जब भारतीय बैडमिंटन ने पीवी सिंधु (PV Sindhu) की विश्व बैडमिंटन चैंपियनशिप में जीत का जश्न मनाया, तभी जो युवा बैडमिंटन खिलाड़ियों ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अपने आगमन का ऐलान कर दिया। एक मुंबई की हलचल से तो दूसरा तेलंगाना के तटीय इलाके से आता है।
वो 2019 का थाईलैंड ओपन सुपर 500 इवेंट था, जहां सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी (Satwiksairaj Rankireddy) और चिराग शेट्टी (Chirag Shetty) सुपर 500 खिताब जीतने वाले पहले भारतीय पुरुष युगल जोड़ी बने थे। उस दौरान उन्होंने खिताब के लिए तत्कालीन विश्व चैंपियन ली जुनहुई (Li Junhui) और लियू युचेन (Liu Yuchen) को हराया था।
इसके बाद दोनों ने फ्रेंच ओपन सुपर 750 के फाइनल में जगह बनाई और दुनिया के शीर्ष 10 में पहुंच गए, ऐसा करने वाले वे पहले भारतीय पुरुष युगल जोड़ी भी बने।
चिराग और सात्विकसाईराज पिछले साल दुनिया की 7वें नंबर की अपनी सर्वश्रेष्ठ रैंकिंग पर पहुंचने में कामयाब रहे। जो कि उनके करियर की बेस्ट रैंकिंग है। ऐसा करने वाली भी वो भारत के पहली जोड़ी है।
चिराग शेट्टी ने ओलंपिक चैनल को बताया, "मुझे लगता है कि ये 2017 में शुरू हुआ जब हम कोरिया ओपन और फ्रेंच ओपन के क्वार्टर फाइनल में पहुंचे।"
2017 में खेले गए क्वार्टर फाइनल ने हमें उससे भी बेहतर प्रदर्शन करने की प्रेरणा दी। दोनों ने 2018 में फ्रेंच ओपन और इंडोनेशिया मास्टर्स के सेमीफाइनल में प्रवेश किया और 2019 में थाईलैंड में ऐतिहासिक खिताब जीता।
उन्होंने कहा, '' हमें इस बात का विश्वास मिला कि हम अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ऐसा कर सकते हैं। हम एक अच्छी जोड़ी के रूप में आगे बढ़ रहे थे। हालांकि कुछ समस्याएं थीं, जिन्हें अभी भी ठीक करना था।”
दोनों बोलते थे अलग-अलग भाषाएं
हालांकि ये सफर इतनी आसान भी नहीं रही। वास्तव में, चिराग शेट्टी और सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी के पर्सनल कोच चाहते थे कि दोनों एक साथ खेलें।
हालांकि 2016 में उनकी इच्छाओं के खिलाफ एक फैसला लिया गया। भारतीय बैडमिंटन टीम के तत्कालीन युगल कोच किम टैन हर (Kim Tan Her) ने दोनों की जोड़ी बनाने का फैसला किया।
मुंबई में जन्मे चिराग शेट्टी ने कहा, "ये मेरे लिए आश्चर्यजनक था, मैं झूठ नहीं बोलूंगा, शुरुआत वास्तव में खराब थी।”
"मुझे लगता है कि हमने तीन अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में भाग लिया और तीनों स्पर्धाओं के पहले दौर में हार गए। वो सीनियर सर्किट में हमारा पहला साल था। वो इतनी भी बड़ी प्रतियोगिताएं नहीं थी और फिर हम इंटरनेशनल चैलेंज इवेंट हार गए। यह वास्तव में मनोबल गिराने वाला था।”
स्वभाविक रूप से एक आक्रामक बैडमिंटन खिलाड़ी होने के नाते चिराग शेट्टी को सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी की प्रवृत्ति के साथ समंजस बैठाने के लिए संघर्ष करना पड़ा, तेलंगाना के खिलाड़ी के साथ समान भाषा न होने वाली चुनौती का भी सामना करना पड़ा।
