एशियन गेम्स 1982: जब भारत ने आख़िरी बार की थी मेज़बानी
भारत ने साल 1951 में आयोजित एशियन गेम्स के पहले संस्करण के बाद साल 1982 में भी इस प्रतिष्ठित महाद्वीपीय प्रतियोगिता की मेज़बानी की थी।
एशियन गेम्स की शुरुआत से ही भारत इस प्रतिष्ठित महाद्वीपीय प्रतियोगिता का एक अभिन्न हिस्सा रहा है। दरअसल, भारत एशियन गेम्स फेडरेशन के पांच संस्थापक सदस्यों में से एक था, जिसका गठन साल 1949 में किया गया था।
भारत ने साल 1951 में एशियाई खेल के पहले संस्करण की मेज़बानी की थी, जो राजधानी नई दिल्ली में आयोजित किया गया था। इस प्रतियोगिता में 9 खेलों को शामिल किया गया था जिसमें 11 देशों ने हिस्सा लिया था।
एशियन गेम्स के उद्घाटन संस्करण में भारत ने 51 पदकों के साथ जापान के बाद दूसरे स्थान पर रहते हुए अपने अभियान को समाप्त किया था, जिसमें 15 स्वर्ण, 16 रजत और 20 कांस्य पदक शामिल थे।
चार साल में एक बार आयोजित होने वाले एशिया महाद्वीप के प्रमुख मल्टी स्पोर्ट्स इवेंट का आयोजन साल 1982 में दूसरी बार भारत में हुआ। ग़ौरतलब है कि भारत ने अभी तक सिर्फ दो बार ही एशियाई खेलों की मेजबानी की है।
एशियाई खेल 1982: भारत के लिए एक बड़ी उपलब्धि
एशियन गेम्स 1982, महाद्वीपीय प्रतियोगिता का नौवां संस्करण 19 नवंबर से 4 दिसंबर तक नई दिल्ली में आयोजित किया गया था।
साल 1951 में पहले संस्करण के बाद से एशियाई खेल ने आगामी तीन दशकों में पूरी दुनिया में खूब लोकप्रियता हासिल की। 1982 एशियाई खेल में 3,400 से अधिक एथलीटों ने प्रतिस्पर्धा की थी।
1982 में एशियाई खेल के आयोजन से ठीक पहले एशियन गेम्स फेडरेशन (AGF) को भंग कर दिया गया था और प्रतियोगिता का 9वां संस्करण ओलंपिक काउंसिल ऑफ एशिया के तहत आयोजित किया गया था।
इसमें कुल 33 देशों ने प्रतिस्पर्धा की, जिसमें 23 खेलों के 147 स्पर्धाओं में पदक प्रदान किए गए थे।
मेजबान शहर नई दिल्ली को खेलों के आयोजन के लिए शानदार तरीक़े से तैयार किया था और पूर शहर की रूपरेखा बदल दी गई थी।
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम को विशेष रूप से इस आयोजन के लिए बनाया गया था, नई सड़कों का निर्माण किया गया था और पुरानी सड़कों को चौड़ा किया गया था।
इंद्रप्रस्थ इंडोर स्टेडियम, प्रगति मैदान, शिवाजी हॉकी स्टेडियम और करणी सिंह शूटिंग रेंज, इन खेलों के लिए अन्य आयोजन स्थल थे। सेलिंग (नौकायन) प्रतियोगिता मुंबई के पास अरब सागर में हुई थी।
दिल्ली एशियन गेम्स 1982, भारत और एशिया महाद्वीप के लिए बेहद महत्वपूर्ण था, क्योंकि पहली बार खेलों का सीधा प्रसारण ब्लैक एंड व्हाइट की बजाय रंगीन पर्दे पर किया गया था। यह ब्रॉडकास्ट टेक्नोलॉजी में भारत की प्रगति का एक बड़ा उदाहरण था।
1982 एशियाई खेल का उद्घाटन समारोह जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम में आयोजित किया गया था, जिसमें 75,000 लोग मौजूद थे।
शूटिंग चैंपियन और पांच बार ओलंपिक में हिस्सा लेने वाले कर्णी सिंह भारतीय दल के ध्वजवाहक थे।
एशियन गेम्स 1982 में भारत का प्रदर्शन
1982 एशियाई खेल में भारत का प्रदर्शन अच्छा रहा और वह 57 पदकों के साथ पांचवें स्थान पर रहा। साल 2010 तक एशियाई खेलों में यह भारत का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था। चीन ने 153 पदकों के साथ पहला स्थान हासिल किया।
भारत के लिए सबसे प्रभावशाली परिणाम ट्रैक एंड फील्ड स्पर्धाओं में देखने को मिले, जहां एथलीटों ने चार स्वर्ण सहित 21 पदक अपने नाम किए।
चार्ल्स बोर्रोमो ने पुरुषों की 800 मीटर स्पर्धा में स्वर्ण पदक जीता, जबकि एमडी वलसम्मा महिलाओं की 400 मीटर हर्डल रेस (बाधा दौड़) में एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाली दूसरी भारतीय महिला बनीं। दोनों एथलीटों ने 1984 लॉस एंजिल्स ओलंपिक खेल में भारत का प्रतिनिधित्व किया था।
चांद राम (पुरुषों का 20 किमी वॉक) और बहादुर सिंह (पुरुषों का शॉट पुट) भारत के लिए एथलेटिक्स में स्वर्ण पदक जीतने वाले अन्य एथलीट थे।
ट्रैक एंड फील्ड की दिग्गज पीटी उषा ने महिलाओं की 100 मीटर और 200 मीटर रेस में रजत पदक हासिल किया। उन्होंने सियोल में आयोजित एशियाई खेल के अगले संस्करण में चार स्वर्ण पदक जीता था।
हालांकि, पहले स्कोर करने के बावजूद भारतीय पुरुष हॉकी टीम को फाइनल में पाकिस्तान के ख़िलाफ़ 7-1 के अंतर से शिकस्त झेलनी पड़ी थी। वहीं, भारतीय महिला हॉकी टीम ने पूरे टूर्नामेंट में अजेय रहते हुए 37 गोल दागे और विरोधी टीमों को सिर्फ एक करने दिया। इस शानदार प्रदर्शन की बदौलत उन्होंने स्वर्ण पदक अपने नाम किया।