद, एस्टन इंग्लैंड में केंसिंग्टन हाई स्ट्रीट पर गाड़ी चला रहे थे। जब वह एक ट्रैफिक लाइट जंक्शन पर रुके, तो एस्टन को एहसास हुआ कि लाल और पीले रंग की ट्रैफिक लाइट पर आधारित कार्ड की भाषा इस समस्या को खत्म कर देगी और खिलाड़ियों व टीम ऑफिशियल को स्पष्ट रूप से बताएंगे कि उन्हें चेतावनी दी गई थी या बाहर भेज दिया गया था।
एस्टन ने अपने इस विचार के साथ फीफा से संपर्क किया, जिसने 1970 में मैक्सिको में विश्व कप में पीले और लाल कार्ड को इस्तेमाल करने का निर्णय लिया। यह विचार सफल रहा और धीरे-धीरे इसे पूरी दुनिया में लागू कर दिया गया।
फीफा विश्व कप में दिखाए गए पीले कार्ड के रिकॉर्ड
कतर 2022 विश्व कप में नीदरलैंड बनाम अर्जेंटीना क्वार्टरफाइनल मैच में विश्व कप में एक ही गेम में सबसे अधिक 18 पीले कार्ड दिखाए गए थे।
फीफा विश्व कप फाइनल में दिखाए गए सबसे अधिक पीले कार्ड का रिकॉर्ड 14 है। यह दक्षिण अफ्रीका में स्पेन बनाम नीदरलैंड 2010 विश्व कप फाइनल के दौरान था। नीदरलैंड के खिलाड़ियों को नौ पीले कार्ड दिखाए गए थे।
अर्जेंटीना के जेवियर माशेरानो को विश्व कप में एक खिलाड़ी के तौर पर सबसे अधिक सात पीले कार्ड दिखाए गए हैं। जबकि ब्राजील के काफू छह के साथ दूसरे स्थान पर हैं।
जर्मनी को विश्व कप में किसी टीम के तौर पर सर्वाधिक 122 पीले कार्ड दिखाए गए हैं। अर्जेंटीना 112 के साथ दूसरे स्थान पर है।