प्रथम एशियाई खेल: देखें पदक तालिका और जानें इससे जुड़ी सभी अहम बातें

एशियाई खेल का पहला संस्करण साल 1951 में भारत की राजधानी नई दिल्ली में आयोजित किया गया था जिसे प्रथम एशियाई खेल भी कहा जाता है।

5 मिनटद्वारा रौशन कुमार
Asian Games 1951 banner
(Getty Images)

साल 1951 में नई दिल्ली में पहले संस्करण के बाद से एशियाई खेल का आयोजन हर चार साल पर किया जाता रहा है और यह ओलंपिक खेल के बाद दुनिया का दूसरी सबसे बड़ी मल्टी-स्पोर्ट प्रतियोगिता है।

1951 एशियन गेम्स के संस्करण को आधिकारिक तौर पर प्रथम एशियाई खेल के रूप में जाना जाता है। एशियन गेम्स का आयोजन फार ईस्टर्न चैंपियनशिप गेम्स की जगह शुरु हुआ था, जो पहले ओरिएंटल ओलंपिक के नाम से भी जाना जाता था। इसे साल 1913 से साल 1934 तक आयोजित किया गया था।

जापान और चीन के बीच राजनीतिक तनाव और फिर दूसरे विश्व युद्ध के कारण इस प्रतियोगिता के आयोजन पर रोक लग गई थी। साल 1948 के लंदन ओलंपिक के दौरान चीन और फिलीपींस के बीच एक चर्चा हुई जिसके बाद द फार इस्टर्न चैंपियनशिप गेम्स को फिर से शुरु करने का प्रयास किया गया।

इसके बाद दुर्भाग्य से लंदन 1948 में भारतीय अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (IOC) के प्रतिनिधि गुरु दत्त सोंधी ने द फार ईस्ट देशों के अलावा और भी देशों को शामिल कर इस प्रतियोगिता को और अधिक रोमांचक बनाने का प्रस्ताव रखा।

इस विचार को तब और बल मिला जब नई दिल्ली में आयोजित एशियन रिलेशन्स कॉन्फ्रेंस में इस बारे में बाकायदा चर्चा हुई, जहां साल 1947 में भारत की आजादी से कुछ समय पहले लगभग सभी एशियाई देशों के प्रतिनिधि मौजूद थे।

जवाहरलाल नेहरू ने शिखर सम्मेलन का नेतृत्व किया था, जो आगे चलकर भारत के पहले प्रधानमंत्री बने। जबकि मशहूर भारतीय कवयित्री और राजनीतिक कार्यकर्ता सरोजिनी नायडू ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की थी।

द्वितीय विश्व युद्ध के बाद जैसे-जैसे उपनिवेशवाद की पकड़ कमज़ोर होनी शुरू हुई, अधिक से अधिक एशियाई देश संप्रभु राष्ट्र बनने लगे। नतीजतन, एक महाद्वीपीय खेल आयोजन के प्रस्ताव को बल मिला, जहां राष्ट्र अपनी खेल प्रतिभा का प्रदर्शन कर सकें और अपनी एक पहचान बना सकें।

भारत ने इस अभियान में अहम भूमिका निभाई और प्रथम एशियाई खेल की मेज़बानी भी की।

एशियाई खेल के उद्घाटन संस्करण का आयोजन साल 1950 में होना था लेकिन तैयारियों में देरी के कारण इसे एक साल के लिए स्थगित कर दिया गया था।

दिलचस्प बात यह है कि चीन के हांगझोउ में आयोजित होने वाले एशियाई खेल 2022 को भी कोरोना महामारी के कारण 2023 के लिए स्थगित कर दिया गया। एशियन गेम्स के इतिहास में यह सिर्फ दूसरी बार है जब महाद्वीपीय प्रतियोगिता को स्थगित किया गया है।