इससे पहले कभी भी गैर-तेलुगु साथी के साथ न खेलने वाले सात्विकसाईराज रंकीरेड्डी ने कहा,
"डबल्स में, अगर आप अच्छी तरह से संवाद नहीं कर सकते हैं, तो आपको बहुत परेशानी होगी। मुझे लगता है कि शुरुआती कुछ महीनों में हमारे साथ भी ऐसा ही हुआ था।”
"मुझे लगता है कि इस ग़लतफहमी की वजह से हमें पहले कुछ प्रतियोगिताओं में नुकसान उठाना पड़ा। मैं चाहता था कि वो कुछ करें, लेकिन वो नहीं समझते और कुछ और ही हो जाता था। कोर्ट पर आपको ये सब समझाने के लिए पर्याप्त समय नहीं मिलता है कि आप क्या चाहते हैं।”
इसके अलावा, दोनों मुख्य रूप से आक्रामक खेल खेल रहे थे, दूसरी चीजों में सुधार की आवश्यकता थी, वो ये थी कि दोनों के बीच एक नेट प्लेयर की तलाश थी।
पुरुषों की बैडमिंटन काफी हद तक शक्तिशाली स्मैश और लाइटिंग-फास्ट रैलियों पर निर्भर होती है, यहां अक्सर बैरियर और नेट किसी गेम भी गेम के भाग्य को तय करने में मदद करते है।
रंकीरेड्डी ने बताया कि, “आगे कौन खेलेगा? यह कुछ ऐसा है जो हमें परेशान करता है। हम दोनों लंबे हैं और बैककोर्ट से वास्तव में अच्छे हैं, इसलिए आगे से खेलने का मतलब दृष्टिकोण में बदलाव है।”
“हम में से एक को कोर्ट के हर इंच को कवर करने वाला होना चाहिए था। ये कोच टैन ने फैसला किया कि चिराग को आगे खेलना चाहिए क्योंकि वो अपने रिटर्न के साथ भी तेज़ थे।”
आक्रामक बैडमिंटन खिलाड़ियों की जोड़ी
कुछ समस्याओं के बावजूद सात्विक और चिराग की जोड़ी पर कोच किम टैन हर को भरोसा था, और राष्ट्रीय मुख्य कोच पुलेला गोपीचंद को भी इन दोनों पर विश्वास था।
2018 कॉमनवेल्थ गेम्स के रजत पदक विजेता सात्विक के साथ चिराग शेट्टी ने कहा, "किम टैन ने हमेशा हमें बताया कि हमारी खेल शैली बहुत कुछ वैसी ही थी जैसा कि वो पूरे एशिया में देखी जाती है।"
"भारतीय अक्सर यूरोपीय की तरह खेलते हैं, बहुत कम खिलाड़ी, इंतज़ार कर के खेलना पसंद करते हैं। लेकिन हम वैसे नहीं थे। हम मलेशिया या इंडोनेशियाई या चीनी खिलाड़ियों के तरह खेलते थे।”
"हम लंबे हैं, और हम आक्रामक खेल के बारे में सोचते हैं। जो कि पुरुष युगल में आज कल देखा जाता है। आप अकेले पूरे गेम को नहीं बना सकते हैं। आपको आक्रामक होने और रैलियों की कमान संभालने की जरूरत होती है।“
“हम दोनों इस मामले में हमला करना पसंद करते है। कई बार थोड़ा ज्यादा हो जाता है। मुझे लगता है कि ये वो चीज है जिसने कोच टैन को प्रभावित किया और वह इस बात के लिए अड़े थे कि हम एक जोड़ी के रूप में खेलें।''
हालांकि किम टैन हर ने जापान में शामिल होने के तुरंत बाद भारतीय शिविर को छोड़ दिया, लेकिन इससे भारतीयों पर कोई असर नहीं पड़ा और दोनों ने इंटरनेशनल स्टेज पर खुद को गंभीर दावेदारों के रूप में स्थापित करने के लिए फ्लेंडी लिम्पेले की देख-रेख में आगे बढ़ते रहे।