शोर्ट ट्रैक स्पीड स्केटिंग में एक्टर समय से नहीं बल्कि एक दूसरे से प्रतिस्पर्धा करते हैं। इसमें कौशल, और तकनीक का भरपूर उपयोग होता है।
नॉर्थ अमरीका में जन्मा
शोर्ट ट्रैक या इनडोर स्पीड ट्रैकिंग की शुरुआत कनाडा से हुई और देखते ही देखते इस खेल ने यूएस में अपने कदम जमा लिए थे। 1905 से 1906 के बीच इसकी प्रतियोगिताओं का भी आयोजन होने लग गया था।400 मीटर लॉन्ग ट्रैक की कमी की वजह से नॉर्थ अमेरिकी स्केटरों ने बर्फ पर अभ्यास करना शुरू कर दिया। हालांकि छोटे ट्रैक पर सकेंग करने की अलग चुनौतियां होती हैं जैसे कि तीव्र मोड़, कम सीधा रास्ता और इसके लिए अलग तकनीकों को लाना होता है। साला में एक बार इन देशों के बीच प्रतिस्पर्धा का नियम बन गया था। वहीं नॉर्थ अमेरिका के “पैक” नियमों ने इस खेल को नया जीवन दिया। 1932 लेक प्लासिड गेम्स और इंटरनेशनल स्केटिंग यूनियन ने इन नियमों का पालन किया था।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर लहराया झंडा
ग्रेट ब्रिटेन, ऑस्ट्रेलिया, बेल्जियम, फ्रांस और जापान ने इस खेल की पृवृत्ति में बहुत योगदान दिया और वे इंटरनेशनल स्केटिंग यूनियन द्वारा आयोजित प्रतियोगिताओं में हिस्सा लेना शुरू कर दिया था। 1967 में ISU ने शोर्ट ट्रैक रेसिंग को मान्यता दे दी लेकिन 1976 तक कोई भी अंतरराष्ट्रीय स्पर्धा नहीं हुई थी। इस दौरान देश आपस में ही स्पर्धा करते थे।
ओलंपिक में इतिहास
1988 गेम्स में इस खेल को प्रदर्शनीय खेल के हिसाब से चुना गया और इसके बाद 1922 में शोर्ट स्पीड को ओलंपिक का मेडल इवेंट बना दिया। इसमें दो व्यक्तिगत और दो रिले इवेंट हुआ करते थे। इसमें मेंस और वुमेंस दोनों ही भाग लेते थे। 2006 ट्यूरिन गेम्स से इस प्रोग्राम में 8 इवेंट हो गए हैं।
वहीं दर्शकों में इसका नाम बढ़ने लगा और उन्हें रेस देखने में मज़ा भी आने लगा।
एशियाई देश
चीन और कोरिया ने अपने खेल से नॉर्थ अमेरिका को चुनौती दी। 2006 ट्यूरिन गेम्स में साउथ अमरीका ने 6 गोल्ड और कुल 10 मेडल जीते।