कैनो स्लैलम के बारे में विस्तार से जानें

3 मिनटद्वारा Olympics.com

कैनो स्लैलम क्या है?

कैनो स्लैलम में प्रतियोगी, 300 मीटर तक की दूरी वाले व्हाइटवाटर कोर्स पर प्रतिस्पर्धा करते हैं जहां उन्हें अधिकतम 25 अपस्ट्रीम (पानी की धारा के विपरीत) और डाउनस्ट्रीम (पानी की धारा की दिशा में) गेट से जल्दी-से-जल्दी पार होना होता है।

इस खेल में दो प्रकार की नाव इस्तेमाल की जाती हैं: पहला कैनो होता है जिसे हिंदी में डोंगी भी कहा जाता है। डोंगी या कैनो एक ख़ास प्रकार की नाव होती है जो लंबी, संकरी और काफ़ी हल्की होती है। कैनो के साथ एथलीट को नीलिंग (घुटनों के बल) पोज़ीशन में बांधा जाता है और वे एक चप्पू (सिंगल-ब्लेड पैडल) के प्रयोग से नाव को आगे बढ़ाते हैं।

वहीं, दूसरे प्रकार की नाव को कायक कहते हैं जिसमें डबल ब्लेडेड पैडल (चप्पू) होते हैं। इसमें एथलीट बैठकर दो चप्पूओं का इस्तेमाल करते हुए रेस में हिस्सा लेते हैं।

एक्सट्रीम कायक प्रतियोगिता पेरिस 2024 के लिए नई है। इसमें सामान्य व्यक्तिगत चुनौती के बजाय, चार एथलीट एक-दूसरे के ख़िलाफ़ एक छोटे से कोर्स में रेस लगाते हैं।

कैनो स्लैलम की शुरुआत कब, कहां और किसके द्वारा की गई थी?

1930 के दशक की शुरुआत में स्विट्ज़रलैंड में कैनो स्लैलम की शुरुआत शीतकालीन खेलों में शामिल स्लैलम स्कीइंग के ग्रीष्मकालीन खेलों के विकल्प के रूप में की गई थी। हालांकि शुरुआती दौर में रेस व्हाइटवाटर कोर्स की बजाय फ्लैटवाटर पर होती थी।

कैनो स्लैलम के नियम?

पारंपरिक समय की चुनौती में, कोर्स इस तरह से तैयार किए जाते हैं कि प्रमुख एथलीट उन्हें 90 और 110 सेकंड के बीच पूरा कर सकें। एक गेट को छूने के लिए टाइम पेनल्टी दो सेकेंड है, जबकि एक गेट को न छूने पर 50 सेकेंड की बड़ी पेनल्टी होती है।

एक्सट्रीम कायक में, जिसे कयाक क्रॉस के रूप में भी जाना जाता है, चार प्रतियोगी पानी से दो मीटर से अधिक ऊपर एक स्टार्ट रैंप से स्लाइड करते हैं और वहां से यह पहली बोय की रेस होती है और काफ़ी कुछ होता है। गेट और अन्य नावों के साथ संपर्क की अनुमति है। हालांकि, कोई गेट चूक जाने या कोर्स पर कहीं कायक रोल नहीं कर पाने की स्थिति में एथलीट को अयोग्य करार दिया जाता है।

कैनो स्लैलम और ओलंपिक

1972 के म्यूनिख खेलों में कैनो स्लैलम एक प्रदर्शन खेल था और इसे बार्सिलोना 1992 तक फिर से ओलंपिक खेलों में नहीं देखा गया था जहां इसने पूरी तरह से अपना डेब्यू किया।

रियो 2016 तक चार इवेंट थे: पुरुषों की C-1 कैनो, K-1 कायक और C-2 कैनो (पुरुष युगल), और महिलाओं की K-1 कायक। टोक्यो 2020 में, पुरुषों के C-2 को पहली ओलंपिक महिला C-1 प्रतियोगिता से बदल दिया गया था।

उद्घाटन एक्सट्रीम रेस के अलावा जिसे X-1 तक छोटा कर दिया गया को लेकर इवेंट की संख्या को छह हो जाती है।

सर्वश्रेष्ठ स्लैम कैनोइस्ट जिन्हें आप देख सकते हैं

पूर्व विश्व चैंपियन रिचर्ड फॉक्स और मायरियम फॉक्स-जेरूसलमी की बेटी ऑस्ट्रेलियाई एथलीट जेसिका फॉक्स ने कई विश्व ख़िताबों के बाद आख़िरकार C-1 में अपना पहला ओलंपिक ख़िताब जीता। उन्होंने लंदन 2012 और रियो 2016 में जीते गए अपने पदकों में इज़ाफ़ा करते हुए टोक्यो 2020 में K-1 का कांस्य भी जीता। फ़्रांस में जन्मी कैनोइस्ट मौजूदा कायक क्रॉस वर्ल्ड चैंपियन भी हैं।

पुरुषों की बात करें तो मध्य यूरोप के एथलीटों - विशेष रूप से चेकिया और स्लोवाकिया का दबदबा है। जिरी प्रस्कावेक मौजूदा ओलंपिक K-1 चैंपियन हैं। वहीं, उनके साथी चेक के विट प्रिंडिस के पास विश्व ख़िताब का ताज है। जर्मनी के सिडेरिस तासियादिस मौजूदा C1 विश्व चैंपियन और दो बार के ओलंपिक पदक विजेता हैं। उन्होंने टोक्यो 2020 में स्लोवेनिया के बेंजामिन सावसेक के पीछे रहते हुए कांस्य पदक हासिल किया था।


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