प्रथम एशियाई खेल और उसके भागीदार

पहले एशियाई खेल में कुल 11 देशों ने हिस्सा लिया था। जिसमें अफगानिस्तान, बर्मा (वर्तमान म्यांमार), सीलोन (वर्तमान श्रीलंका), इंडोनेशिया, ईरान, जापान, नेपाल, फिलीपींस, सिंगापुर, थाईलैंड और भारत से कुल 489 एथलीटों ने 57 अलग-अलग स्पर्धाओं में पदक के लिए अपनी दावेदारी पेश की थी। उस टूर्नामेंट में छह अलग-अलग इवेंट्स - एथलेटिक्स, एक्वेटिक्स (डाइविंग, स्विमिंग और वाटर पोलो), बास्केटबॉल, साइकिलिंग, फुटबॉल और वेटलिफ्टिंग में पदक स्पर्धा का आयोजन किया गया था।

बॉक्सिंग भी उस टूर्नामेंट में शामिल होने के लिए एक लोकप्रिय विकल्प था लेकिन बाद में इसे हटा दिया गया था।

नई दिल्ली 1951 का आधिकारिक लोगो एक चमकदार लाल सूरज था जिसमें 16 किरणों को 11 रिंग्स द्वारा रेखांकित किया गया था। यह लोगो भाग लेने वाले देशों की पहचान थी। नई दिल्ली का नेशनल स्टेडियम इस आयोजन का आधिकारिक स्थल था। उद्घाटन समारोह में भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद और पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू भी मौजूद थे।

द्वितीय विश्व युद्ध की भयावहता को देखने के बाद पहली बार प्रतिस्पर्धा कर रहे जापान के एथलीटों ने 60 पदक के साथ एशियाई खेल में अपना दबदबा बनाया, जिसमें 24 स्वर्ण, 21 रजत और 15 कांस्य पदक शामिल थे। भारत ने कुल 51 पदक जीते जिसमें 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक शामिल था। प्रथम एशियाई खेल की पदक तालिका में भारत दूसरे स्थान पर रहा था।

सिंगापुर के तैराक नियो च्वी कोक एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले पहले एथलीट बने। इसके अलावा वह नई दिल्ली 1951 में कुल चार स्वर्ण पदक के साथ सबसे सफल व्यक्तिगत एथलीट भी थे।

भारत की ओर से एशियाई खेलों में पहला स्वर्ण पदक सचिन नाग ने हासिल किया था। उन्होंने 100 मीटर फ्रीस्टाइल तैराकी प्रतियोगिता में स्वर्ण पदक अपने नाम किया था।

पुरुषों की शारीरिक प्रतियोगिता - 1951 का मिस्टर एशिया, प्रथम एशियाई खेलों के दौरान एक गैर-पदक कार्यक्रम के रूप में आयोजित की गया था।

भारत के परिमल रॉय ने तब के बैंटमवेट वेटलिफ्टिंग के स्वर्ण पदक विजेता ईरान के महमूद नामदजौ को हराकर मिस्टर एशिया का ख़िताब अपने नाम किया था।

हालांकि, मिस्टर एशिया प्रतियोगिता थोड़ी विवादित रही। दरअसल, साल 1948 के लंदन ओलंपिक में मिस्टर यूनिवर्स प्रतियोगिता में अपनी ऊंचाई वर्ग के फाइनलिस्ट रहे नामदजौ ने रॉय से हराने के बाद निराशा जाहिर की। उन्होंने कहा, "यह उचित इवेंट नहीं है क्योंकि मिस्टर यूनिवर्स फाइनलिस्ट मिस्टर एशिया नहीं हो सकता है।"

आपको बता दें नामदजौ दो बार ओलंपिक पदक विजेता बने। साल 1952 में हेलसिंकी में रजत और मेलबर्न 1956 में कांस्य पदक जीतने के साथ वो तीन बार वेटलिफ्टिंग विश्व चैंपियन भी बने।

प्रथम एशियाई खेल 1951 की पदक तालिका