Birgit Fischer: विश्व की सबसे कम और अधिक आयू की कयाकिंग चैंपियन
अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस (8 मार्च) को ध्यान में रखते हुए टोक्यो 2020 इस महीने विश्व इतिहास की सबसे खास महिला खिलाड़ियों के बारे में आपको बताएगा। जानिये कैसे इन महिलाओं ने खेल को बदल दिया। हर सप्ताह हम आपको ऐसे ही एक क्षण के बारे में बताते हैं जिसने विश्व भर में खेल प्रेमियों को भावुक कर दिया और इस भाग में हम आपको बताएँगे एक ऐसी खिलाड़ी के बारे में जिसने कयाकिंग में आठ ओलिंपिक स्वर्ण जीते हैं।
पहले की कहानी
Birgit Fischer का जन्म 15 फरवरी 1962 में पूर्वी जर्मनी के ब्रांडेनबर्ग ऐन डर हैवेल जिले में हुआ था। उन्हें सिर्फ छह साल की आयू में कयाकिंग शुरू कर दी थी और इसमें काफी महत्वपूर्ण भुमिका निभाई उनके बड़े भाई Frank ने जिन्होंने आगे चल कर नौ विश्व चैंपियनशिप पदक जीते। उनके पहले कोच पिता Karl-Heinz Fischer थे और Fischer ने 1978 से इस खेल में अपना दबदबा बनाना शुरू कर दिया।
मास्को में आयोजित 1980 ओलिंपिक खेलों में वह स्वर्ण जीतने वाली सबसे कम आयु की पैडलर बनी और तब Fischer सिर्फ 18 साल की थी। अपने करियर की शानदार शुरुआत के बाद उन्होंने तीन लगातार विश्व चैंपियनशिप (1981, 1982 और 1983) में तीनों 500 मी प्रतियोगिताएं (के1, के2 और के4) जीती।
साल 1984 के लॉस एंजेलेस ओलिंपिक खेलों में भाग न ले पाने के बाद Fischer का ध्यान सोल 1988 खेलों पर था। सिंगल्स फाइनल में स्वर्ण पदक से वह 0.12 सेकंड से चूक गयी लेकिन Fischer ने अगले दो दिनों में दो स्वर्ण पदक (K2 और K4) अपने नाम किये। ऐसी अद्भुत सफलता के बाद Fischer के दुसरे बच्चे का जन्म हुआ और इसी कारण उन्होंने खेल से सन्यास लेने का निर्णय किया। जब उन्होंने सन्यास लिया तब उनके नाम तीन स्वर्ण और एक रजत पदक थे।
Fischer ने ओलिंपिक खेलों में अपनी वापसी करने का निर्णय लिया और 1992 बार्सिलोना खेलों में जर्मनी का प्रधिनित्व करते हुए उन्होंने K1 सिंगल्स में स्वर्ण जीता और फ़ोर्ज़ में रजत पदक अपने नाम किया। चार साल बाद एटलांटा खेलों में उन्होंने K4 प्रतियोगिता में स्वर्ण और K2 में रजत पदक जीत का सबको दंग कर दिया।
सिडनी में आयोजित 2000 ओलिंपिक खेलों में उन्होंने K2 और K4 प्रतियोगिताओं में दो स्वर्ण पदक जीते और दूसरी बार सन्यास लेने का निर्णय लिया। इस बार ऐसा लग रहा था की Fischer का करियर अब समाप्त हो चुका है।
फाइनल मुकाबला
एक पूर्व ओलिंपियन और महान खिलाड़ी होने के कारण Fischer राष्ट्रीय स्तर पर लोकप्रिय थी और देश के सबसे सफल समाचार पत्र और पत्रिकाएं उनके बारे में लिखना चाहते थे। वहीँ दूसरी तरफ एक फिल्म निर्माता उनके जीवन पर एक वृत्तचित्र बनाना चाहते थे।
वृत्तचित्र के निर्माण के लिए फिल्म के कर्मचारी जब उनके घर पहुंचे तो Fischer को असली कायक में बैठने के लिए कहा गया। जैसे ही Fischer कायाक में बैठी और पानी में प्रवेश किया तो उनकी पुरानी यादें ताज़ा हो गयी। उन्होंने तभी निर्णय लिया कि वह एक बार फिर वापसी करेंगी।
Fischer ने ओलिंपिकडॉटऑर्ग से बात करते हुए कहा, "मैं देखना चाहती थी कि 42 की आयू में मैं कितनी तेज़ कायाक चला सकती हूँ।"
तीन साल के अंतराल के बाद Fischer ने एथेंस ओलिंपिक खेलों में जर्मनी की कायाक टीम के लिए K4 प्रतियोगिता में अपनी जगह बना ली।
एथेंस ओलिंपिक खेलों में हंगरी महिला कयाकिंग में प्रबल दावेदार थी क्योंकि उन्होंने चार लगातार K4 विश्व चैंपियनशिप (1999, 2001, 2002, 2003) अपने नाम कर ली थी लेकिन Fischer को अपनी कुशलता पर विश्वास था।
Fischer और उनकी हर टीम ने हीट में शानदार प्रदर्शन दिखाते हुए फाइनल में अपनी जगह बना ली और उसी हीट में हंगरी को भी परास्त किया।
फाइनल में हंगरी की टीम ने बेहतरीन शुरुआत करते हुए जर्मनी के ऊपर बढ़त बना ली लेकिन 500 मी के स्प्रिंट में Fischer की टीम ने इस फासले को कम किया और रेस जब 250 मी की पूरी हो चुकी थी तो वह बस 0.3 सेकंड पीछे थी। हंगरी तनाव में में आ कर अच्छा नहीं खेल पाई और जर्मनी 0.2 सेकंड से रेस जीत गयी।
Fischer ने अपने ओलिंपिक करियर का आठवां स्वर्ण अपने नाम किया। मास्को ओलिंपिक खेलों के 24 साल बाद Fischer स्वर्ण जीतने वाली सबसे ज़्यादा आयू की खिलाड़ी बनी।
आगे क्या हुआ
K4 फाइनल में स्वर्ण जीतने के अगले दिन Fischer ने एक और ओलिंपिक पदक जीता और इसका मतलब था उन्होंने पूरे करियर में 12 ओलिंपिक पदक (आठ स्वर्ण और चार रजत) अपने नाम किये थे। साल 2004 में Fischer को जर्मनी की स्पोर्ट्सवुमन ऑफ़ द ईयर पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
एथेंस ओलिंपिक खेल Fischer के छठे और आखरी थे जिसके बाद उन्होंने अपनी कंपनी खोली और उनका लक्ष्य था कायाकिंग को बढ़ावा देना।