नीरज चोपड़ा ने दी विराट कोहली को कड़ी टक्कर: एथलेटिक्स इंडिया के प्रमुख आदिल सुमरिवाला

एएफआई अध्यक्ष को लगता है कि नीरज चोपड़ा के टोक्यो ओलंपिक गोल्ड मेडल ने युवा पीढ़ी के माता-पिता को यह सोचने पर मजबूर कर दिया है कि भारत में क्रिकेट के अलावा भी अन्य खेलों में करियर है।

5 मिनटद्वारा रितेश जायसवाल
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(2018 Getty Images)

भारत के ट्रैक एंड फील्ड स्टार नीरज चोपड़ा पिछले साल टोक्यो ओलंपिक में भाला फेंक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद से देश के चर्चित खिलाड़ियों में शीर्ष पर रहे हैं।

उनकी जीत की लहर का असर कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भी साफ दिखाई दिया था, जिसमें भारतीय एथलीटों ने उन खेलों में पदक जीते, जिनमें भारत के पदक जीतने की उम्मीद कम ही की जाती थी।

इसके अलावा नीरज चोपड़ा का नाम इंटरनेट पर सबसे अधिक खोजे जाने वाली भारतीय हस्तियों में भी शामिल था। यही नहीं, उनका नाम पिछले साल भारत में गूगल पर खोजे गए भारतीय क्रिकेटर विराट कोहली और रोहित शर्मा से भी ऊपर था।

मुंबई में मीडिया से बातचीत के दौरान भारतीय एथलेटिक्स महासंघ (AFI) के अध्यक्ष आदिल सुमरिवाला ने कहा कि भारत को नीरज चोपड़ा जैसे और अधिक चैंपियन की जरूरत है और हाल की सफलताओं का श्रेय प्रशासन द्वारा वर्षों से लागू की गई योजनाओं को दिया जाना चाहिए।

इंटरव्यू के कुछ अंश

सवाल: पिछले कुछ सालों में भारतीय एथलीटों ने अच्छा प्रदर्शन किया है। भारत में खेलों के विकास पर आपका क्या विचार है**?**

आदिल सुमरिवाला: भारत ने राष्ट्रमंडल खेल 2018 में तीन एथलेटिक्स पदक जीते थे। कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में हमने ये संख्या तीन से बढ़ाकर आठ पदक की है, जो बेहतरी को साफतौर पर दर्शाता है। वर्ल्ड चैंपियनशिप में हमारे पास कई फाइनलिस्ट हैं। तो हम कुछ बड़े कीर्तिमान हासिल करने के भी करीब हैं।

यह सफर काफी लंबा भी रहा है। राष्ट्रीय अंतर-जिला जूनियर एथलेटिक मीट लगातार 15 वर्षों से आयोजित की जा रही है। हमने लगभग 10-15 साल पहले जम्प, जैवलिन, डिस्कस और रेस जैसे पदक जीतने वाले कुछ संभावित इवेंट की भी पहचान की है। उन खेलों में एथलीटों को तैयार करने की जिम्मेदारी विदेशी कोचों को सौंपी है। तो यह कुछ ऐसा नहीं है जो रातों-रात हुआ है। कोई जादू की छड़ी नहीं है। यह कड़ी मेहनत, रणनीति और उचित योजना का ही परिणाम है।

एक सही तंत्र के भीतर सब कुछ ठीक हो जाता है। आप एक एथलीट को दुनिया का सबसे अच्छा कोच देते हैं लेकिन क्या वह विश्व चैंपियन बन पाएगा? सिर्फ यही जरूरी नहीं होता। उन्हें एक अच्छे फिजियो, मसाजर, डॉक्टर और बायोमैकेनिक्स विशेषज्ञ की भी आवश्यकता होती है। इसलिए एएफआई ने उसके पास उपलब्ध सुविधाओं के साथ उत्कृष्टता माहौल बनाने की कोशिश की है।

(2022 Getty Images)

सवाल: नए चैंपियन बनाने में AFI की क्या भूमिका है**?**

हम चाहते हैं कि हमारे एथलीट अच्छा प्रदर्शन करें। हम चाहते हैं कि वे पैसा कमाएं और बेहतर स्पांसरशिप डील हासिल करें ताकि नई पीढ़ी यह देख सके कि क्रिकेट के अलावा अन्य खेलों में भी उज्ज्वल भविष्य है।

आज बहुत से लोग ऐसे हैं जो यह नहीं कहते हैं कि वे चाहते हैं कि उनका बेटा विराट कोहली बने। यह सब नीरज चोपड़ा की वजह से संभव हो सका है। इसलिए हमें निश्चित रूप से नीरज जैसे अन्य कई चैंपियन की जरूरत है।

हम चाहते हैं कि देश को यह एहसास हो कि अगर नीरज चोपड़ा गन्ने को मैदान में फेंकने से अपनी शुरुआत करने के बाद से ओलंपिक चैंपियन बन सकते हैं, तो हम भी ऐसी ही सफलता हासिल कर सकते हैं। नीरज उस तरह के लीडर हैं, जिन्हें हम भविष्य में तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं।

सवाल: भारतीय महिला एथलीटों ने भी पिछले कुछ वर्षों में बहुत अच्छा प्रदर्शन किया है...

हम बड़े शहरों और शहरी इलाकों में रहते हैं, इसलिए शायद हम इस बात से अनजान हो सकते हैं कि ग्रामीण इलाकों में अभी महिलाओं को किन मुश्किलों से गुजरना पड़ता है। मैंने व्यक्तिगत रूप से 100 से अधिक जिलों की यात्रा की है और अभी भी कई जगहों पर लड़कियों को बिना अनुमति के अपने घरों से बाहर जाने की अनुमति नहीं है।

इसलिए हमें एक बड़ा परिवर्तन लाना होगा और यह रातों-रात नहीं होगा। इसमें वर्षों लगेंगे। हमें अन्नू रानी और हिमा दास जैसे चैंपियन की जरूरत है। लोगों को यह देखना चाहिए कि अगर दुती चंद बीएमडब्ल्यू कार चला सकती हैं, तो हमें भी उनको फॉलो करना चाहिए। हम चाहते हैं कि हमारे एथलीट अच्छा प्रदर्शन करें और आर्थिक रूप से समृद्ध बनें।

सवाल: AFI भारत में डोपिंग के मुद्दे से कैसे निपट सकता है**?**

एएफआई केवल एथलीटों को शिक्षित कर सकता है और परीक्षण में बढ़ावा दे सकता है। इसलिए हम चाहते हैं कि सभी एथलीट हमारे नेशनल कैम्प में प्रशिक्षण लें। क्योंकि इन कैम्प में हम उन पर नजर रख सकते हैं, उन्हें शिक्षित कर सकते हैं और उनका टेस्ट ले सकते हैं। लेकिन अगर कोई फिर भी धोखा देना चाहता है, तो हम किसी के नैतिक विचारों को नहीं बदल सकते हैं।

सवाल: खेल विज्ञान का भारतीय एथलीटों की आने वाली पीढ़ी की मदद करने में क्या योगदान है**?**

अभी हम खेल विज्ञान का उपयोग करने में पीछे हैं और इस पहलू में सुधार करने के लिए और अधिक काम करने की आवश्यकता है। खेल विज्ञान आज के समय की मांग है और एक बार जब हम इसे अपने सिस्टम में पूरी तरह से लागू कर लेंगे, तो निश्चित तौर पर बेहतर परिणाम सामने आएंगे।