एशियाई खेल 2023 समापन समारोह: हाई-टेक और संस्कृति के शानदार मेल से जगमगा उठा हांगझोऊ

हांगझोऊ ओलंपिक स्पोर्ट्स सेंटर स्टेडियम में आयोजित समापन समारोह में पीआर श्रीजेश भारत के ध्वजवाहक थे। एशियाई खेल का अगला संस्करण जापान में साल 2026 में आयोजित किया जाएगा।

2 मिनटद्वारा अरसलान अहमर
PR Sreejesh at the Asian Games closing ceremony 
(Hangzhou2022.cn)

दो सप्ताह से ज़्यादा समय तक चलने वाली शीर्ष स्तर की खेल प्रतियोगिताओं के बाद, रविवार को पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना के हांगझोऊ ओलंपिक स्पोर्ट्स सेंटर स्टेडियम में एक भव्य समापन समारोह के साथ एशियन गेम्स 2023 आधिकारिक तौर पर समाप्त हो गया।

हांगझोऊ 2023 में स्वर्ण पदक जीतने वाली भारतीय पुरुष हॉकी टीम के गोलकीपर पीआर श्रीजेश, भारत के लिए ऐतिहासिक एशियाई खेलों के भारत के ध्वजवाहक थे।

भारत ने अपने एशियाई खेल 2023 अभियान को 107 पदकों की रिकॉर्ड संख्या के साथ ख़त्म किया जिसमें 28 स्वर्ण, 38 रजत और 41 कांस्य पदक शामिल थे। आपको बता दें यह एशियन गेम्स के इतिहास में भारत का अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था।

एशियाई खेल समापन समारोह 80,000 दर्शकों से खचाखच भरे स्टेडियम में अपने राष्ट्रीय दल की अगुवाई करने वाले 45 ध्वजवाहकों के प्रवेश के साथ शुरू हुआ।

इसके बाद मेज़बान शहर के बारे में एक चीनी कविता की क्लासिक पंक्ति 'हांगझोऊ की स्थायी यादें' विषय पर एक शानदार सांस्कृतिक समारोह का आयोजन किया गया।

बिग लोटस के नाम से मशहूर हांगझोऊ ओलंपिक स्पोर्ट्स सेंटर स्टेडियम हज़ारों चमकदार बिंदुओं वाली एक स्क्रीन में तब्दील हो गया।

2000 से अधिक कलाकारों द्वारा प्रस्तुत एक सौंदर्यपूर्ण सांस्कृतिक प्रस्तुति के बाद एशियन गेम्स 2023 के ख़ास और यादगार लम्हों को स्क्रीन पर दिखाया गया।

नीरज चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने का पल के अलावा भारतीय पुरुष रिले टीम को भी हाइलाइट रील में दिखाया गया।

परफॉर्मेंस की समाप्ति के बाद, ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया (OCA) के कार्यवाहक प्रमुख रणधीर सिंह ने एशियन गेम्स 2023 के समापन की घोषणा की।

इसके बाद, एशियाई खेलों की मशाल और OCA ध्वज 2026 संस्करण के मेज़बान शहर जापान के नागोया-आइची के अधिकारियों को सौंपी गई।

एशियन गेम्स 2023 का समापन समारोह क़रीब 75 मिनट तक चला। एक बड़ी सी डिजिटल मशाल की लौ के बुझने और आकाश में गायब होने के साथ कार्यक्रम आधिकारिक तौर पर ख़त्म हुआ। समारोह के दौरान किसी भी तरह की आतिशबाज़ी का इस्तेमाल नहीं किया गया।

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